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सतविन्द्र कुमार राणा
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  • karnal,haryana
  • India
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सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post बात का मजा जाए-ग़ज़ल
"आदरणीय समर कबीर सर, सादर वन्दे। आपके मार्गदर्शनानुसार दुरुस्त करने की कोशिश करूंगा। "
Jul 14
Samar kabeer commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post बात का मजा जाए-ग़ज़ल
"जनाब सतविंद्र कुमार जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'हो न ये, बात का मजा जाए' इस मिसरे को अगर यूँ कर लें तो वाक्य विन्यास ठीक रहेगा:- 'ये न हो बात का मज़ा जाए' 'बोल चल देते वे ठिकाने तज,मूल जिनका…"
Jul 12
सतविन्द्र कुमार राणा posted blog posts
Jul 12
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post रोला छंद
"आदरणीय सौरभ सर, सादर नमन मुझे वस्तुतः नुक्ते की कोई भी जानकारी नहीं है। मैं आगे ध्यान रखूंगा कि इसका प्रयोग ही न किया जाए। यह टंकण त्रुटि है, सचेष्ट में ऐसा करता भी नहीं हूं जी, सादर"
Jul 8
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post रोला छंद
"आदरणीय सुशील सरना जी, आदरणीय धामी सर, सादर आभार नमन!"
Jul 8
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"ग़ज़ल अच्छी लगी राणा साहब...आदरणीय सौरभ जी की समीक्षा ज्ञान बर्धक है।"
Dec 30, 2023
सतविन्द्र कुमार राणा commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"सुनन्दरम।"
Dec 5, 2023
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन, मार्गदर्शन के लिए सादर आभार। नुक्ता कहीं भी प्रयासपूर्वक नहीं लगाया है। सच कहूँ तो मुझे नुक्ते का रत्ती भर भी ज्ञान नहीं है। मैं गूगल इंडिक से टाइप करता हूँ। यह जैसे उठा लेता है टाइपो हो जाता है। कागज पर लिखते हुए मुझे ध्यान…"
Dec 5, 2023

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"ख़फ़ीफ मुसद्दस मख़बून अबतर // 2122 1212 22/112  तेरे बोलों के ख़ार आँखों मेंदिख रहे हैं हजार आंखों में  ...           वाह  मैनें देखा ख़ुमार आँखों में   ............. खुमार के ख में नुख्ता क्यों…"
Nov 17, 2023
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"S सादर आभार आदरणीय सुशील सरना जी"
Nov 9, 2023
Sushil Sarna commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"वाहहहहहह आदरणीय जी बड़े ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है सर । हार्दिक बधाई सर ।"
Nov 5, 2023
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"आदरणीय धामी जी सादर आभार उत्साहवर्धन के लिए"
Nov 4, 2023
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"आ. भाई सतविन्द्र जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 3, 2023
सतविन्द्र कुमार राणा posted a blog post

दिख रहे हैं हजार आंखों में

तेरे बोलों के ख़ार आँखों में दिख रहे हैं हजार आंखों मेंमैनें देखा खुमार आँखों में इश्क का बेशुमार आँखों मेंइश्क है होशियार आँखों में इश्क फिर भी गवार आँखों में तेरी गलियों को छान कर जाना होता क्या-क्या है यार आँखों में?होठ बेशक हँसी से फैले हैं दर्द पर बरकरार आँखों में। 'बाल' नादान है समझ तेरी ढूंढती बस जो प्यार आँखों में।मौलिक अप्रकाशितSee More
Nov 3, 2023

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post रोला छंद
"रोला छंद आधारित रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सतविन्द्र राणा जी.  एक बात, बिना पूरी जानकारी के नुख्ता का प्रयोग न करें.  बकवास के क के साथ नुख्ता नहीं लगता. जबकि हजार का ज बिना नुख्ता के नहीं होता.  वैसे भी देवनागरी लिपि में…"
Aug 19, 2023
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post रोला छंद
"आ. भाई सतविन्दर जी, अभिवादन। अच्छे छंद रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Aug 16, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
करनाल हरियाणा
Native Place
गाँव व डाक बालराजपूतान
Profession
अध्यापक
About me
I am a simple person living simply.I have interests in reading,movies and enjoy these timely.try to write somthings when there is time to do so.Believe in nationalism as an ideology.

सतविन्द्र कुमार राणा's Blog

बात का मजा जाए-ग़ज़ल

बात सुनकर ही कुछ कहा जाए,
हो न ये, बात का मजा जाए।

बोल चल देते वे ठिकाने तज,
मूल जिनका हवा-हवा जाए।

सत्य कहने का भी सलीका है,
जिसको छोड़ो, न सच सहा जाए।

जिंदगी है, खुशी-ओ-रंज भी हैं,
साथ इनके मियां जिया जाए।

काम ईमान से करे अपना,
तो वो इंसाँ भला कहा जाए।

'बाल' सच को नकारा ही जाता,
ऐसा भी क्यों समझ लिया जाए?

मौलिक अप्रकाशित

Posted on July 4, 2024 at 10:18pm — 2 Comments

दिख रहे हैं हजार आंखों में

तेरे बोलों के ख़ार आँखों में
दिख रहे हैं हजार आंखों में

मैनें देखा खुमार आँखों में
इश्क का बेशुमार आँखों में

इश्क है होशियार आँखों में
इश्क फिर भी गवार आँखों में


तेरी गलियों को छान कर जाना
होता क्या-क्या है यार आँखों में?

होठ बेशक हँसी से फैले हैं
दर्द पर बरकरार आँखों में।


'बाल' नादान है समझ तेरी
ढूंढती बस जो प्यार आँखों में।

मौलिक अप्रकाशित

Posted on November 3, 2023 at 9:30am — 7 Comments

रोला छंद

*रोला छंद*

बहुत दिखाते ज्ञान, तनिक उस पर क्या चलते

बोल कर्म के साथ, मिलें तो क्यों घर जलते

कोरी है बक़वास, शास्त्र की बातें करना

अपना ही व्यवहार, परे उससे यदि धरना।

रहें हजारों साथ, अकेले या वे रह लें

सच को कितना झूठ, झूठ को या सच कह लें

दुष्टों के क्या कृत्य, सही फल दे पातें हैं

कुटिल सदा ही मात, सुजन से खा जातें हैं।

धरती का दिल आज, देख कर जाए घटता

चहुँदिक दे आवाज़, शीश मानव का कटता

कुढ़ता शुद्ध विचार, शील पर चलती…

Continue

Posted on August 14, 2023 at 7:41pm — 5 Comments

यूँ कर्म करें

हे जग अभियंता, सृजनहार, 

हे कृपासिंधु, हे गुणागार

हे परब्रह्म, हे पुण्य प्रकाश

हो पूरित तुम से, सही आस

हर छोटे-से छोटा जो कण,

या विश्व सकल विस्तार अनंत

तुम्हीं में समाहित सब कुछ…

Continue

Posted on February 16, 2023 at 7:00pm — 2 Comments

Comment Wall (8 comments)

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At 6:46am on July 2, 2018, राज़ नवादवी said…

"आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा  साहब, तरही मुशायरे में मेरी ग़ज़ल में शिरकत का दिल से शुक्रिया. समयाभाव था, कमेंट बॉक्स बंद हो चुका है. इसलिए यहाँ से आभार प्रकट कर रहूँ हूँ.सादर "

At 7:34am on June 20, 2016, सुरेश कुमार 'कल्याण' said…
आदरणीय सतविंदर भाई ये मार्गदर्शन आपके द्वारा ही दिया गया है। हार्दिक आभार ।
At 7:41am on January 27, 2016, Omprakash Kshatriya said…
बहुतबहुत शुक्रिया आप का आदरणीय सतविंदर कुमार जी . आप ने मेरा जन्म दिन याद रख कर मुझे अमूल्य/अतुल्य शुभकामनाएं दी. इस हेतु मैं आप का आजीवन ऋणी रहूंगा .
At 8:46pm on January 11, 2016, सतविन्द्र कुमार राणा said…
धन्यवाद आदरणीय sushil Sarna जी।आपको भी सपरिवार सादर शुभकामनाएं!
At 6:59pm on January 3, 2016, Sushil Sarna said…

नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।

सुशील सरना

At 7:16pm on December 18, 2015, सतविन्द्र कुमार राणा said…
बहुत बहुत आभार आदरणीयEr Ganesh Jee Bagi सर।
At 7:54pm on December 17, 2015,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय

सतविंदर कुमार जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 11:59am on October 2, 2015,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

भाई सतविंदरजी, 

आपका हार्दिक धन्यवाद कि आपको मेरी विवेचना तोषकारी लगी है.

आप किसी आयोजन या इवेण्ट पर अपनी भावनाएँ उसी थ्रेड में पोस्ट किया करें. यदि आपने अपना धन्यवाद ज्ञापन संकलित लघुकथाओं के पोस्ट में ही किया होता या अब भी कर दें तो यह अधिक उचित होगा.

पुनः धन्यवाद, भाईजी

 
 
 

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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
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Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
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Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
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