बस बहुत हुआ, अब जाने दो, साँस जरा तो आने दो,
घुटन भरे इस कमरे में, जरा धूप तो छट कर आने दो,
बस बहुत हुआ, अब जाने दो।
बहुत सुनी कटाक्ष तेरी, बात-बात पर दुत्कार तेरी,
शूल के जैसे बोल तेरे, चुन-चुन कर मुझे हटाने दो।
खामोशी में है…
ContinuePosted on August 4, 2024 at 4:10pm
बात कुछ और सोची थी, बात कुछ और निकली है
मेरे दिलबर के दिल की कहानी कुछ और निकली है
बड़ी फुर्सत से उस रब ने करी थी कारीगरी लेकिन
जो बन के है आई वो जवानी कुछ और निकली है
सुनाई थी जो तुमने ही कहानी, फिर से दोहरा दो
मेरे वीरान गुलिस्तां में डाली फूलों की लहरा दो
तेरे आने से जो खुशबू हवा में घुल सी जाती थी
तू है अब भी वही, लेकिन वो खुशबू कुछ और निकली है
खनक थी चूड़ियों में जो, झनक थी पायलों में जो
बिना…
Posted on July 23, 2024 at 8:03pm
रण भूमी में अस्त्र को त्यागे अर्जुन निःस्तब्ध सा खडा हुआ
बेसुध सा निःसहाय सा केशव के चरणों मे पडा हुआ
कहता था ना लड पायेगा, वार एक ना कर पायेगा
शत्रु का है भेष भले पर वो अपना है जो अडा हुआ
कैसे मैं उनपर प्रहार करूँ, जिनका मैं इतना सम्मान…
ContinuePosted on March 23, 2024 at 5:57am — 1 Comment
काश कहीं ऐसा हो जाता,
मैं जगता तू सो जाता
मेरी हंसी तुझे मिल जाती
तेरे बदले मैं रो लेता
काश कहीं ऐसा हो जाता
तू चलता मैं थक जाता
पैर तेरे कभी ना रुकते…
ContinuePosted on March 19, 2024 at 6:02am — 1 Comment
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