For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,988)


सदस्य टीम प्रबंधन
राज कुँवरी (रूपमाला छंद)

रूप चंदा चाँदनी सम , चाँद भी शरमाय .
ठुमक ठुम ठुम ठुमक चलना , अंगना गुंजाय .
ओढ़ चूनर राज कुँवरी , झूमती इतराय .
मत करो रे पाप मानव , भ्रूण गर्भ गिराय .
 
तोतली बोली करे है , प्रेम की बरसात .
दुख सभी के सब हरे है , हो निशा या प्रात .
नयन की भाषा पढ़े है , नयन से हर्षाय .
मत करो रे पाप मानव , भ्रूण गर्भ गिराय .
 
भ्रूण जो कन्या गिराएं , घर बनें वीरान .
संस्कृति और सभ्यता…
Continue

Added by Dr.Prachi Singh on July 28, 2012 at 5:30pm — 13 Comments

राखी .

मानो तो रूह क़ा नाता है जी ये राखी

न मानो कच्चा धागा है जी ये राखी .

 

जो राखी को दम्भ-आडम्बर मानते हैं ;

उन का मन भी तो अपनाता है ये राखी .

 

बहना के मन से उपजी हर इक दुआ है ये ;

भाई-बहन से बंधवाता है ये राखी .

 

सभ्य समाज की नींव के पत्थर नातों का…

Continue

Added by DEEP ZIRVI on July 27, 2012 at 7:00pm — 1 Comment

कुछ और शे'र

प्यार से मुझको, अनमोल नगीना दे दो,

जिंदगी को बस , इक और महीना दे दो,



हम जितना उनको देख मुस्कुराते चले गए,

वो उतना ही दिल कसम से दुखाते चले गए,



हुस्न की फिर से, कुछ अदाएं ढूंढ़ लाया हूँ,

आज अपनी खातिर, सजाएं ढूंढ़ लाया हूँ.....…



Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 27, 2012 at 4:25pm — 10 Comments

पल्लू

"पल्लू"



मुख

मलीन हो रहा है

तेज नष्ट भ्रष्ट

मुझे छोड़ दिया न

तुमने

गोरी के पल्लू ने

धीरे से कानों में कहा

देखो सब घूर रहे हैं…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 3:56pm — 6 Comments

किताबें

"किताबें "

 

किताबें

खटखटा रही हैं

दरवाजे दिमाग के

लायी हैं कुछ

सवाल कुछ जबाब

छू रहीं है

दिल को…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 3:13pm — 5 Comments

मैं शून्य का उपासक हूँ

मैं शून्य का उपासक हूँ

मुझे मेले में भी सब अकेले लगते हैं

इसीलिए सबसे मिल के हँस बोल लेता हूँ

न जाने हंगाम के हंगामे में

कब मुझे मेरा इष्ट (खुदा) मिल जाए

मुकम्मल रास्ते इख्तियार करता हूँ

मंजिल तक जाने के लिए…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 2:42pm — 4 Comments

शायद मैं नहीं रहा

दोस्त ....दोस्त वो नहीं रहा,

दिल के मारे, दिल नहीं रहा,



बहता पानी, आँख में नमी,

सागर छूटा, अब नहीं रहा,

धड़कन धीमी, और हो गयी,

काबू खुद पर, जो नहीं रहा,

अब बस तेरा, इंतज़ार है,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 27, 2012 at 2:04pm — 6 Comments

ग़ज़ल

==========ग़ज़ल==============



दिलो जिगर निसार दूं है गर हसीन आपसा

किसे न चाहिए यहाँ 'प' महजबीन आपसा



बिना मिले बिना सुने दिलो के हाल जान लूं

हुनर कमाल का लिए न दूरबीन आपसा



बदल रहे अजीब रंग बात बात पर गुमा

नहीं दिखा अभी तलक…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 1:30pm — 5 Comments

शायरी

रिहा कर खूबसूरत दिखने की चाह की कैद से मुझे,

ए आईने मेरी सादगी को ज़मानत दे दे।  

...................

हम समता करना सीख गए सुख और दुख के हर रंग में,…

Continue

Added by Vasudha Nigam on July 27, 2012 at 11:30am — 12 Comments

पञ्च हाइकू

पञ्च हाइकू

१.

कर ले कर्म

बस यही है धर्म

जीवन मर्म 

 

२.

छाये बहार.

आत्मिक अभिसार

प्यार में धार .

 

३.

जुड़ें बेतार

जोड़ ले लगातार  

दिलों के तार

 

४.

मन मुस्काए  

किस्मत बन जाए

क्यों घबराए 

५.

त्याग दे स्वार्थ

स्वीकार परमार्थ

उठ जा पार्थ

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Added by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 12:30am — 17 Comments

मान या ना मान.

 

(सूर घनाक्षरी एक प्रयास)

कानों में रस घोलती, कोयल की मीठी तान,

अमवा पे है बोलती,  मान या ना मान.

                             .

दादीमाँ ने नुस्खे लिखे,ज्यों औषधियों की खान,

घर  में ही  सब मिले,मान या ना मान.

                             .

संकट में जो साथ दे, तू भाई उसे ही जान,

यूँ…

Continue

Added by Ashok Kumar Raktale on July 26, 2012 at 8:00pm — 14 Comments

साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी

पहले अपने शब्द टटोलो बाबाजी

फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी

साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है

साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी

जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है

थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी

मान गया मैं, नहीं डरे तुम झूले पर

अब तो अपने कपड़े धोलो बाबाजी

ढाई बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी

यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी

हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली

साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी

रोने से क्या संकट कम हो…

Continue

Added by Albela Khatri on July 26, 2012 at 7:00pm — 38 Comments

हाइकु बक्सा : बहन बोली भाई से.......

१. बाँधी है राखी
भैया लाज रखना
रक्षा करना
 
२. धागा नहीं ये
बंधन है प्यार का
मान रखना
 …
Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 26, 2012 at 6:48pm — 14 Comments

आखिर कोई कितना सुस्ताएगा

जिंदगी! एक अनबुझ पहेली है. जिसको आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है. यह एक ऐसी पहेली है, जिसको जितना सुलझाओ, उतना ही उलझ जाती है. जिंदगी सुख-दुख के दायरे में सिमटी खुशियों के साथ शुरू होती है, लेकिन इसका अंत दुख और निराशा के साथ होता है. हंसते-मुस्कराते कोई नवजात जैसे-जैसे जिंदगी के रास्तों पर आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे वह जिंदगी की उलझनों में उलझता जाता है. अपनी पहली करवट से ही उसको अहसास हो जाता है कि खुद मेहनत करने से ही खुशियां हासिल हो सकती है. इसलिए वह हर पल आगे बढऩे की कोशिश में लग जाता है.…

Continue

Added by Harish Bhatt on July 26, 2012 at 6:39pm — 5 Comments

मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया

मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया

उसके सारे चिन्ह खो गये, कैसा ये बदलाव हो गया

नही रही अब गुरु की गुरुता, नही रहे वो शिष्य महान

काट अँगूठा तक दे देते थे करते गुरु का सम्मान

आज के युग में शिक्षा क्या, बस पैसों का व्यापार हो गया

मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया

नही रही धुन बाँसुरिया की, जो छेड़ा करती थी तान

कहाँ थाप तबले ढोलक की, कहाँ नगाड़े का है मान

आज कान के परदे फट जाते ऐसा संगीत हो गया

मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो…

Continue

Added by आशीष यादव on July 26, 2012 at 5:59pm — 19 Comments

कौन बचाए लाज

बेशर्मी का ओढा चोला,सारा सभ्य समाज,

चीखे अबला द्रोपदी, कौन बचाए  लाज//
 
महंगाई से तरस रहे, भुखमरी की मार 
भ्रूण हत्या कैसे रुके, पंगु हुई सरकार //
 
दोस्तों से गुठ रही, घर में रहे मन मार
भाई बंधू…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 26, 2012 at 5:30pm — 13 Comments

कारगिल के शहीदों को सलाम...

हाइकु...

------------

दर्द हासिल

तनाव ही तनाव

क्यूँ कारगिल?

-----------

टीस दिल में

खोये कितने लोग

कारगिल में.

------------

युद्ध की भाषा

शांति…
Continue

Added by AVINASH S BAGDE on July 26, 2012 at 4:00pm — 11 Comments

"गाँव जायेंगे "



"गाँव जायेंगे "



हरियाली ही हरियाली

चहुँ ओर

प्रकृति का अनुपम सौन्दर्य

हरी कारपेट आलौकिक माधुर्य

अहा

सोच रहा हूँ

क्यूँ न इन घटाओं को छू लूं

चूम लूं इस माटी…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 3:56pm — 5 Comments

हिडिम्बा मंदिर

 

हिडिम्बा देवी मंदिर

 

हिमाचल प्रदेश के सुदूर में व्यास नदी के किनारे बसी पर्यटन नगरी मनाली में घने देवदार वृक्षों से आच्छादित है यह मंदिर परिसर | परिसर बहुत साफ-सुथरा है ।…

Continue

Added by ganesh lohani on July 26, 2012 at 2:30pm — 12 Comments

महल-अटारी

महल-अटारी

या गाय दुधारी

सम्मोहन है

खूबसूरती का

अहा

ब्यूटीफुल

वाह

काश !!!!!!

फूलते पिचकते सीने

आह…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 2:00pm — 3 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"आदाब।‌ बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।"
Oct 1
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी।"
Sep 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी। आपकी सार गर्भित टिप्पणी मेरे लेखन को उत्साहित करती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"नमस्कार। अधूरे ख़्वाब को एक अहम कोण से लेते हुए समय-चक्र की विडम्बना पिरोती 'टॉफी से सिगरेट तक…"
Sep 29
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"काल चक्र - लघुकथा -  "आइये रमेश बाबू, आज कैसे हमारी दुकान का रास्ता भूल गये? बचपन में तो…"
Sep 29
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
Sep 29
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
Sep 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
Sep 28
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
Sep 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
Sep 28

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service