हम समझते थे ,
झूठ के करोड़ों प्रकार होते हैं।
यहां तो सच भी हर एक का
अपना अपना हैं। .......... 1.
तुम बेशक मेरे रास्ते में
रोड़े बिछा सकते हो ,
मेरा नसीब नहीं बदल सकते,
अगर बदल सकते तो
अपनी तक़दीर बदलते ,
दूसरों के रास्ते में यूं
रोड़े नहीं बिछाते रहते।......... 2.
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Dr. Vijai Shanker on March 5, 2022 at 9:59am — 2 Comments
काँप उठता है बदन और धड़कने बढ़ जाती हैं
शब्द अटकते है जुबां पर साँसे भी थम जाती हैं
लाल हो जाती है आंखें भौह भी तन जाती हैं
सैकड़ो ख्याल मन को एक क्षण में घेरे जाती हैं
खून बेअदबी से तन में फिर बेधड़क है भागता
नींद से आँखे भरी पर रात भर है जागता
मन किसी भी काम में फिर कहीं लगता नहीं
अपने हीं विचार पर ज़ोर तब चलता…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 4, 2022 at 11:30am — No Comments
अब न रहे वो चाँदी से दिन,सोने सी वो रातें हैं
बाबुल का वो प्यारा अंगना,सपनो की सी बातें हैं
इसी अंगने मेंभाई बहन संग ,खेल कूद कर बड़े हुए
संग संग खाना,लड़ना झगड़ना,अब बस मीठी यादें हैं
चैन न था इक पल जिनके बिन,जाने कैसे बिछुड़ गए
अब सब अपनी अपनी उलझन अलग अलग सुलझाते हैं
चाहे कितना हृदय दग्ध हो,चाहे कितना बड़ा हो संकट
हम तो बिल्कुल ठीक ठाक हैं,सदा यही दर्शाते हैं
इस दिखावटी युग में यदि हम,हृदय खोल सुख दुःख बाटें
निश्चय सरल…
ContinueAdded by Veena Gupta on March 4, 2022 at 12:30am — 2 Comments
देगा हल क्या ये भला, स्वयं समस्या युद्ध
दम्भी इस को ओढ़ता, तजता सदा प्रबुद्ध।१।
*
युद्ध न लाता भोर है, यह दे केवल साँझ
इस के हर परिणाम से, होती धरती बाँझ।२।
*
सज्जन टाले युद्ध को, दुर्जन दे सत्कार
जो झेले वह जानता, कैसी इसकी मार।३।
*
लोग समझते शांति की, यह रचता बुनियाद
लेकिन बचती राख ही, सदा युद्ध के बाद।४।
*
इससे बढ़ता नित्य ही, दुख का पारावार
जाने अन्तिम युद्ध कब, होगा इस संसार।५।
*
सदा प्रगति शान्ति का, युद्ध बना अवरोध
लेकिन…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 3, 2022 at 2:36pm — No Comments
आसमान से टूटा तारा उल्का बनकर दौड़ चला
अन्धकार के महाशून्य में पाने अपनी राह चला
घर छूटने का तो दुःख था साथ टूटने का ग़म भी
अंतिम बार जो मुड़के देखा उसके नैन हुए नम भी
उसके वेग से महाशून्य में ज़ोर की गर्जन फ़ैल गयी
मिलों तक फिर ऊर्जा फैली अंधियारे को लील गयी
अभी जन्म हुआ था उसका चाल में अभी लड़कपन था
सालो बीते चलते चलते अब आने वाला यौवन था
सिर भागता था आगे उसका पूँछ दूर तक फैली थी
पीछे फैली कई मील तक तुक्ष पिंड की रैली…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 3, 2022 at 11:40am — No Comments
उसकी एक हंसी से बगिया की सारी क्यारी खिल गयी
आज हमारे उदासी घर को ढेर सी खुशियां मिल गयी
दिए जलाओ ख़ुशी मनाओ फूलों का झूला तैयार करो
लक्ष्मी चल कर घर है आई मिलकर उसका सत्कार करो
जिसके कर्म बड़े अच्छे हो बड़े पुण्य के काम किए
कर्म फल उनको है मिलता कन्या का अवतार लिए
जिसके घर में बेटी जन्मी , वो घर स्वर्ग बन जाता है
माँ बाप का पूरा जीवन तभी सफल हो जाता है
उसके घर में ना होने से जग सुना हो जाता है
चाहे भीड़ बरी हो घर में…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 2, 2022 at 11:27am — 3 Comments
ग़ज़ल
1222/1222/1222/1222
वही जज़्बा वही लहजा लिए अख़बार आता है
मगर उस हादसे से क्यूँ परे अख़बार आता है ।
चुनावी दौर के वादे मुकम्मल हो न हो लेकिन
तुम्हे भी हो ख़बर घर पर मेरे अख़बार आता है ।
जो भर्तियाँ अटकी हैं उनका क्या हुआ होगा
अभी तो कोर्ट से लड़ते हुए अख़बार आता है ।
यकीनन सच को ही तो सामने आना जरूरी था
अगरचे झूठ के नीचे दबे अख़बार आता है ।
जो उनके पैरहन का रंग भी चर्चा में आ जाए
यहाँ मातम…
Added by DINESH KUMAR VISHWAKARMA on March 1, 2022 at 6:00pm — No Comments
01.ख्वाहिश
साधारण लोग
सहज स्वभाव
छोटी-छोटी बातें
दुःखी कर देती हैं
छोटी-छोटी बातों से
खुश हो जाते हैं
हम तो ख्वाब भी देखते हैं
तो छोटे-छोटे
टुकड़ों में....
नही है ख्वाहिश
आसमान छूने की
इतना चाहते हैं
बस जमीन न छूटे
और न छूटे
अपनों का साथ ।।
02.सनक
कई…
ContinueAdded by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 1, 2022 at 1:30pm — 2 Comments
भीम, महेश्वर, शम्भवे, शंकर, भोलेनाथ
गंगाधर, श्रीकण्ठ का, सबके सिर पर हाथ।१।
*
गिरिश, कपाली, शर्व ही, शिवाप्रिय, त्रिलोकेश
कृत्तिवासा, शितिकण्ठ का, हिममय है परिवेश।२।
*
वो सर्वज्ञ, परमात्मा, अनीश्वर, त्रयीमूर्ति
हवि,यज्ञमय, सोम हैं, करते इच्छा पूर्ति।३।
*
शूलपाणी , खटवांगी , विष्णुवल्लभ, शिपिविष्ट
भक्तवत्सल, वृषांक उग्र, करते हरण अनिष्ट।४।
*
तारक, परमेश्वर, अनघ, हिरण्यरेता, गणनाथ
शशि को धर शशिधर हुए,…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 1, 2022 at 12:26am — No Comments
कुछ चुटकियाँ ....
वो चाय क्या
जिसमें भाप न हो
वो नींद क्या
जिसमें ख्वाब न हो
.............
वो प्याला क्या
जिसमें शराब न हो
वो हिजाब क्या
जिसमें शबाब न हो
.......... ..........
वो किताब क्या
जिसमें गुलाब न हो
वो ख़्वाब क्या
जिसमें माहताब न हो
.....................
वो समर्पण क्या
जिसमें स्वीकार न हो
वो जीत क्या
जिसमें हार न हो
.........................
वो…
ContinueAdded by Sushil Sarna on February 28, 2022 at 1:43pm — No Comments
कुछ दिन पहले तक ही तो,वो घुटनो के बल चलती थी
अपनी तुतलाती भाषा में, पापा-पापा कहती थी
पहली बार जो अपने मुँह से, पहला शब्द वो बोली थी
मुझे याद अब भी वो तो, पापा ही तो बोली थी
कल ही की तो बात है उसने, गुड़िया मुझसे माँगा था
मेरे काम के थैले को कल ही, खूंटी पर उसने टांगा था
कल तक जो मेरे घुटनो के, ऊपर तक ना बढ़ पाई थी
अपने पैरों पर चल कर वो,…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 28, 2022 at 10:44am — No Comments
२२१ २१२१ १२२१ २१२
पाकर जिसे हयात हवालात हो गई
इक ऐसे ग़म से आज मुलाक़ात हो गई
कैसे बताएँ आपके बिन कुछ नहीं हैं हम
कैसे बताएँ आपको क्या बात हो गई
अंजान थी जो आँख मिरी जान अश्क़ से
बाद आपके यूँ रोई की बरसात हो गई
इक पल में खुशनुमा हुई इक पल में रहनुमा
फ़िर एक पल में दर्द की सौग़ात हो गई
कैसी है दास्ताँ ये मिरी जान ज़िंदगी
रौशन हुई कहीं तो कहीं रात हो गई
मौलिक व…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on February 26, 2022 at 11:30pm — 2 Comments
शोख़ दोहे :
कातिल हसीन शोखियाँ, मयखाने सा नूर ।
दिल बहके तो जानिए, सब आपका कुसूर ।।
साँसें दे हर साँस को, साँसों का उपहार ।
साँसों को अच्छा लगे, ये साँसों का प्यार ।।
पागल दिल की हसरतें, पागल दिल के ख़्वाब ।
पागल दिल को कर गए , ख़्वाबों के सैलाब ।।
बड़े तीव्र हैं प्यास के, अधरों पर अंगार ।
नैनों से नैना करें, मधुर मिलन मनुहार ।।
बेहिज़ाब अगड़ाइयाँ, गज़ब नशीला नूर ।
देख बहकना नूर को, दिल का है…
Added by Sushil Sarna on February 26, 2022 at 3:53pm — 2 Comments
कम्बख्त ये वक्त , बड़ा बेरहम है
खुद ही दवा है अपनी, खुद में ये जखम है
हाथ होता है मगर ये, साथ होता है नहीं
हक़ में लगता है मगर ये, हक़ में होता है नहीं
क्या बला की शै है ये, खुद को ही दोहराता है
बन कभी तस्वीर खुद की, गुमशुदा हो जाता है
शख्श है आवारा जाने, क्यूँ कहीं रुकता नहीं
कोई भी हो सामने पर, ये कभी झुकता नहीं
साथ जिसके ये हुआ, अर्श पर छा जाएगा
सर पे जिसके आ गिरा, वो ख़ाक में मिल जाएगा
कोई कितना भी बड़ा हो,…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 26, 2022 at 1:58pm — No Comments
जीवन साथी है वो मेरी, साथ हमेशा रहती है
सुख हो या हो दुःख के दिन, पास सदा वो रहती है
साथ फेरों का बंधन बांधे, घर मेरे जब आई थी
खुद से पैसे बच ना पाते, बस इतनी मेरी कमाई थी
घर आई वो साथ में अपने, ढेरों खुशियां ले आयी
मेरे मन के अंधियारे को, दूर किसी को दे आयी
टुटा फूटा डेरा मेरा, सबकुछ उसने अपनाया
दो दिन में ही उस डेरे को ,महलों जैसा मैंने पाया
बिखरा बिखरा जीवन मेरा, जैसे तैसे चलता था
कभी यहाँ पर कभी वहाँ पर, युहीं…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 25, 2022 at 11:30am — No Comments
बूंदों का बरसना यूं बिजली का कड़कना
कुछ याद पुरानी सी तड़पा के हमको चली गयी
बात हल्की सी थी बिल्कुल फुहारों की तरह
अनसुनी सी कानो में सुना के वो चली गयी
एक मुद्दत से हमने अश्कों को छुपा रक्खा था
बेदर्द थी बारिश आज हमे रुला के चली गयी
आज मस्ती थी बड़ी झूमता हर एक ग़म था
छत फूटी थी मेरी बि स्तर भींगा के चली गयी
पक्के मकान को गर्मी से जैसे राहत थी मिली
फुटपाथ के बर्तन को संग बहा के चली गयी
नांव से खेलते थे बच्चे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 24, 2022 at 10:21am — No Comments
बूंदों का बरसना यूं बिजली का कड़कना
कुछ याद पुरानी सी तड़पा के हमको चली गयी
बात हल्की सी थी बिल्कुल फुहारों की तरह
अनसुनी सी कानो में सुना के वो चली गयी
एक मुद्दत से हमने अश्कों को छुपा रक्खा था
बेदर्द थी बारिश आज हमे रुला के चली गयी
आज मस्ती थी बड़ी झूमता हर एक ग़म था
छत फूटी थी मेरी बि स्तर भींगा के चली गयी
पक्के मकान को गर्मी से जैसे राहत थी मिली
फुटपाथ के बर्तन को संग बहा के चली गयी
नांव से खेलते थे बच्चे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 24, 2022 at 10:20am — No Comments
दिलबर है ना तो कोई रहबर है
हाल-ऐ-दिल सुनाए तो किसको
मिले हमसा हमको इस जहां में
खोल के ये दि ल दि खाए उसिको
फासले दरम्यान है हम दोनों के लेकि न
कदम न चले तो मिटेंगे वो कैसे
उन रेलों की पटरी को देखा है मैंने
मिलते नहीं पर संग चलते है जैसे
जो हम न रहे तो रोओगे तुम भी
दि ल से हमे तुम भुलाओगे कैसे
बदन पे तुम्हा रे जो लि ख गया है
मेरा नाम अब तुम मिटाओगे कैसे
है सपना अगर ये तो सोने हो दोना
अगर जग गया मैं तो पाओगे तुम…
Added by AMAN SINHA on February 23, 2022 at 1:39pm — 3 Comments
थक गया हूँ झूठ खुद से और ना कह पाऊंगा
पत्थरों सा हो गया हूँ शैल ना बन पाऊंगा
देखते है सब यहाँ पर अजनबी अंदाज़ से
पास से गुजरते है तो लगते है नाराज़ से
बेसबर सा हो रहा हूँ जिस्म के लिबास में
बंद बैठा हूँ मैं कब से अक्स के लिहाफ में
काटता है खलीपन अब मन कही लगता नहीं
वक़्त इतना है पड़ा के वक़्त ही मिलता नहीं
रात भर मैं सोचता हूँ कल मुझे कारना है क्या
है नहीं कुछ हाथ मेरे सोच के डरना है क्या
टोक न दे कोई मुझको मेरी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 22, 2022 at 3:48pm — No Comments
अंजाना सफर तनहाई का डेरा
उदासी का दिल मेंं था उसके बसेरा
साँवली सी आंखो पर पालकों का घेरा
भुला नहीं मैं वो चमकता सा चेहरा
आंखे भरी थी और लब सील चुके थे
दगा उसके सीने मे घर कर चुके थे
था कहना बहूत कुछ उसको भी लेकिन
धोख़े के डर से वो लफ्ज जम चुके थे
हाले दिल चेहरे पर दिखता था यू हीं
के ग़म को छुपाने की कोशि श नहीं थी
दिल चाहता तो था संग उसके चलना
मगर साथ चलने की कोशि शनहीं थी
कहा कुछ…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 21, 2022 at 3:30pm — No Comments
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