For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- मत फलक पर चाँद तारे बोइये

ग़ज़ल :- मत फलक पर चाँद तारे बोइये

मत फलक पर चाँद तारे बोइए ,

रख परे सपनों को चुपकर सोइए |

 

है बहुत आसान टीका टिप्पणी ,

आईने से पेश्तर मुंह धोइए |

 

मछलियों का रूप आकर्षक है पर ,

तलहटी में मूंगे मोती टोइए |

 

अब सियासत का कोई मकसद नहीं ,

नोट के बदले में इज्ज़त खोइए |

 

आज चौराहे पे सच की लाश है ,

और घर घर में रूई के लोइए |

 

 

डर से मुश्किल है रहूँ खामोश मैं ,

आप ही ऐसी रवायत ढोइए |

 

हाथ खाली ही चले जाना मियाँ ,

किसकी खातिर और क्योंकर रोइए |

 

दर्द की कीलें भी देती हैं सुकून ,

आप ईसा की तरह तो होइए |

 

                           - अभिनव अरुण

Views: 585

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on September 6, 2011 at 12:37am

वाह वाह वाह इन दो शेर ने तो ऐसा बाँधा लिया है कि आगे बढ़ने का मन ही नहीं कर रहा था

बहुत खूब अभिनव जी

मत फलक पर चाँद तारे बोइए ,

रख परे सपनों को चुपकर सोइए |

 

है बहुत आसान टीका टिप्पणी ,

आईने से पेश्तर मुंह धोइए |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 14, 2011 at 8:35pm

दर्द की कीलें भी देती हैं सुकून ,

आप ईसा की तरह तो होइए |

 

अभिनव भाई, बेहद गंभीर प्रकृति की ग़ज़ल कही है आपने , दाद कुबुल किजिये |

Comment by Abhinav Arun on August 12, 2011 at 7:06pm

पुनः एक बार आभार .... ह्रदय से ! गुरु जी आपका स्नेह बना रहे !!

Comment by Rash Bihari Ravi on August 12, 2011 at 6:58pm

दर्द की कीलें भी देती हैं सुकून ,

आप ईसा की तरह तो होइए |

kya bat hain sir ji bahut sundar

 

Comment by Abhinav Arun on August 12, 2011 at 6:50pm
बहुत बहुत शुक्रिया सतीश जी रचना आपको पसंद आयी मैं धन्य हुआ !!
Comment by satish mapatpuri on August 11, 2011 at 1:15am

हाथ खाली ही चले जाना मियाँ ,

किसकी खातिर और क्योंकर रोइए |

धन्यवाद अभिनवजी, बहुत खुबसूरत ख्याल है I

Comment by Abhinav Arun on August 9, 2011 at 8:52am
शुक्रिया आशीष जी इस त्वरित प्रतिक्रिया के  लिए !! और आपका शेर भी बहुत ख़ूब है !! ढेरों शुभकामनाएं !!
Comment by आशीष यादव on August 9, 2011 at 8:13am

kuchh isi bahar par tippani ka prayaas kiya hu.

margdharshan kare.

इस ग़ज़ल में सच में गूढ़ तत्व है|
पढ़ के पाए मोति, ना पढ़ कर खोइए||

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service