हर प्रश्न का हल भी वो है
और
जटिल प्रश्नों से भरी उलझन भी वो है........
क्या है वो.....
जीवन की परिभाषा वो
मृत्यु की परछाई वो
जीवन तो पहले भी था
अब जीवन की सार्थकता भी वो है.......
क्या है वो......
बिंदिया की चमक वो
कंगन की खनक वो
शृंगार तो सजाता पहले भी था
अब शृंगार की चमक भी वो है
क्या है वो.....
दिल की धड़कन भी वो
चेहरे की ख़ुशी भी वो
ख़ुशी पहले भी थी
पर ख़ुशी की खनक भी वो
क्या है वो......
एक अनसुलझा एहसास
या अनकही पहली
क्या है वो....
जो होकर भी नहीं है
क्या है वो.....
प्रश्नों का हल या
जटिल सी उलझन.......
Comment
जो है न्यारा, उसे उभारा..
ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किञ्चजगत्यांजगत् ..
इंगितों से सजी-धजी सधी रचना.. बधाई.
thnx...bas kuch shabdo ko sajane ki koshish ki hai...thnx to u all for ue appreciation....
मन की उलझन को खूबसूरती से लिखा है ...
keye hai wo.............
batye to sahi.........
bahut badeya rachana hai............
क्या है वो.....
प्रश्नों का हल या
जटिल सी उलझन.......
वाह बहुत ही सुंदर रचना, एक रहस्यमयी रचना, उलझनों में उलझते , सवालों से घिरे कब रचना समाप्त हुई पता ही न चला, बधाई आपको |
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