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जयनित कुमार मेहता
  • Male
  • Araria,Bihar
  • India
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जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय गुरप्रीत जी, उम्दा ग़ज़ल हुई है। मुबारकबाद आपको।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय अमित जी, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभारी हूं। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीया रचना जी, नमस्कार। आपका हार्दिक आभारी हूं। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय आशीष यादव जी, आपका हार्दिक धन्यवाद। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय लक्ष्मण जी, आपका हार्दिक आभारी हूं। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय अमित जी, ग़ज़ल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभारी हूं। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय दण्डपाणि जी, ग़ज़ल आपको पसंद आई, यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। आपका हार्दिक धन्यवाद। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, आदाब। इस ख़ूबसूरत टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभारी हूं। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय गुरप्रीत जी, ग़ज़ल की सराहना कर उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभारी हूं। जो भी जैसा भी कह पाता हूं, सब इस मंच से ही सीखा है। आपका पुनः धन्यवाद। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय समर कबीर जी, सादर प्रणाम। आपके आशीर्वाद से और अच्छा कहने का हौसला मिलता है। हार्दिक धन्यवाद आपको। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय नादिर ख़ान जी, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत शुक्रगुजार हूं। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय दिनेश जी, सादर नमस्कार। ग़ज़ल पर टिप्पणी व उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभारी हूं।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय संजय जी, तरही मिसरे पर उम्दा ग़ज़ल कही आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको। ऐसा लगता है कि समय की कमी के कारण एक अच्छी ग़ज़ल होते होते रह गयी। बाक़ी आदरणीय अमित जी के सुझाव बहुमूल्य हैं। सादर।"
Jan 28
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीया ऋचा जी, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास सराहनीय है। आदरणीय अमित जी के सुझाव बेहतरीन है। मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको। सादर।"
Jan 28

Profile Information

Gender
Male
City State
Araria,Bihar
Native Place
Araria,Bihar
Profession
Student
About me
I'm simple..!

जयनित कुमार मेहता's Blog

इक वह्म ऐतबार से आगे की चीज़ है (ग़ज़ल)

 221  2121  1221  212

ख़ुशबू, चमन, बहार से आगे की चीज़ है।

जो ज़िंदगी है, प्यार से आगे की चीज़ है।

जारी है एक जंग जो ग़म और ख़ुशी के बीच,

यह जंग जीत-हार से आगे की चीज़ है।

अक्सर उफ़ुक़ को देख के आता है ये ख़याल,

कुछ है जो इस हिसार से आगे की चीज़ है।

कैसे बताऊं किस पे टिकी है मेरी निगाह,

मंज़िल से, रहगुज़ार से आगे की चीज़ है।

हद्द-ए-निगाह से भी परे है कोई वजूद,

इक वह्म ऐतबार से आगे की चीज़…

Continue

Posted on September 15, 2022 at 10:30am — 7 Comments

साज-श्रृंगार व्यर्थ है तेरा (ग़ज़ल)

2122   1212   22

जितना बढ़ते गए गगन की ओर
उतना उन्मुख हुए पतन की ओर

साज-श्रृंगार व्यर्थ है तेरा
दृष्टि मेरी है तेरे मन की ओर

फल परिश्रम का तब मधुर होगा
देखना छोड़िए थकन की ओर

मन को वैराग्य चाहिए, लेकिन
तन खिंचा जाता है भुवन की ओर

"जय" भी एकांतवास-प्रेमी है
इसलिए आ गया सुख़न की ओर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Posted on September 4, 2022 at 1:25am — 7 Comments

निकलेगा आफ़ताब इसी आसमान से (ग़ज़ल)

221   2121  1221  212

क़ीमत ज़बान की है जहाँ बढ़के जान से

है वास्ता हमारा उसी ख़ानदान से

चढ़ना है गर शिखर पे, रखो पाँव ध्यान से

खाई में जा गिरोगे जो फिसले ढलान से

पल - पल झुलस रही है ज़मीं तापमान से

मुकरे हैं सारे अब्र अब अपनी ज़बान से

काली घटाएँ रास्ता रोकेंगी कब तलक?

निकलेगा आफ़ताब इसी आसमान से

ये दौलतों के ढेर मुबारक तुम्हीं को हों

हम जी रहे हैं अपनी फ़क़ीरी में शान से

क्या-क्या न हमसे छीन…

Continue

Posted on August 25, 2018 at 11:03am — 8 Comments

सब कुछ उपलब्ध है दुकानों में (ग़ज़ल)

2122 1212 22



सब हैं मसरूफ़ अब उड़ानों में

देखिये भीड़ आसमानों में



प्यार? ईमान? दोस्ती? जी हाँ

सब कुछ उपलब्ध है दुकानों में



भुखमरी,बालश्रम,अशिक्षा..सब

मिट चुके हैं फ़क़त बयानों में



पत्थरों से उन्हीं की यारी है

जो हैं शीशे-जड़े मकानों में



सच्चे हीरे की है तलाश अगर

जा! भटक कोयले की खानों में



बच्चे लड़-भिड़ के खेलने भी लगे

गुफ़्तगू बंद है सयानों में



फ़र्श से अर्श पर मैं जा पहुँचा

कितनी ताक़त है देखो… Continue

Posted on September 26, 2017 at 8:06pm — 14 Comments

Comment Wall (6 comments)

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At 11:19am on November 6, 2017,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय जयनित जी जन्‍म दिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं

At 12:59pm on January 27, 2016, kanta roy said…

बेहद गर्व का पल  ! बहुत -बहुत बधाई आपको आदरणीय जयनित  जी  "महीने का सक्रिय सदस्य"  बनने हेतु। 

At 8:17pm on January 16, 2016, जयनित कुमार मेहता said…
आदरणीय गणेश जी,
इस सम्मान के लिए मैं OBO परिवार के प्रति हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ।
At 8:13pm on January 16, 2016, जयनित कुमार मेहता said…
जन्मदिवस की शुभकामनाओं के लिए आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ,आदरणीय रवि शुक्ला जी..

(विलम्ब से प्रत्युत्तर के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ)
At 4:28pm on January 16, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय

जयनित कुमार मेहता जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 1:26pm on November 6, 2015, Ravi Shukla said…

जयनित जी जन्‍म दिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं

 
 
 

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