कहाँ आज़ाद हैं हम
हजारों हर तरफ ग़म
भ्रष्टाचार के टीले - पहाड़
और जनता की नित हार
अवनति का शोर
घुप्प अन्धेरा घोर
कहाँ उम्मीद
गहरी नींद
हुक्काम सो रहे
हम रो रहे
यही थी तुम्हारी कल्पना ?
रामराज की ऐसी अल्पना ??
गरीबी अमीरी की ऐसी खाई
प्याज रोटी की महंगाई
हमारी हाय में अब स्वर कहाँ है ?
हज़ारों प्रश्न हैं उत्तर उत्तर कहाँ है ??
== अभिनव अरुण
Comment
आदरणीय सर्वश्री अम्बरीश जी एवं आशीष जी हार्दिक आभार आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए उत्साहवर्धन है |शुक्रिया !
हुक्काम सो रहे
हम रो रहे
यही थी तुम्हारी कल्पना ?
रामराज की ऐसी अल्पना ??
बिलकुल आज हकीकत पर कविता है|
बधाई
//हुक्काम सो रहे
हम रो रहे
हमारी हाय में अब स्वर कहाँ है ?
हज़ारों प्रश्न हैं उत्तर उत्तर कहाँ है ??//
वाह भाई अरुण जी वाह ! आपने इन चन्द पंक्तियों में सभी कुछ कह डाला ! बहुत बहुत बधाई मित्र !
आदरणीय मोनिका जी आप की टिप्पणी स्वयमेंव एक काव्य रचना है प्रोत्साहित करती | साधुवाद !! आभार !!
बहुत सारे सवाल खड़े करती हे ये कविता और सोचने पर मजबूर हो जाते हे हम की हमारी आज़ादी क्या वाकई आज़ादी हे ....? हम तो आज भी गुलाम ही हे.
"करना हे घेराव तो दुखो का घेराव करो
बंद ही जो होना हे भ्रष्टाचार बंद हो
तोड़ फोड़ करनी हे तो तोडो वर्गभेद जिससे
आदमी पर आदमी का अत्याचार बंद हो"
thanks rohit jee and thanks a lot to atendra jee !
हमारी हाय में अब स्वर कहाँ है ?
हज़ारों प्रश्न हैं उत्तर उत्तर कहाँ है ??
sabse pahle aapko sadar pranaam ...aapne apni es kavita men us baat ko ujagar kiya hai jo hame aazadi ke baad bhi anekon prasn hamaare sammukh khada hai parantu uttar ke abhaw men aaj bhi prasnchinh laga hua hai.............
aapki rachana achhi lagi ....abhut bahut badhai.........
बेहतर
सही कहा गणेश जी और अब समय आ गया है की आवाज़ उठाई जाए |
यही थी तुम्हारी कल्पना ?
रामराज की ऐसी अल्पना ??
गरीबी अमीरी की ऐसी खाई
प्याज रोटी की महंगाई
आपने ठीक कहा हिंदुस्तान की अधिकतम जनता का यही हाल है |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online