For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किताबें

"किताबें "

 

किताबें
खटखटा रही हैं
दरवाजे दिमाग के
लायी हैं कुछ
सवाल कुछ जबाब
छू रहीं है
दिल को
भिगो रही हैं
मन को
अजीब है न चाँद
बचपन का मामा
और मामा को चंदू मामा
फिर जवानी की दहलीज
न पार नहीं की है
बस कदम रखा है
और अब यार चाँद बन गया
क्या कहूँ
चाँद को
कभी कभी लगता है
मामा ही बना रहे
और कभी
बिना देखे शब् भर चैन नहीं आता
लगता है गर्दिश ही गर्दिश है
ये किताबें भी न
कभी कभी
आँखें फटी रह जाती हैं
पढ़ के
क्या आँखें झील
गजाल सी
कभी स्याह
कभी निर्झर सी
कभी कभी
नूर बरसाती
कितनी रंगीन है दुनिया
हसीन है दुनिया
जिस्म  शरारा
जिस्म शबाब
जिस्म शराब
होंठ गुलाब
जिन भूत
शैतान
बच्चे भी
 कितने शैतान होते हैं
पढ़ लेते हैं
अखबार और पूछते हैं
ये किताबों में तो नहीं
आखिर क्या है
ये कोहिनूर
तब भी आँखें फटी रह जाती है
बता देते हैं
हीरा है गौहर है
खैर पता है
जानते हैं दफ़न कुछ भी नहीं
सिवाए राज के
माटी भी भला दफ़न होती है क्या
बस मिल जाती है माटी में
ये किताबें भी न

संदीप पटेल "दीप"

Views: 498

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PHOOL SINGH on August 28, 2012 at 3:47pm

संदीप  जी नमस्कार

बहुत ही सुंदर प्रस्तुति .........रचना के लिए बधाई

फूल सिंह

Comment by Rekha Joshi on July 30, 2012 at 1:54pm

बच्चे भी 
 कितने शैतान होते हैं 
पढ़ लेते हैं 
अखबार और पूछते हैं 
ये किताबों में तो नहीं 
आखिर क्या है 
ये कोहिनूर 
तब भी आँखें फटी रह जाती है 
बता देते हैं 
हीरा है गौहर है ,संदीप जी ,सुंदर अभिव्यक्ति ,बहुत खूब ,बधाई 

Comment by Albela Khatri on July 27, 2012 at 10:35pm

badhaai bhaai.........

umda tana bana  kavita ka

जिस्म  शरारा
जिस्म शबाब
जिस्म शराब
होंठ गुलाब

__waah...sundar shabd !

_badhaai !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 27, 2012 at 7:37pm

जानते हैं दफ़न कुछ भी नहीं, सिवाए राज के 
माटी भी भला दफ़न होती है क्या 
बस मिल जाती है माटी में 
ये किताबें भी न 

संदीप कुमार पटेल जी, अच्छी लगी, बधाई 

Comment by आशीष यादव on July 27, 2012 at 6:23pm

वाह सर, कितनी खूबसूरती से पूरी बातें कह गये। किताबों मे वो पुरानी बातें पढ़कर आज भी मन बचपन मे चला जाता है। फिर हम वही चाँद की तुलना उस और इस चाँद से करने लगते हैं। और भी बहुत सी बातें।
बहुत सुखद लगी आपकी ये रचना। बधाई स्वीकार कीजिये।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service