Added by Abhinav Arun on August 14, 2011 at 3:30pm — 14 Comments
Added by Abhinav Arun on August 14, 2011 at 1:39pm — 16 Comments
Added by satish mapatpuri on August 14, 2011 at 12:00am — 6 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on August 13, 2011 at 8:30am — 3 Comments
मिशन इज ओवर (कहानी )
लेखक -- सतीश मापतपुरी
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अंक - चार
एक दिन रहमत…
ContinueAdded by satish mapatpuri on August 12, 2011 at 10:30pm — 6 Comments
Added by Abhinav Arun on August 12, 2011 at 7:37pm — 8 Comments
Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on August 12, 2011 at 9:00am — 1 Comment
फिर आ रहा है १५ अगस्त. फिर से उस दिन सुबह उठते ही हम देश प्रेम के गीत को सुनेगे | सारे समाचार,टीवी चैनल सब जगह देश प्रेम की बाते की जायेगी, स्कुलो में भी गली के सबसे भ्रष्ठ नेता जी को देश प्रेम का भाषण देने के लिए बुलाया जाएगा | टीवी चैनल्स पर देश प्रेम की फ़िल्म लगाई जायेगी,दया करुणा प्रेम भाईचारे के साथ रहने की कसम खाई जायेगी. पूरा देश,देशभक्ति के रंग में डूब जाएगा..और जैसे…
ContinueAdded by Tapan Dubey on August 12, 2011 at 2:00am — 3 Comments
लेखक -- सतीश मापतपुरी
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अंक - तीन
विकास के पूछने पर अली ने कहा- 'एड्स के मामले में भला मैं क्या बोल सकता हूँ?...........सच पूछो तो गाँव में इसका रहना उचित भी नहीं है…
Added by satish mapatpuri on August 11, 2011 at 11:30pm — 2 Comments
दोहा सलिला:
गले मिले दोहा यमक...
संजीव 'सलिल'
*
गले मिले दोहा यमक, झपक लपक बन मीत.
गले भेद के हिम शिखर, दमके श्लेष सुप्रीत..
गले=कंठ, पिघले.
पीने दे रम जान अब, ख़त्म हुआ रमजान.
कल पाऊँ, कल का पता, किसे? सभी अनजान..
रम=शराब, जान=संबोधन, रमजान=एक महीना, कल=शांति, भविष्य.
अ-मन नहीं उन्मन मनुज, गँवा अमन बेचैन.
वमन न चिंता का किया, दमन सहे क्यों चैन??
अ-मन=मन…
Added by sanjiv verma 'salil' on August 11, 2011 at 10:00am — 7 Comments
मिशन इज ओवर (कहानी )
लेखक -- सतीश मापतपुरी
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इंसान अगर जीने का मकसद खोज ले तो निराशा स्वत: दम तोड़ देगी. विकास को निराशा के गहरे अँधेरे कुंए में आशा की एक टिमटिमाती रोशनी नज़र आई,उसने मन ही मन सोचा -" क्यों न एड्स के साथ जी रहे लोगों के पुनर्वास और उनके प्रति लोगों के दृष्टिकोण में…
ContinueAdded by satish mapatpuri on August 11, 2011 at 1:00am — 5 Comments
Added by rajkumar sahu on August 10, 2011 at 10:25pm — No Comments
फिर नज़दीक आती स्वतंत्रता दिवस की एक और वर्षगाँठ और मन में उठते सवालों का बवंडर ,क्या यह पूर्ण स्वतंत्रता है या क्या येही स्वतंत्रता है ? की जब जिसे चाहो लूट लो ,मार दो ,उजाड़ दो ? या फिर ..आज शहीदों को नमन करो कल भूल जाओ ? या फिर गरीबों की सहायता करने के झूठे वादे करो ,अपना मतलब साधो और…
ContinueAdded by Lata R.Ojha on August 10, 2011 at 10:00pm — No Comments
Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on August 10, 2011 at 10:30am — 4 Comments
मै पश्चिम वाली कोठरी में आलमारी पर पड़े सामानों को इधर-उधर कर के देख रहा था| तभी मेरी नज़र एक निमंत्रण कार्ड पर पड़ी| कार्ड के ऊपर देखने पर पता चला की वो निमंत्रण भैया के नाम से था, प्रेषक वाली जगह के नाम से मै अनजान था| कौतुहल वश मैंने बड़ी आसानी से अन्दर के पत्र को निकाल कर देखा, अगले दिन बारात आने वाली थी| दर्शनाभिलाषी में पढने पर ज्ञात हुआ की वह निमंत्रण भैया के एक मित्र के बहन की शादी का था| मै और भैया एक ही स्कूल में पढ़े थे और उनके लगभग सारे मित्र मुझे भी…
ContinueAdded by आशीष यादव on August 10, 2011 at 10:00am — 11 Comments
मिशन इज ओवर (कहानी )
लेखक -- सतीश मापतपुरी
अनायास विकास एक दिन अपने गाँव लौट आया. अपने सामने अपने बेटे को देखकर भानु प्रताप चौधरी के मुँह से हठात निकल गया -"अचानक ..... कोई खास बात ......?" घर में दाखिल होते ही प्रथम सामना पिता का होगा, संभवत: वह इसके लिए तैयार न था, परिणामत: वह पल दो पल के लिए सकपका गया ............. किन्तु, अगले ही क्षण स्वयं को नियंत्रित कर तथा अपनी बातों में सहजता का पुट डालते…
ContinueAdded by satish mapatpuri on August 10, 2011 at 1:30am — 6 Comments
ग़ज़ल :- हथेली पे कैक्टस उगाने से पहले
हथेली पे कैक्टस उगाने से पहले ,
ज़रा सोचना तिलमिलाने से पहले |
मोहब्बत से तौबा तो …
Added by Abhinav Arun on August 9, 2011 at 7:00am — 19 Comments
Added by Abhinav Arun on August 8, 2011 at 2:37pm — 8 Comments
भारत देश के सब मित्रों का,
अन्तःमन से अभिनंदन है.
नैतिक मूल्यों को सदा समर्पित,
विश्व हेतु यह आह्वाहन आयी.
आओ हम इस मानवता को,
सत्य प्रेम नव पाठ पढ़ा दें,
भ्रष्ट अनैतिक आतंको का,
दुनिया से अब नाम मिटा दें.
करें मित्रता हम सब मिलकर,
विश्व एक परिवार बनाकर,
आज मित्र दिवस के अवसर पर,
यही सभी से अर्चन है.
Added by vishnukantmisra on August 7, 2011 at 11:00am — No Comments
अपने मन को मुर्झाने मत देना
अपने बच्चों की दुनियाँ को कुम्हलाने मत देना
बच्चे यदि पापा से मिलने को मचलें ,तो उन्हें ,
समन्दर की लहरें दिखा लाना ,
बगीचे में जाकर फूलों की खुशबू सुंघा लाना |
क्या हुआ जो एक जिन्दगी ने
'अपने अनगिनत बसंत देश के नाम लिख दिए ?
लोग पतंगों की मानिंद जी कर…
ContinueAdded by mohinichordia on August 7, 2011 at 10:00am — 2 Comments
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