For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

व्यंग्य - आओ धर्मशाला में उम्र गुजारें !

जैसा नाम ही है, धर्मशाला। देखिए, इस लिहाज से मानव धर्म का कुछ तो काम होगा ही। अब यहां राजनीतिक गोटी बिछने वाली धर्मशाला की बात कर लें, क्योंकि इन दिनों देश में धर्मशाला की नई वेरायटी पर बहस शुरू हो गई है और ‘राजनीतिक धर्मशाला’ की खासियत मुझे पता नहीं है, क्योंकि कभी मेरा पाला नहीं पड़ा है। वैसे भी इस धर्मशाला में हर समय जिस तरह से हुज्जतबाजी मची रहती है, उसके बाद मेरा मन नहीं कहता कि चले जाओ और अपने को कोसने के काबिल बनाओ।
पिछले दिनों जिन्न की बोतल से ‘राजनीतिक धर्मशाला’ सामने आई। एक धर्मशाला के पुराने सिपहसालार ने ‘धर्मशाला’ को एक तरकश बताया और कहा कि इस धर्मशाला में जो जब चाहे जा सकता है और जब मन गुलाटी मारते फुदकने लगे, फिर वापस आया जा सकता है। एक बात तो है, धर्मशाला में जमावड़ा होता है, ये अलग बात है कि उसकी केटेगरी बदल जाती है। गांवों की धर्मशालाओं में दो जून की रोटी के लिए मशक्कत करने वाले महागरीब दर्शन देते हैं और वहां अपनी शोभा बढ़ाते हैं, वहीं राजनीतिक धर्मशाला में ऐसे खास चेहरों को जगह मिलती है। जिनकी अपनी शाख होती है, पैसा होता है, पॉवर होता है। गरीब को कोई न तो जिंदा रहते कभी पूछता है और न ही मरने के बाद। गरीबी में मर-मरकर किसान अन्न उपजाता है और देश के करोड़ों पेट भरने में योगदान देता है, मगर वह खास किस्म की धर्मशाला में एंट्री करने मरते दम तक काबिल नहीं हो पाता। दूसरी ओर जिसके पास दमखम है, जो तंत्र का पाचनतंत्र बिगाड़ सकता है, हुकूमत से दो-दो हाथ कर सकता है, कुछ ऐसे किस्मों के लिए ‘राजनीतिक धर्मशाला’ पनाहगाह बनती है।
मैं ये तो कहूंगा कि हमारे जिस राजनीतिक बुजुर्ग ने अपनी जुबान से ‘अथ धर्मशाला कथा’ सुनाई है, निश्चित ही उन्होंने बहुत ही उल्लेखनीय कार्य किया है। कहने का मतलब यह है कि उन्होंने इससे पहले कई बार अपनी जुबान से अपनी ‘धर्मशाला’ की अलग-अलग कथा का आलिंगन किया है, मगर धर्मशाला कथा और उसकी तरकश की कहानी कभी नहीं सुनाई। उन्होंने देश की जनता को धन्य कर दिया है, क्योंकि वे जिस धर्मशाला में रहते आए हैं, उसके मुकाबले ये धर्मशाला में रहने व जाने वाले, ज्यादा पॉवरफुल होते हैं। कुछ तो किसी को धूल चटाने को आतुर नजर आते हैं और कुछ किसी की परछाई बर्दास्त नहीं करते, ये अलग बात है, वे रहते एक ही धर्मशाला में रहकर राजनीतिक तीन-पांच करते हैं। मजेदार बात यही है, बात बिगड़ जाती है तो वे चले जाते हैं और फिर धीरे से लगता है कि एक तीर से कोई निशाना नहीं लगने वाला है तो वे चले आते हैं, फिर उसी तरकश में, जहां उसने कुछ बरस बिताए या फिर पूरा जीवन दे दिया। उसे धर्मशाला भी पूरी तन्मयता से अपनाता है, भले ही उसने पहले उसकी कैसी भी तस्वीर बनाई हो, या कहें कि तस्वीर उधेड़ी हो।
राजनीतिक धर्मशाला में रहने के लिए, जैसा नाम है और जितना बड़ा पद है, उसके हिसाब से अर्थतंत्र को मजबूत करना पड़ता है। वे यह भी जानते हैं कि इस धर्मशाला में रहो या फिर न रहो, जो दिया वह वापस आने वाला नहीं है। खैर, ये तो सभी जानते हैं, एक बार देने के बाद कोई वापस करने के मूड में नहीं होता। धर्मशाला में कुछ तो धर्म-कर्म करने पड़ते हैं। अब तो समझ में आ गया होगा, अफसाना धर्मशाला का, जहां किसी भी उम्र में आया जा सकता है। इसकी पूरी छूट है, जब तक मन न भरे, तब तक धर्मशाला की खिदमतगारी ली जा सकती है। कईयों की जिंदगी धर्मशाला के नाम लिखी नजर आती है। हालांकि, जिस दिन मन भौखलाया, उस दिन फिर काहे की धर्मशाला, किसकी धर्मशाला... हैं न।

राजकुमार साहू
लेखक व्यंग्य लिखते हैं।

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा . - 098934-94714

Views: 252

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
4 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service