Added by दिनेश कुमार on September 4, 2015 at 7:00am — 7 Comments
आज उस के चेहरे पर ख़ुशी झलक रही थी । परनीत को लगा जैसे सपना पूरा हो रहा हो । परिवार में ख़ुशी और उदासी दोनों एक साथ नजर आई। पहले जब वो बगैर वीज़ा लोटा तो कई दिन वह उदास रहा था,उसे लगा शायद वह जा न पाऐगा, मगर ऐजेंट ने हौसला देते हुए पूरा यकीन दिलाया था कि बैंड भी पूरे और खाते में बनती रकम भी जमा हो गई है । पर इस बार वीज़े के साथ जाने की टिकट मिल गई । जैसी हवा चली हर कोई , अब तो पूरे एवन्यू में कोई ऐसा घर नहीं जिस में परनीत की उम्र का कोई लड़का हो । परनीत के ज्यादातर साथी भी स्टूडेंट वीज़ा से बाहर…
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on September 3, 2015 at 9:00pm — 6 Comments
221—2121—1221-212 |
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इतना तो काम आप को करना पड़ेगा जी |
जन्नत जो देखना है तो मरना पड़ेगा जी |
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माना कि बादशाहे-आसमां है वो… |
Added by मिथिलेश वामनकर on September 3, 2015 at 2:28pm — 12 Comments
" अरे यार ये टीo वीo चैनेल वाले भी बस क्या क्या दिखाते रहते हैं , हफ़्तों - महीनों। कभी किसी बाबा को , कभी किसी स्वामिनी को या फिर पारिवारिक रंजिशें।
बस यही देश की न्यूज़ रह गई है ? "
" उनकीं नज़र में यही न्यूज़ है , वो बचपन में पढ़े थे न , कुत्ता आदमी को काटे तो न्यूज़ नहीं होती है , हाँ , आदमी कुत्ते को काटे तो न्यूज़ होती है , किसी बड़े खबरची ने कहा है।"
" पता नहीं , यार , हम तो कभी कुत्ते को काटे नहीं , वो हमारे सामने काट के दिखाता तो पता चलता , उसे भी और हमें भी। "…
Added by Dr. Vijai Shanker on September 3, 2015 at 11:00am — 23 Comments
2122 1212 112/22
ज़ख़्म सूखे निशान छोड़ गये
जैसे अपना बयान छोड़ गये
लौट के यूँ गये मेरे दिल से
मानो ख़ाली मकान छोड़ गये
सारी खुश्बू हवायें ले के गईं
ये भी सच है कि भान छोड़ गये
राग खुशियों के छिन्न भिन्न किये
मित्र, ग़मगीन तान छोड़ गये
उड़ गये जब परिंदे बाग़ों से
पीछे सब सून सान छोड़ गये
हाले दिल क्या बयान कर पाते ?
हम से कुछ बे ज़ुबान छोड़ गये
खुद चढ़ाई चढ़े…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on September 3, 2015 at 10:54am — 26 Comments
Added by Dr T R Sukul on September 3, 2015 at 10:30am — 4 Comments
Added by Manan Kumar singh on September 3, 2015 at 7:53am — 12 Comments
देशों की चमचमाती हुई राजधानियाँ
हर आकाशगंगा के केन्द्र में
बैठा हुआ एक ब्लैक होल
किसी गाँव के सूरज से करोड़ों गुना बड़ा
अपने आसपास मौजूद तारों को
अपने इशारों पर नचाता हुआ
उसके पास खुद का कोई प्रकाश नहीं है
फिर भी वो चमचमा रहा है लगातार
उनके प्रकाश से
जो शिकार हो रहे हैं
उसकी कभी न खत्म होने वाली भूख का
ऊष्मागतिकी का तीसरा नियम मुझे सबसे ज़्यादा कष्ट देता है
जिसके अनुसार किसी बंद…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 3, 2015 at 1:45am — 8 Comments
“अरे संभल कर मालती अपना ख्याल रख भई..” झुझलाहट पर काबू करते हुए काम्या ने कहा.
“मुझे दिखा नहीं और पैर उलझ गया मगर तुम चिंता ना करो, मैंने तीन बच्चों को जन्म दिया है,” मालती ने अपने पेट पर हाथ लगाते हुए कहा, “और इस तेरे वाले का भी ख्याल रख लूंगी.”
“हाँ खास ध्यान रखना तू, ये हमारे लिए बहुत जरुरी है.” काम्या ने कहा.
“हाँ मैं जानती हूँ.. ये तेरा बच्चा ही है”, मालती भावुक हो उठी.
“कुछ चाहिए हो तो बताना, मेरा नम्बर तो है ही तेरे पास”,काम्या ने कुछ नोट मालती को पकड़ाते हुए…
ContinueAdded by Seema Singh on September 2, 2015 at 8:30pm — 8 Comments
बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२ २
अपनी ताक़त के बलबूते हाथी ज़िन्दा है
मिल-जुलकर रहती है सो चींटी भी ज़िन्दा है
कैसे मानूँ रूठ गया है मेरा रब मुझसे
मैं ज़िन्दा हूँ, पैमाना है, साकी ज़िन्दा है
सारे साँचे देख रहे हैं मुझको अचरज से
कैसे अब तक मेरे भीतर बागी ज़िन्दा है
लड़ते हैं मौसम से, सिस्टम से मरते दम तक
इसीलिए ज़िन्दा हैं खेत, किसानी ज़िन्दा है
सबकुछ बेच रही, मानव से लेकर ईश्वर तक
ऐसे थोड़े ही…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 2, 2015 at 12:34pm — 14 Comments
तुम्हारे जाने के बाद
सोचा था,भुला दूंगा तुम्हें
जी लूँगा,उसी तरह
जैसे जीता था
जब तुम नहीं थे ज़िन्दगी में।
काटता रहा ज़िन्दगी...पल-पल
इसी भ्रम में
जी कहाँ पाया तब से?
काश!पहले पता होता
कमबख्त..यादें मरा नहीं करतीं
दिनभर की आपाधापी के बाद
साँझ ढले लौट आती हैं,घोंसले में
किसी उन्मुक्त पंछी की तरह
बहुत प्रयास किये
तिनका-तिनका नोच फेंकने के बाद भी
उजाड़ न पाया इनका बसेरा
सदा के लिए।
इनके कलरव हरपल
कांटे…
Added by जयनित कुमार मेहता on September 2, 2015 at 12:08pm — 4 Comments
“तुम ऐसा नहीं कर सकते आकाश, तुम इस तरह मुझे धोखा नहीं दे सकते I”
“परी मैं तुम्हें धोखा नहीं दे रहा हूँ मैं तो उल्टे तुम्हें सच बता रहा हूँ I अगर मैं चाहता तो दोनों रिलेशंस बनाये रखकर तुम्हें आसानी से चीट कर सकता था पर मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मैं झूठ में विश्वास नहीं करता I जब हमारे रिश्ते में कुछ बचा ही नहीं है तो फिर इसे घिसटने का कोई मतलब नहीं है कम से कम अब तुम मुझसे आज़ाद होकर अपने जीवन की नयी शुरुआत तो कर सकती हो वैसे भी अगर यह सब हमारी शादी के बाद होता तो तुम्हें अधिक दुख…
ContinueAdded by Tanuja Upreti on September 2, 2015 at 11:30am — 13 Comments
“आप को अपनी पत्नी की आत्महत्या के लिए गिरफ्तार किया जाता है.”
“इंस्पेक्टर साहब ! मेरी बात सुनिए. मैं बेकसूर है. वह मुझ से इजाजत ले कर अपने पूर्व प्रेमी यानि पति के पास गई थी.”
“मैं कुछ नहीं जानता. वह अपने ‘सुसाइड नोट’ में लिख कर गई है कि मैं अपने पति के धोखे की वजह से आत्महत्या कर रही हूँ. इसलिए अब जो कुछ कहना है कोर्ट में कहना.” कह कर इंस्पेक्टर ने हाथ में हथकड़ी लगा दी.
यह देख पति की आँखों के सामने अँधेरा छा गया, “ वाह ! तू मुझ से इजाजत ले कर अपने हिस्से का उजाला ढ़ूंढ़ने…
ContinueAdded by Omprakash Kshatriya on September 2, 2015 at 7:30am — 17 Comments
"मम्मा ,देखो आपके वाइट बाल.. वन ,टू.." लाड़ से उसके बालों में कंघी करते हुए, उसकी सात साल की बेटी चिल्लाई I
"मेरे बालों में दर्द हो रहा है, अब छोड़ " किताब में आँखें गड़ाए वो बोली I
बिटिया अचानक चुप हो गई थी I कंघी करते हुए हाथ भी रुक गए थे I
"क्या हुआ "? उसने बेटी को आगे खींचते हुए पूछा I
"मम्मा ,जिसके बाल वाइट हो जाते हैं वो ओल्ड हो जाता है ना ? बंटी की दादी के भी बाल वाइट हैं ,वो अलग कमरे में रहती हैं ,कोई उनके पास भी नहीं जाता I मम्मा क्या आप भी कभी ओल्ड हो…
ContinueAdded by pratibha pande on September 1, 2015 at 10:00pm — 14 Comments
महाराज युधिष्ठिर अपने कक्ष में सामंतों के साथ व्यस्त थे!तभी बाह्य द्वार पर युद्ध विजय के विजय घोष और शंख, नगाडे,ढोल आदि वाद्यों की आवाज़ हुई!युधिष्ठिर बाहर आये तो देखा कि लघु भ्राता भीम वाद्य-यंत्र वादकों को निर्देश दे रहे थे!
"भ्राता भीम, अभी कोई युद्ध नहीं हुआ और ना कोई युद्ध विजय तो यह वाद्य यंत्र क्यों बजाये जा रहे हैं"!
"महाराज, क्षमा करें, आज आपने युद्ध से भी बडी विजय प्राप्त की है"!
"हम आपका आशय समझने में असमर्थ है, भ्राता भीम"!
"महाराज, अभी आपके पास…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on September 1, 2015 at 10:00pm — 16 Comments
१२१२ १२१२ १२१२ १२१२
हरेक संत देखिये कतार ही कतार है
ये ज़िन्दगी बिमार है ये ज़िन्दगी बिमार है
अभी जो लूट है मची कहो ये कौन रोके अब
यहाँ पे भ्रष्ट आदमी लगे कि बेशुमार है
सवाल आँख ने किया जवाब आँख ने दिया
बे - लफ्ज़ बात हो गयी अजब यही तो प्यार है
जो कर्ज की मियाद थी वो ख़त्म ही नहीं हुई
लगे कि मेरे भाग में उधार ही उधार है
मुहासे जिनको कह रहे शबाब की हैं चिठ्ठियाँ
कि जान लो वो…
ContinueAdded by gumnaam pithoragarhi on September 1, 2015 at 7:30pm — 6 Comments
चाँद के माथे पे शायद .......
चाँद के माथे पे शायद
दुनिया के लिए सिर्फ दाग है
पर दाग वाला चाँद ही
आसमां का ताज़ है
करता वो अपनी चांदनी से
मुहब्बतों की बरसात है
है नहीं वो दिल ज़मीं पे
जिसमें वो बसता नहीं
हों खुली या बंद पलकें
ये हर पलक का ख़्वाब है
अब्र से सावन में छुपकर
वो झांकता है इस तरह
हो रही ज़ुल्फ़ों से जैसे
नूर की बरसात है
हर खुशी के लम्हों में
होते हैं पल कुछ ऐसे भी
बीती शब के दर्द के…
Added by Sushil Sarna on September 1, 2015 at 5:41pm — 8 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 1, 2015 at 4:30pm — 10 Comments
2122 1212 22
आज इस बात पर ही हँसते है
अश्क़ खुशियों से कितने सस्ते है
तुझसे मिलने में वो ही बंदिश है
सारी दुनिया में जितने रस्ते है
वो मुझे रात दिन सताते है
तेरी आँखों से जो बरसते है
जब तेरा ज़िक्र कहीं आता है
होठ कुछ कहने को तरसते है
चल ज़रा बेखुदी में चलते है
बस वहीँ इश्क़ वाले बसते है
मुझमे रोती थी उनकी नादानी
वो मेरी बेबसी पे हँसते है
देखकर तेरे चेहरे की जर्दी
बेबसी मुठ्ठियों…
Added by मनोज अहसास on September 1, 2015 at 2:30pm — 12 Comments
22---22---22---22 |
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सूखा है, घर के नल जैसा |
जीवन उजड़ा नक्सल जैसा |
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हुक्कामों से प्रश्न हुआ तो… |
Added by मिथिलेश वामनकर on September 1, 2015 at 9:30am — 18 Comments
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