पञ्च हाइकू
१.
कर ले कर्म
बस यही है धर्म
जीवन मर्म
२.
छाये बहार.
आत्मिक अभिसार
प्यार में धार .
३.
जुड़ें बेतार
जोड़ ले लगातार
दिलों के तार
४.
मन मुस्काए
किस्मत बन जाए
क्यों घबराए
५.
त्याग दे स्वार्थ
स्वीकार परमार्थ
उठ जा पार्थ
--अम्बरीष श्रीवास्तव
Comment
धन्यवाद रेखा जी, आपके प्रति हार्दिक आभार
त्याग दे स्वार्थ
स्वीकार परमार्थ
उठ जा पार्थ, बहुत खूब अम्बरीश जी ,अति सुंदर हाइकू, हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये
स्वागत है आदरणीय बागडे साहब ! हाइकू को सराहने के लिए हार्दिक आभार स्वीकारें मित्र ....
जुड़ें बेतार
जोड़ ले लगातार
दिलों के तार...bahut hi umda.
..................
pancho haiku behatareen...wah! Ambarish ji.
--
त्याग दे स्वार्थ
स्वीकार परमार्थ
उठ जा पार्थ...lajwab...
स्वागतम आदरणीय अलबेला जी ! हाइकू को सराहने के लिए अत्यंत आभारी हूँ मित्रवर .....सादर
मेरे हुजूर सरपंच तो एक ही होता है और वह है हाइकू सरपंच ....मगर हाइकू पंच के क्या कहने ! :-)))
स्वागत है भाई जगदानंद झा जी, हार्दिक आभार मित्र ....
धन्यवाद भाई अरुण शर्मा जी ! सस्नेह
इन्हें सराहने के लिए आपके प्रति हार्दिक धन्यवाद आदरेया राजेश कुमारी जी .....सादर
हाइकू पंच
शब्दों के सरपंच
धन्य है मंच
धन्य है मंच
सोलह आने टंच
हाइकू पंच
वाह वाह आदरणीय अम्बरीश जी,
आपके पञ्च हाइकू
गज़ब हैं...........
ये पञ्च नहीं,
सरपंच हैं.............हा हा हा
__ साहित्यिक भाषा में विनम्र बधाई !
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