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"गाँव जायेंगे "


"गाँव जायेंगे "

हरियाली ही हरियाली
चहुँ ओर
प्रकृति का अनुपम सौन्दर्य
हरी कारपेट आलौकिक माधुर्य
अहा
सोच रहा हूँ
क्यूँ न इन घटाओं को छू लूं
चूम लूं इस माटी को
.
.
.
.
.
आँखों की पुतली
कभी छोटी कभी बड़ी
वो दूर
सूरज ढल रहा है
या आग का गोला धरती में समा रहा है
अदभुद दृश्य
केमरा भी शर्मा जाए
प्रकृति की सुन्दरता देख
.
.

आहा क्या मधुर तान है
चिड़िया का चहकना
कोयल की तान
वाह मन प्रसन्न हो उठा
जाने का मन नहीं हो रहा
.
.
.

छप छप
छी ये क्या
मुंह में सिकुडन
कीचड
मूड ख़राब कर दिया सारा
जूते खराब हो गए
पिछले महीने तो खरीदे थे
बाटा के शो रूम से
क्या यार
.
.
.

ये गाँव के लोग भी न
न जाने कैसे रह लेते हैं
गंवार कहीं के
गोबर के कीड़े को
गोबर में ही मजा आता है
सडियल सा गाँव
घटिया सा
.
.
.
चलो मुझे पैर धोने हैं
कहाँ से आ गए
तुम भी न
कहीं भी ले आते हो
१०० किलोमीटर दूर
ये गाँव ही मिला था
बेबकूफ
हरियाली दिखायेंगे
गाँव जायेंगे

संदीप पटेल "दीप"

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Comment by rajesh kumari on July 27, 2012 at 10:42am

कीचड़ पड़ते ही सारी मस्ती उड़न छू  यही तो असलियत है कहते हैं न माटी में माटी बनकर काम करते हैं कृषक और हम सफ़ेद पोश हैं कि जरा सा कीचड़ भी सहन नहीं कर सकते बहर हाल रचना में हास्य व्यंग का अच्छा प्रयोग किया है बहुत पसंद आया 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 10:00am

वाह संदीप जी वाह ....

क्या वास्तविकता बयां की है आपने..................गांव की मस्ती में थे जनाब पर ..... कीचड़ में पांव पड़ते ही गांव देखने की ललक उड़न छू हो गयी और असलियत पर उतर आये ....वाह वाह वाह ...इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें मित्र ....सस्नेह  

Comment by आशीष यादव on July 26, 2012 at 10:52pm

वाह सर, क्या खूब भावनाओं को उकेरा है। किसी को कहीं खुशी मिलती है तो किसी को कहीं। बाटा वाले को क्या मालूम की जो मजा नंगे पावँ चलने मे है वो क्या होता है। प्रभु की मूरत जैसी, जैसी देखो वैसी ही है।
सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Rekha Joshi on July 26, 2012 at 10:41pm

सदीप जी 

आहा क्या मधुर तान है
चिड़िया का चहकना
कोयल की तान
वाह मन प्रसन्न हो उठा
जाने का मन नहीं हो रहा,बहुत किस्मतवाले है आप जो इस प्रकृति से मधुर संगीत को सुना ,तबियत खुश हो गई ,आभार 
Comment by Albela Khatri on July 26, 2012 at 9:38pm

वाह भाई संदीप जी........
इस विषय पर इस से बेहतर कुछ नहीं कहा होगा किसी ने...

कीचड
मूड ख़राब कर दिया सारा
जूते खराब हो गए
पिछले महीने तो खरीदे थे
बाटा के शो रूम से
क्या यार
___उम्दा चित्र  !
.

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