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धर्मेन्द्र कुमार सिंह
  • Male
  • Raigarh, CG
  • India
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धर्मेन्द्र कुमार सिंह's Discussions

बहर सारिणी
7 Replies

ग़ज़ल की बहरें समझना बहुत टेढ़ी खीर है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बहर के बारे में जानकारी तो बहुत ज्यादा मिल जाती है अंतर्जाल पर पर कहीं भी व्यवस्थित ढंग से नहीं मिलती। तो जहाँ सूचना ज्यादा हो वहाँ उसको…Continue

Started this discussion. Last reply by Admin Jan 30, 2011.

 

धर्मेन्द्र कुमार सिंह's Page

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post होता है इंक़िलाब सदा इंतिहा के बाद (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। बहुत बहुत हार्दिक बधाई।"
Sep 21
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

होता है इंक़िलाब सदा इंतिहा के बाद (ग़ज़ल)

बह्र : 221 2121 1221 212ज़ालिम बढ़ा दे ज़ुल्म ज़रा हर ख़ता के बाद  होता है इंक़िलाब सदा इंतिहा के बाद किसने बदल दिया है ये कानून देश का होने लगी है जाँच यहाँ अब सज़ा के बादबीमारियों से देश बचा लोगे जान लोकरती असर है ख़ूब दुआ पर दवा के बादजिसने भी तप किया उसे देवत्व मिल गयाइंसान कौन-कौन बना देवता के बाद?ऐसा विकास भी न हमें आप दीजिएमिलता सभी को जैसे ख़ुदा पर कज़ा के बाद-----------------(मौलिक एवं अप्रकाशित)See More
Sep 13
Dr. Vijai Shanker commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post धुँआँ उठा है नफ़रत का (नवगीत)
"विचारणीय ❤"
Aug 14
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post धुँआँ उठा है नफ़रत का (नवगीत)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। अच्छा नवगीत हुआ है। हार्दिक बधाई। आ. भाई सौरभ जी की बात से सहमत हूँ। "
Aug 8

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post धुँआँ उठा है नफ़रत का (नवगीत)
"नवगीत के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ< आदरणीय धर्मेन्द्र जी.  वोटर बेचारा  मोहरा भर है पूँजी की हसरत का  .. एक सार्थक हामी  जनता को  अनुमान नहीं है आने वाली आफ़त का ...  जनता अनुमान से अधिक तार्किक ढंग से सोचती है,…"
Aug 8
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post नफ़रत का पौधा (नवगीत)
"आदरणीय धर्मेंद्र कुमार सिंह जी आदाब, उत्कृष्ट रचना / नवगीत हेतु बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें। आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी और मिथिलेश वामनकर जी की प्रतिक्रिया और प्रशंसा से इस में और चार चाँद लग गये हैं, पुन: बधाई। "
Aug 4
indravidyavachaspatitiwari commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post धुँआँ उठा है नफ़रत का (नवगीत)
"राजनीति को लेकर अच्छी कविता बनी है। शुभ कामना"
Aug 3
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

धुँआँ उठा है नफ़रत का (नवगीत)

पास आ गया है बेहदजब से चुनाव फिर संसद काराजनीति की चिमनी जागीधुँआँ उठा है नफ़रत काआहिस्ता-आहिस्ता सारी हवा हो रही है जहरीलीकाले-काले धब्बों ने ढँक ली है नभ की चादर नीलीवोटर बेचारा मोहरा भर हैपूँजी की हसरत काधर्म-जाति का शीतल जल अबधीरे-धीरे फिर गरमायाबढ़ती रही अगन तो जल जायेगी मजलूमों की काया जनता को अनुमान नहीं हैआने वाली आफ़त काभगवा हो या हरे रंग काविष तो आख़िर विष होता हैनागनाथ या साँपनाथ कामानव ही आमिष होता हैदेश अखाड़ा घर-घर कुश्तीदेख तमाशा ताक़त का-------------(मौलिक एवं अप्रकाशित)See More
Aug 2
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post नफ़रत का पौधा (नवगीत)
"आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय Saurabh  जी। आपके उत्साहवर्धन हेतु हृदयतल से आभारी हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद"
Aug 2

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post नफ़रत का पौधा (नवगीत)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी,  सहज कथ्य एवं सार्थक निर्वहन से यह नवगीत पठनीय बन पड़ा है। तथा, विशिष्ट मनोदशा को शाब्दिक करती यह रचना अपने हेतु में सफल है।  हार्दिक बधाई स्वीकार करें, आदरणीय.  शुभ-शुभ"
May 22

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post नफ़रत का पौधा (नवगीत)
"आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी, इस उत्कृष्ट नवगीत हेतु हार्दिक बधाई और आभार. प्रतीक अपने भावों को प्रेषित करने में सफल हुए. सादर  "
May 16
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

नफ़रत का पौधा (नवगीत)

महावृक्ष बनकर लहरातानफ़रत का पौधापत्ते हरे फूल केसरियालाल-लाल फल आतेप्यास लहू की लगती जिनकोआकर यहाँ बुझातेसबसे ज्यादा फल खाने कीचले प्रतिस्पर्द्धाकिसमें हिम्मत इसे काट देउठा प्रेम की आरीइसकी रक्षा में तत्पर है वानर सेना सारी कैसे-कैसे काम कराये  निरी अंधश्रद्धा पंखों वाले बीज हुये हैंउड़-उड़ कर जायेंगेभारत के कोने-कोने मेंनफ़रत फैलायेंगेलोग लड़ेंगेलोग मरेंगे रोयेगी वसुधारोपा इसको राजनीति नेलेकिन खाद और पानीवो देते जिनके घर बैठीरक्तकमल पर लक्ष्मीजनता मूरख समझ न पाये यह…See More
Apr 26
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post मैना बैठी सोच रही है पिंजरे के दिल में (नवगीत)
"आदरणीय सौरभ  जी, नवगीत की विवेचना और इस अपार स्नेह के लिए तह-ए-दिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ"
Dec 21, 2022

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post मैना बैठी सोच रही है पिंजरे के दिल में (नवगीत)
"विवश मनोदशा को जिस गहराई से महसूस कर नवगीत की रचना की गयी है कि शाब्दिक हुई सोच वर्ग निर्पेक्ष हुई समाज की आधी आबादी का प्रस्तुतीकरण हो गयी है. उन्मुक्त उड़ान तो अपने स्थान पर दायरे से बाहर निकलना तक मुहाल न हो तो मैना क्या कहे, क्या न कहे…"
Dec 21, 2022
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post मैना बैठी सोच रही है पिंजरे के दिल में (नवगीत)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
Dec 20, 2022
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post मैना बैठी सोच रही है पिंजरे के दिल में (नवगीत)
"आ. भाई धर्मेंन्द्र जी, सादर अभिवादन। अच्छा नवगीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16, 2022

Profile Information

Gender
Male
City State
रायगढ़, छत्तीसगढ़
Native Place
प्रतापगढ़
Profession
अभियांत्रिकी

धर्मेन्द्र कुमार सिंह's Blog

होता है इंक़िलाब सदा इंतिहा के बाद (ग़ज़ल)

बह्र : 221 2121 1221 212

ज़ालिम बढ़ा दे ज़ुल्म ज़रा हर ख़ता के बाद  

होता है इंक़िलाब सदा इंतिहा के बाद 

किसने बदल दिया है ये कानून देश का 

होने लगी है जाँच यहाँ अब सज़ा के बाद

बीमारियों से देश बचा लोगे जान…

Continue

Posted on September 13, 2023 at 8:17pm — 1 Comment

धुँआँ उठा है नफ़रत का (नवगीत)

पास आ गया है बेहद

जब से चुनाव फिर संसद का

राजनीति की चिमनी जागी

धुँआँ उठा है नफ़रत का

आहिस्ता-आहिस्ता 

सारी हवा हो रही है जहरीली

काले-काले धब्बों ने …

Continue

Posted on August 2, 2023 at 8:26pm — 4 Comments

नफ़रत का पौधा (नवगीत)

महावृक्ष बनकर लहराता

नफ़रत का पौधा

पत्ते हरे फूल केसरिया

लाल-लाल फल आते

प्यास लहू की लगती जिनको

आकर यहाँ बुझाते

सबसे ज्यादा फल खाने की…

Continue

Posted on April 26, 2023 at 9:53am — 4 Comments

मैना बैठी सोच रही है पिंजरे के दिल में (नवगीत)

मैना बैठी सोच रही है

पिंजरे के दिल में

मिल जाता है दाना पानी

जीवन जीने में आसानी

सुनती सबकी बात सयानी

फिर भी होती है हैरानी

मुझसे ज्यादा ख़ुश तो

चूहा है अपने बिल में

जब तक बोले मीठा-मीठा

सबको लगती है ये सीता

जैसे ही कहती कुछ अपना

सब कहते बस चुप ही रहना

अच्छी चिड़िया नहीं बोलती 

ऐसे महफ़िल में

बहुत सलाखों से टकराई

पर पिंजरे से निकल न पाई

चला न…

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Posted on November 16, 2022 at 11:30am — 4 Comments

Comment Wall (23 comments)

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At 12:19am on September 23, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय बड़े भाई  धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी, 

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...

At 8:41pm on September 22, 2013, जितेन्द्र पस्टारिया said…

" जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें " आदरणीय धर्मेन्द्र जी

At 11:20am on September 22, 2013,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 10:23pm on December 13, 2012, seema agrawal said…

स्वागत है धर्मेन्द्र जी 

At 6:18pm on September 22, 2012,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 10:06am on September 22, 2012,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

भाई धर्मेन्द्रजी, 

सरल, सफल, सहज, सुगढ़
सुफल, सुमिल, सुधी
सस्वर.. .
संयत, सुहृद, सुभाव, सशब्द
संभव सदा
सबल-प्रखर.. .
शुभभावना-शुभकामना-सुसंस्मरण संप्रेष्य है !

अनेकानेक बधाइयाँ.

At 9:20am on September 22, 2012, Er. Ambarish Srivastava said…

कविता शुचिता शिल्प से, शोभित मित्र कविन्द्र.

जन्मदिवस    शुभकामना,   भाई   जी   धर्मेन्द्र..    सादर   

At 8:15am on September 22, 2012, कुमार गौरव अजीतेन्दु said…

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय धर्मेन्द्र सर.........

At 12:10pm on September 21, 2012, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाए स्वीकारे आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी, 

प्रभु आपको समाज और देश निर्माण में योगदान देने की शक्ति प्रदान करे | आपका 

हमारा स्नेह बना रहे |

At 1:55pm on April 7, 2011, nemichandpuniyachandan said…
aapki zarra-nawazee ke liye sukariya.
 
 
 

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