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AMAN SINHA
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AMAN SINHA posted blog posts
Sep 10
Dr. Vijai Shanker commented on AMAN SINHA's blog post फोन आया
"बदलते वक़्त में बहुत कुछ बदल जाता है. प्रस्तुति अच्छी है, बधाई आदरणीय अमन सिन्हा जी।"
Aug 29
AMAN SINHA posted a blog post

फोन आया

फोन आया, कई सालों के बाद फिर उसका फोन आया पहले जब घंटी बजती थी, दिल की धड़कन भी बढ़ती थी लेकिन आज फोन बजा तो धड़कन ने इशारा नहीं किया अंजान नंबर को भी पहले हम पहचान लेते थे फोन उसिका है ये जान लेते थे लेकिन आज नाम दिखा तो भी पहले सा एहसास ना हुआ नंबर वही पुराना था कोई गुज़रा हुआ जमाना थामेरे जैसा उस लड़की का ना कोई दीवाना था लेकिन आज फोन बजा तो दीवानापन नहीं आया पहले एक फोन की खातिर रातों जागा करते थे पड़ोसी चाची के घर बर्तन माँजा करते थे मगर आज घंटी बजी तो वो चाची भी रही नहीं"मौलिक व अप्रकाशित" अमन…See More
Aug 20
AMAN SINHA posted a blog post

एक जनम मुझे और मिले

एक जनम मुझे और मिले मैं देश की सेवा कर पाऊं दुध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं  मुझको तुम बांधे ना रखना अपनी ममता के बंधन में मैं उसका भी हिस्सा हूँ तुमने है जन्म लिया जिसमे   शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी बस एक बलिदान ही मांगे है  सब ही आंचल मे छुपे तो देश को कौन सम्हालेगा सीमा पर शत्रु सेना से फिर कौन कहो लोहा लेगा  तुमने दुध पिलाया मुझको तुमने हीं चलना सिखलाया है देश प्रेम है सबसे आगे ये तुमने ही पाठ पढाय है  जैसी मुझको प्रिय रही तुम…See More
Aug 15
Dr. Vijai Shanker commented on AMAN SINHA's blog post एक चेहरा जो याद नहीं
"कुछ मनमानी के चक्कर में, जीवन को जीना भूल गया l कुछ दौड भाग की चक्कर में, मैं खुद से मिलना भूल गयाll ❤ आदरणीय अमन सिन्हा जी , बहुत ही गंभीर प्रस्तुति , अच्छी लगी , हार्दिक बधाई।"
Aug 14
AMAN SINHA posted a blog post

नलके का पानी

ठंडा है मीठा है थोड़ा सा गाढ़ा है पर मेरे घर तक आता है नलके का पानी जब भी दिल चाहे प्यास बुझाता है ठंडक दे जाता है नलके का पानी जब से घर आया है सबको लुभाया है हिम्मत बढ़ाया है नलके का पानीपूरे मोहल्ले में बस अपना हीं घर है जिसमे हमारा एक खुद का जो नल है नज़रों में सबके इज्जत बढ़ाता है सम्मान दिलाता है नलके का पानीकतार में लगाना अब किस्सा नहीं है हमारी दिनचर्या का अब हिस्सा नहीं है हमारा बहुत हीं समय ये बचाता है शान सिखाता है नलके का पानी"मौलिक व अप्रकाशित" अमन सिन्हा See More
Aug 13
AMAN SINHA commented on AMAN SINHA's blog post ढूँढता हूँ कब से
"आदरणीय रवि शुक्ला साहब, मैं किसी भी विधा से परिचित नहीं | किसी भी "विधा और "अरकान" का ज्ञान मुझे नहीं| अतः इस अज्ञानता के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|"
Aug 8
Ravi Shukla commented on AMAN SINHA's blog post ढूँढता हूँ कब से
"आदरणीय अमन मंच पर आज जितनी रचनाएं अभी तक पढ़ कर टिप्पणी कर पाया हूँ उनमें से किसी में भी रचनाासे पूर्व उसका अरकान / बहर लिखी नहीं दिखाई  दी मुझे जिससे कुछ अनुमान नहीं हो पाया आपकी की रचना को किस विधा में रखा जाए । प्रयास के  लिये बधाई "
Aug 8
AMAN SINHA posted a blog post

जॉन तुम जीवन हो

तुमको पढ़ा तुमको जाना तो ये समझ में आया हैकितनी बेकरारी को समेट कर तूने कोई एक शेर बनाया है रईसी ऐसी की बस इशारों में मुआ हर काम हो जाएफकीरी ऐसी की जो सब पाकर भी बेइंतजाम हो जाए हमने सुने है किस्से तेरी बेरुखी की ज़िंदगी सेशोहरत पाकर भी कोई कैसे तुझसा बेनाम हो जाए लिखा जो तूने कहा जो तूने कोई ना जान सकातू सभी का है अभी पर तब तुझे कोई ना पहचान सका आज नज़्में तेरी दासतां बताती हैकैसे गुजरी तेरी ज़िंदगी बताती है लोग कहते है तुझे कद्र खुद की थी हीं नहींकाश एक दिन मेरा तुझसा गुज़र जाए कभी था सभी कुछ पास…See More
Aug 6
AMAN SINHA posted a blog post

तेरी मर्ज़ी है

कभी दिलबर बताते हो, कभी रहबर बताते होये मर्ज़ी है बस तेरी, जो मर्ज़ी बताते होकभी सुनते हमारी बात, कबसे जो दबी दिल मेंहमें अपना बताकर तुम, बड़ा दिल को जलाते हो जीवन है सफर लंबा, मगर जो तुम हो तो कट जाएराह है जो सदियों की, वो पल भर में सिमट जाएबिना तेरे ना चल पाएं, कदम दो चार भी हम तोथाम कर हम तेरा दामन, चलो उस पार हो जाए तेरी आँखों के ये मोती, नहीं बेकार जाएंगेरहेंगे दूर हम जितना, उतने हीं पास आएंगेजतन में छोड़े रखना तुम, बुँदे दो चार खुशियों केमिलेंगे जब भी हम तुमसे, ये अश्क़ छलक हीं जाएतेरी…See More
Jul 30
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ढूँढता हूँ कब से

ढूँढता हूँ कब से मुझमे मुझसा कुछ तो होसोच हो, आवाज़ हो, अंदाज़ हो, ना कुछ सही सबर तो हो क्यूँ करूँ परवाह खुद की संग क्या ले जाना हैबिन बुलाये आए थे हम बिन बताए जाना हैक्यूँ बनाऊ मैं बसेरा डालना कहाँ है डेराजिस तरफ मैं चल पड़ा हूँ उस गली है बस अंधेरा क्या करूँ तालिम का मैं बोझ सा है पड गयाहै सलिका खूब इसमे, पर, सर पर मेरे चढ़ गयाइसकी लिबास में मैं  दब के जैसे रह गयाआरजू उड़ने की थी पर रेंगता ही रह गया कोठियाँ ये गाडियाँ सब मेरे है किस काम कीउम्र एक बीता दी हमने भूख में सिर्फ नाम कीपर मिला न वो सिला…See More
Jul 23
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on AMAN SINHA's blog post एक चेहरा जो याद नहीं
"आदरणीय अमन सिन्हा जी आदाब, बहुत ख़ूबसूरत अहसासात से लबरेज़ रचना हुई है, हार्दिक बधाई।"
Jul 17
Shyam Narain Verma commented on AMAN SINHA's blog post एक चेहरा जो याद नहीं
"नमस्ते जी, बहुत खूब, हार्दिक बधाई l सादर"
Jul 16
AMAN SINHA posted a blog post

एक चेहरा जो याद नहीं

एक चेहरा जो याद नहीं, एक चेहरा जो मैं भूल गयातस्वीर भला मैं क्या खिंचू, तस्वीर बनाना भूल गयाएक लम्हा जो ना लौटा फिर, वो एक लम्हा जो मैं भूल गयायादें अब समेटूँ कैसे मैं, जो यादें बनाना भूल गयाएक गली जो कभी फिर मिली नहीं, वही गली जो मैं भूल गयाकैसे कदम बढ़ाऊँ घर को, मैं घर का रास्ता भूल गयाएक नज़्म कभी जो गायी थी, कुछ मिश्रे उसके भूल गयाकैसे ग़ज़ल बनाऊँ मैं अब, जो लफ्ज बनाना भूल गया एक चिट्ठी मुझको आई थी, वो चिट्ठी पढ़ना भूल गयामाँ के बतलाए नुसख़ों को, जीवन में लाना भूल गयाजिस चाहत से घर को छोड़ा था उस…See More
Jul 16
AMAN SINHA posted a blog post

मैं चाँद तू चकोरा

मैं चाँद तू चकोरा मेरे बिन तू अधूरा जो तू मिल जाए मुझसे मैं हो जाऊँ पूरा तेरे बिन जीने में है क्या बात मितवाबस तुझको दिल मेरा दे आवाज़ मितवातू भी भागे मेरी ओर मैं भी भागूं तेरी ओर बांधे तुझको मुझको है कोई अनदेखी सी डोर है बीच में शीशे कोई दीवार मितवाबस तुझको दिल मेरा दे आवाज़ मितवा तेरे मेरे बीच है जो दूरी जाने कैसे होगी पूरी बस तुझको पुकारूँ तेरा रस्ता निहारू जाने-आने का है ना कोई इंतजाम मितवाबस तुझको दिल मेरा दे आवाज़ मितवातेरे प्यार के सताए हमने अंगारे भी खाए दीदार तेरा जो पाया चिंगारी चाट के…See More
Jul 8
AMAN SINHA posted a blog post

मन के जीते जीत है

मन के जीते जीत है मन के हारे हारमन चाहे तो मिल जाए आँगन में हरिद्वारक्यों चले बाज़ार में करने को चित्कार मन की बात जो मान गए हो जाए सब उपचार बस मन हिन मानिए पट दिखलाए सटीक वापस लौट के आ जाए पथ से भटका पथिक मस्तिष्क तो एक यंत्र है संतुलन है काम निज स्वार्थ कू छोड़कर दिखे ना कोई धाम मन मनुज का बिम्ब है करता सीधी बात घात किसी का ना सहे ना करने दे आघात देखकर अपना लाभ सदा दिमाग को होता भ्रम शत्रु से करे दोस्ती मित्र से करता दंभ पर जो मन को भा गया कभी ना छोड़े साथ फायदा और नुकसान में कभी ना डाले हाथ मन…See More
Jul 2

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AMAN SINHA's Blog

ना जइयो परदेस सजनवा

ना जइयो परदेस सजनवा, बिन तेरे हिया ना लगे रे 

तोहरी राह तकते तकते हमरी, प्राण निकल ना जावे रे

जे तू हमरी सुध ना लेवे, ना हमारी पाती लौटावे रे 

तोहरी क़सम हम तोहरी खातिर भूख प्यास भी त्यागे रे

ना जइयो परदेस सजनवा, बिन तेरे हिया ना लगे…

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Posted on September 9, 2023 at 11:57pm

भोर होने को है देखो

भोर होने को है देखो, छट रहा है अंधेरा 

किस संशय ने तुमको अब भी रखा है घेरा 

बढ़ा कदम दिखा ताक़त तू अपने बुलंद इरादो की

कौन सी है दीवार यहाँ जिसने तुझको रोखे रखा है 

तू अगर चलेगा तो, मंज़िल भी तुझ तक आएगी 

भला बता वो तुझसे…

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Posted on September 2, 2023 at 7:33pm

फोन आया

फोन आया, 

कई सालों के बाद 

फिर उसका फोन आया 

पहले जब 

घंटी बजती थी, 

दिल की धड़कन भी बढ़ती थी 

लेकिन आज फोन बजा 

तो धड़कन ने इशारा नहीं…

Continue

Posted on August 19, 2023 at 9:00pm — 1 Comment

एक जनम मुझे और मिले

एक जनम मुझे और मिले मैं देश की सेवा कर पाऊं 

दुध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं 

 

मुझको तुम बांधे ना रखना अपनी ममता के बंधन में 

मैं उसका भी हिस्सा हूँ तुमने है जन्म लिया जिसमे  

 

शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है 

लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी बस एक बलिदान ही मांगे है 

 

सब ही आंचल मे छुपे तो देश को कौन सम्हालेगा 

सीमा पर शत्रु सेना से फिर कौन कहो लोहा लेगा 

 

तुमने दुध पिलाया मुझको…

Continue

Posted on August 15, 2023 at 1:30pm

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