स्वादिष्ट निमंत्रण
तुहिना वर्मा 'तुहिन'
''खट्टे-मिट्ठे जिज्जाजी को चटपटी साली जी यानी आधी घरवाली…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on July 31, 2011 at 12:30pm — No Comments
Added by rajkumar sahu on July 30, 2011 at 11:23pm — No Comments
कल शाम से ही स्वर्ग और नरक या कहे तो जन्नत और जहन्नुम दोनों में हडकंप मचा हुआ है कारण आप सब जानते है. वो एसा कारण तो है ही जिसके कारण हडकंप मच सके आखिर उसने २६ नवम्बर २००८ को पूरे मुंबई में हडकंप मचा दिया था. हाँ में उसी महान (अन्यथा ना ले पर पिछले दो साल से जिस तरह से उसे सर आँखों पर बिठाकर उसकी…
ContinueAdded by kanupriya Gupta on July 30, 2011 at 2:30pm — No Comments
उन्हें किस्सा ऐ गम सुनाते सुनाते
कटी रातें आँसू बहाते बहात
कहीं बुझ न जाये चिरागे ऐ तमन्ना
चिरागे ऐ मोहब्बत जलाते जलाते
किसी को खबर हीं नहीं लुट गया हूँ ..
.मोहब्बत की दुनिया बसाते बसाते
कह दे कोई उनसे वो खुद बाज़ आ जाये अपने सितम से
हम थक गये है उन्हें मनाते मनाते…
Added by Niraj kumar on July 29, 2011 at 2:00pm — 1 Comment
कौन हो तुम ?
अलसाई सी सुबह में कोमल छुवन के अहसास से हो
अनजाने चेहरों में एक अटूट विश्वास से हो...
गडगडाते बादलों में सुरक्षा के अहसास के जैसे,
काँटों भरी दुनिया में स्वर्ग के पारिजात के जैसे
बद्दुआओं की भीड़ में ईश्वर के आशीर्वाद से तुम
लम्बे समय के मौन में आँखों के संवाद से तुम...
लड़कपन की उम्र में कनखियों के प्यार तुम,
हर मोड़ की हार के बाद आशाओं के विस्तार तुम.
सूनी आँखों से…
ContinueAdded by kanupriya Gupta on July 29, 2011 at 11:30am — 1 Comment
ज़िन्दगी का सफ़र कितना ही कठिन हो मगर,
हँस कर गुज़ार ही लूंगी!
संघर्षो की तपती धूप में तपकर,
अवसादों की गहरी छाया में चलकर,
मंजिल को पा ही लूंगी!
लम्बी पगडंडियों में चलते चलते अक्स
काँटों की छुअन से मनन विचलित होता हैं,
तो भी इस कटीली छुअन से ज़िन्दगी का सार ही लूंगी!
Added by Vasudha Nigam on July 28, 2011 at 1:00pm — 2 Comments
याद आते है वो लम्हे तो आँखो से आँसू छलक जाते है,
वो किताबो वाले दिन बडी मुश्किल से मिलते है,
हम तो यादो मे जलते है पर वो कहीं और रहते है,
याद आते है वो लम्हे तो आँखो से आँसू छलक जाते है,
वो घंटो बाते…
Added by Bishwajit yadav on July 28, 2011 at 1:00pm — 1 Comment
दूर मंजिल कब मिलेगी रास्ता कोई नहीं,
वो मुसाफिर हूँ कि जिसका रहनुमा कोई नहीं.
आशिकी में जो बने हैं आज मजनू देखिये,
है अजब ये चीज उल्फत खुशनुमा कोई नहीं.
दोस्ती से दिल मिला लो सामने है आइना,
दुश्मनी को दूर रक्खो है मज़ा कोई नहीं .
वो जो आये हैं यहाँ पर खिल गया…
Added by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2011 at 10:30pm — 8 Comments
1. समारू - कामनवेल्थ गुरू सुरेश कलमाड़ी, जांच एजेंसी के सामने मुंह नहीं खोल रहे हैं।
पहारू - मगर, ए. राजा तो जुबान खोलकर सरकार का सिरदर्द बन गया है।
2. समारू - बिलासपुर में आईटीआई का पर्चा लीक होने की खबर है।
पहारू - छग के लिए पर्चा लीक होना कौन सी बड़ी बात है।
3. समारू - ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने सूत की माला से जूता साफ किया।
पहारू - नेता तो जनता को बरसों से जूते के ‘तलवे’ नीचे रखते आ रहे हैं।
4. समारू - छग सरकार ने अब शहरों…
Added by rajkumar sahu on July 27, 2011 at 9:00pm — No Comments
शहर के किसी कालेज की
Added by Ritik 'Hatif' on July 27, 2011 at 8:30pm — 4 Comments
छत्तीसगढ़ की काशी के नाम से विख्यात लक्ष्मणेश्वर की नगरी खरौद में सावन सोमवार पर श्रद्धालुओं का तांता लगता है। भगवान लक्ष्मणेश्वर के दर्शन के लिए प्रदेश से अनेक जिलों के अलावा दूसरे राज्यों से भी दर्शनार्थी भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां सावन सोमवार के दिन सुबह से श्रद्धालुओं की लगी कतारें, देर रात तक लगी रहती हैं और भक्तों के हजारों की संख्या में उमड़ने के कारण मेला का स्वरूप निर्मित हो जाता है। भगवान लक्ष्मणेश्वर स्थित ‘लक्षलिंग’ में एक चावल चढ़ाया जाता है और श्रद्धालुओं में असीम…
ContinueAdded by rajkumar sahu on July 27, 2011 at 5:12pm — No Comments
हर प्रश्न का हल भी वो है
और
जटिल प्रश्नों से भरी उलझन भी वो है........
क्या है वो.....
जीवन की परिभाषा वो
मृत्यु की परछाई वो
जीवन तो पहले भी था
अब जीवन की सार्थकता भी वो है.......
क्या है वो......
बिंदिया की चमक वो
कंगन की खनक वो
शृंगार तो सजाता पहले भी था
अब शृंगार की चमक भी वो है
क्या है वो.....
दिल की धड़कन भी वो
चेहरे की ख़ुशी भी वो
ख़ुशी पहले भी थी
पर ख़ुशी की खनक भी वो
क्या है वो......
एक…
Added by Yogyata Mishra on July 27, 2011 at 5:00pm — 6 Comments
Added by sangeeta swarup on July 27, 2011 at 4:00pm — 16 Comments
Added by rajkumar sahu on July 27, 2011 at 12:05pm — No Comments
बेल की पाती -कपूर की बाती.
बेला है थाली सजावन की.
सखी पावन सोमारी है सावन की .
सावन में शंकर को दूधो नहाओ.
रोरी और चन्दन का टीका लगाओ.
महीना है शम्भु मनावन की.
सखी पावन सोमारी है सावन की .
…
ContinueAdded by satish mapatpuri on July 26, 2011 at 11:00pm — No Comments
हज़रत निज़ामुद्दीन-बैंगलोर राजधानी ऐक्स्प्रेस में दो रातों तक कुछ नन्हे-मुन्ने कॉकरोचों से दो-दो हाथ करते हुए 30 अक्टूबर की सुबह जब हम बैंगलोर सिटी जंक्शन पहुंचे तो दिन निकल चुका था । ट्रेन रुकने से पहले ही हमें उन क़ुलियों ने घेर लिया जो चलती ट्रेन में ही अन्दर आ गये थे । सामान उठाकर ले चलने से लेकर होटल दिलाने, लोकल साइट-सीइंग और मैसूर-ऊटी तक का टूर कराने के ऑफ़र्ज़ की बरसात होने लगी । मगर हम तो काफ़ी जानकारी पहले से ही इकट्ठा करके पूरी तैयारी से आये थे, इसलिये क़ुली साहिबान की दाल नहीं…
ContinueAdded by moin shamsi on July 26, 2011 at 1:34pm — 15 Comments
क्या इसी को मुहब्बत कहते हैं
जब हम बैचेन से रहते हैं
अक्सर कुछ कहने की चाह मे
सपनों मे खोये रहते हैं
क्या इसी को मुहब्बत कहते हैं
उनकी एक झलक पाने के लिए
हम हर दिन राहों मे इंतजार करते हैं
न जाने क्यों हम कुछ कहने से डरते हैं
क्या इसी को मुहब्बत कहते हैं
अक्सर वो सपनों में आती है
आँखें खोलूँ तो न जाने कहाँ चली जाती है
सिर्फ इन आँखों को उसकी ही सूरत भाती है
क्या इसी…
Added by Bishwajit yadav on July 26, 2011 at 10:30am — 6 Comments
अभी कुछ दिनो पहले
Added by Aradhana on July 25, 2011 at 7:30pm — 16 Comments
१.
उम्र के इस पड़ाव पर
खड़ा हूँ ये सोच कर
क्या खोया क्या पाया
समझूँ सबकुछ देख कर
वही पर हूँ
जहाँ पर था
उस समय भी
मैं ही था
आज भी हूँ
उस समय
मैं बालक था
लड़कपन और ठिठोली करता
आज भी हूँ
वही बालक
मगर अंतर हैं
तब वो पुत्र था
आज ये पिता है.
२.
मैं स्कूल नहीं जाऊँगा ,
जब ये शब्द मुझे याद आते हैं
कसम से
बहुत याद…
Added by Rash Bihari Ravi on July 25, 2011 at 7:30pm — 4 Comments
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