क्या रंग है आँसू का कैसे कोई बतलाएगा?
सुख का है या दु:ख का है ये कोई कैसे समझाएगा?
कभी किसी के खो जाने से, कोई कभी मिल जाए तो
कभी कोई जो दूर हो गया, कोई पास कभी आ जाए तो
किस भाव में कितना बहता, कोई ध्यान नहीं रखता
हर हाल में इसका एक ही रंग है, फर्क ना कोई कर सकता
कभी दर्द में बह जाता है, हंसी में भी ये दूर…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 25, 2022 at 11:47am — 2 Comments
आँधियों से क्या गिला .....
2122 2122 2122 212
रूठ जाएँ मंजिलें तो रहबरों से क्या गिला
हो समन्दर बेवफ़ा तो कश्तियों से क्या गिला
टूट जाए घर किसी का ग़र हवाओं से कहीं
वक्त ही ग़र हो बुरा तो आँधियों से क्या गिला
याद आया वो शज़र जिस पर गिरी थी बारिशें
आज भीगे हम अकेले बारिशों से क्या गिला
ज़ख्म यादों के न जाने आज क्यूँ रिसने लगे
दर्द के हों जलजले तो आँसुओं से क्या…
Added by Sushil Sarna on May 24, 2022 at 4:00pm — 10 Comments
सिन्दूर (क्षणिकाएँ ).....
सजावट की
नहीं
निभाने की चीज है
सिन्दूर
******
निभाने की नहीं
आजकल
सजावट की चीज है
सिन्दूर
******
छीन लिया है
अर्थ
सिन्दूर का
वर्तमान के
बदले परिवेश ने
******
प्रतीक है
दो साँसों के समर्पण की
अभिव्यक्ति का
सिन्दूर
******
आरम्भ है
एक विश्वास के
उदय होने का
माथे पर अलंकृत
चुटकी भर
सिन्दूर
सुशील सरना /…
ContinueAdded by Sushil Sarna on May 23, 2022 at 10:53am — 2 Comments
12112 12112
सुरूर है या शबाब है ये
के जो भी है ला जवाब है ये
फ़क़ीर की है या पीर की है
के चश्म जो आब-ओ-ताब है ये
कज़ा है अगर सरक गया तो
जो चेहरे पे नकाब है ये
अजीब है सफ़ह-ए-ज़िंदगी भी
न पूछो की क्या जनाब है ये
कभी है ख़ुशी तो है कभी ग़म
बस एक ऐसी किताब है ये
हैं अश्क से आज चश्म जो नम
महब्बतों का हिसाब है ये
न जाने कोई है माज़रा क्या
की…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on May 22, 2022 at 8:00am — 10 Comments
तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो
चाहे उलाहना पाओ जितनी, तुम अपने जिद पर अड़ी रहो
गर्भ में ही मारेंगे तुमको, वो सांस नहीं लेने देंगे
कली मसल कर रख देंगे वो फूल नही बनने देंगे
तुम मगर गर्भ से निकल कर अपनी खुशबू बिखरा दो
तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो
चाहे पथ पर पत्थर फेंके, शिक्षा से रोके तुमको
कुछ पुराने मनोवृत्ति वाले चूल्हे में झोंके तुमको
तुम ना डिगना अपने प्रण से, एकाग्रचित्त हो जमी…
Added by AMAN SINHA on May 21, 2022 at 11:59am — No Comments
फिर किसी के वास्ते ......
क्यूँ दिलाएं हम यकीं दिल को किसी के वास्ते ।
हो गया दिल आज गमगीं फिर किसी के वास्ते ।
था बसाया घर कभी हमने किसी के ख़्वाब में ,
छोड़ दी हमने ज़मीं वो फिर किसी के वास्ते ।
मर मिटा था दिल कभी जो इक हसीं के नूर पर ,
तोड़ आए दिल वहीं वो फिर किसी के वास्ते ।
दे गया महबूब मेरा मुझ को जीने की सज़ा ,
आज क्यूँ जाने हज़ीं है दिल किसी के वास्ते ।
वो तसव्वुर में हमारे बस गई कुछ इस तरह…
ContinueAdded by Sushil Sarna on May 19, 2022 at 2:12pm — 3 Comments
मैं धरती बोल रही हूँ,
हाँ-हाँ धरती बोल रही हूँ
अपनी व्यथा सुनाने को मैं
मैं कब से डोल रही हूँ
मैं धरती बोल रही हूँ
मैंने ही तुमको जन्म दिया…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 16, 2022 at 11:30am — 2 Comments
गजल- ज़ुल्फ की जंजीर से ......
2122 2122 2122 212
आश्ना होते अगर हम हुस्न की तासीर से
दिल लगाते हम भला क्यों ज़ुल्फ़ की ज़ंजीर से
खा रहे थे लाख क़समें जो हमारे प्यार की
दे गए वो दर्द लाखों इक नज़र के तीर से
हमसफ़र बन कर चले वो रास्ते में छोड़ कर
भर गए झोली हमारी ग़र्द की जागीर से
मंज़िलों के पास आ के दूर मंज़िंलें हो गई
क्या गिला शिकवा करें हम धड़कनों के पीर से
बाद मुद्दत के मिले…
ContinueAdded by Sushil Sarna on May 13, 2022 at 9:00pm — 8 Comments
दर्द है ये दो दिलों का, एक का होता नहीं
जागते है संग दोनों, कोई भी सोता नहीं
ये ख़ुशी है या के ग़म है, कोई कह सकता नहीं
दर्द का वैसे भी यारो, रंग होता हीं नहीं
याद आती है घडी वो, जब पहली बार हम मिले थे
बसंत के वो दिन नहीं थे, पर फूल दिल में खिले थे
क्या हुआ जो…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 13, 2022 at 1:00pm — No Comments
ख़यालों में मेरे ख़याल एक आता है
भरम मेरा मुझको यूं भरमा के जाता है
दिखता नहीं है पर कोई बातें करता है
नहीं साथ मेरे पर महसूस होता है
मैं अंजान उससे पर वो जानता है
वो है बस यहीं पर ये दिल मानता है
दिखा जो कहीं पर तो पहचान लूंगी
यही मर्ज़ मेरा है मैं जान लूंगी
वो है झोंका हवा का है अंदाज़…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 12, 2022 at 1:31pm — No Comments
बुझते नहीं अलाव .....(दोहा गज़ल )
मौन प्रीत के हो गए, अंकित मन में भाव ।
इन भावों के उम्र भर, बुझते नहीं अलाव ।।
साँसों को मिलती नहीं, जब तक प्रीत की साँस,
रिसते रहते ह्रदय में, मौन प्रीत के घाव ।
आँखों को देती रहीं , आँखें ये संदेश ,
दूर किनारा है बहुत , कागज की है नाव ।
अजब अगन है प्रीत की, अजब प्रीत की रीत ,
नैन कोर से याद के , होते रहते स्राव ।
ठहर गया है वक्त भी…
ContinueAdded by Sushil Sarna on May 11, 2022 at 11:30am — 10 Comments
2122 2122 2122 212
है तेरे दम से ही रौशन मेरे जीवन की बहार।
तू नहीं तो ज़िन्दगी में मिल नहीं सकता करार।
पास तेरे रहने का हासिल नहीं है वक़्त पर ,
मेरी साँसों में बसा है तेरी साँसों का खुमार।
ज़िन्दगी की उलझनों से तंग आ जाता हूँ जब,
याद आ जाता है मुझको तब तेरी बाहों का हार।
हर घड़ी तेरी कमी महसूस होती है यहाँ,
ये पराया शहर मुझको तोड़ता है बार बार।
फासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था,
है सफर इक रात का…
Added by मनोज अहसास on May 10, 2022 at 10:30pm — 3 Comments
दोहा मुक्तक.....
अपने कृत्यों से कभी, देना मत संताप ।
माँ के चरणों में कटें, जन्म- जन्म के पाप ।
फर्ज निभाना दूध का , हरना हर तकलीफ -
बेटे को आशीष से, माँ के मिले प्रताप ।
* * * *
भूले से करना नहीं, माता का अपमान ।
देना उसके त्याग को, सेवा से सम्मान ।
मूरत है ये ईश की, ये करुणा की धार -
माँ के चरणों में सदा, सुखी रहे सन्तान ।
सुशील सरना / 10-5-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on May 10, 2022 at 8:12pm — 5 Comments
1212 - 1122 - 1212 - 112
इबादतों में अक़ीदत की सर-कशी न मिला
महब्बतों में मेरे यार दुश्मनी न मिला
हवाओं में न कहीं अब ये ज़ह्र घुल जाए
फ़ज़ा को साफ़ ही रहने दे शोरिशी न मिला
कहीं नहीं है कोई ग़ैर दूर-दूर तलक
मगर क़रीब भी मुझको मेरा कोई न मिला
सिहर उठा हूँ किया याद वक़्त वो जब जब
चिता को आग लगाने को आदमी न मिला
मिले हैं यूँ तो हज़ारों हसीं ज़माने में
जिसे तलाशता रहता हूँ बस वही…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 10, 2022 at 1:57pm — 10 Comments
ज़मीन पर पड़ा अवशेष
बरगद का मूल आधार शेष
सोचता है आज
कल तक था बरगद विशाल
बरगदी सोच,बरगदी ख्याल
बरगदी मित्र ,मन भी बरगदी
सहयोगी प्रतिद्वंदी बरगदी बरगदी
गर्वित निज का उत्कर्ष रहा
शेष की लघुता पर हर्ष रहा
निज तक की जड़ को नहीं ताका
गैर की छांह को कभी न लांघा
झुकना न सीखा सूखना न जाना
मनना न सीखा रूठना न जाना
आंधी को थकाया
मेघों को रुलाया
जलते सूरज को छतरी…
ContinueAdded by amita tiwari on May 9, 2022 at 9:00pm — 11 Comments
माँ सिर्फ जननी ही नही पालनहार भी होती हैं। संतान के जीवन को परिपूर्णता देने वाला माँ जीवन का संबल साया होता हैं। बच्चों के संघर्ष में कदम-दर-कदम साथ निभाती माँ का भरोसा आत्मविश्वास को कभी कम नही होने देती। अपने बच्चों के इर्द-गिर्द सपने बुनती माँ का स्पर्श तसल्ली देता हैं उसके कहे शब्द ,सीखे संकटमोचक बनकर हिम्मत देते हैं,ढांढस बँधाते हैं। प्यार-दुलार की बारिश करने वाली माँ भावनाओं का ऐसा अथाह सागर हैं माँ शब्द में पूरा संसार समाया हैं।अपने पूरे जीवन को समर्पित करने वाली माँ के त्याग अनमोल…
ContinueAdded by babitagupta on May 8, 2022 at 9:10am — 2 Comments
मुक्तक
आधार छंद - मनोरम
प्यार का इजहार लेकर ।
आस का अंबार लेकर ।
दे रहा आवाज कोई -
श्वास का शृंगार लेकर ।
***
प्रीत का संसार देकर ।
मौन का आधार देकर ।
छल गया विश्वास कोई -
स्पर्श का अंगार देकर ।
***
ख्वाब जो साकार होते ।
दर्द क्यों गुलज़ार होते ।
तिश्नगी को जीत लेते -
आप का हम प्यार होते ।
सुशील…
ContinueAdded by Sushil Sarna on May 6, 2022 at 2:18pm — 4 Comments
तोड़े थे यकीन मैंने मुहल्ले की हर गली में
चैन हम कैसे पाते इतनी आहें लेकर
मौत हो जाए मेहरबा हमपे नामुमकिन है
ठोकरे हीं हमको मिलेंगी उसके दरवाज़े पर
हर परत रंग मेरा यूँ ही उतरता गया
ज़मी थी सख्त मैं मगर बस धंसता हीं गया
गुनाह जो मैंने किये थे बे-खयाली में
याद करके उन सबको मैं बस गिनता…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 6, 2022 at 12:54pm — 1 Comment
२२१/२१२१/१२२१/२१२
होता न माँ का तुझ पे जो अहसान आदमी
मिलते न राम -श्याम से भगवान आदमी।१।
*
चरणों में माँ के तीर्थ हैं दुनिया जहान के
समझा नहीं है आज भी यह ज्ञान आदमी।२।
*
माता बसी हो मन में तो शौतान मारकर
नारी का जग में करता है सम्मान आदमी।३।
*
गीता कुरान बाँचना तब ही सफल समझ
मन माँ का पढ़के जब हुआ इन्सान आदमी।४।
*
पढ़ने को माँ के रूप में केवल किताब इक
लिखने को लिख ले लाख तू दीवान आदमी।५।
*
चाहे पिता के नाम का सिर पर है ताज…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 6, 2022 at 12:31pm — 10 Comments
2122 2122 2122 212
1
औरों के जैसा मुकद्दर यार अपना है कहाँ
अपने दिल का जोर उसके दिल प चलता है कहाँ
2
रात होती है कहाँ और दिन गुज़रता है कहाँ
मन मुआफ़िक़़ ज़िन्दगी में जीना मरना है कहाँ
3
एक दिन में कुछ नहीं पर एक दिन होगा ज़रूर
आदमी ये सब्र तब तक यार रखता है कहाँ'
4
आज तक कोई नहीं यह जान पाया दोस्तो
इस ज़माने को बनाने वाला रहता है कहाँ
5
किस तरह भर लूँ उनींदी आँखों में ख़्वाबों के…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on May 6, 2022 at 10:30am — 8 Comments
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