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Chetan Prakash
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  • अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
  • DR ARUN KUMAR SHASTRI
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Chetan Prakash's Page

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//रहूँगा मुब/ तिला घर औ/ र रार से / डर ना / है ।// कृपया सानी की बह्र जाँच लें आ. निश्चित ही मिसरा बह्र से बाहर है, ध्यानाकर्षण के लिए, आपका आभारी हूँ दोष- निवारण देखिएगाः रहूगाँ मुबतिला घर और रार उबरना है दूसरा दोष,तक़ाबुल-ए-रदीफ़ैन असावधानी में…"
Oct 26
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरेया, Richa Yadav ji, बहुत अच्छा प्रयास रहा, आपका! आदरणीय,  अमित जी समालोचना उल्लेखनीय है, कृपया अनुकरण कीजिएगा। "
Oct 25
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. भाई दिनेश कुमार विश्वकर्मा,  अभी आपका संशोधित मतला सुधार चाहता है, क्योंकि आप,  मतले का प्रारम्भ ही, चराग़ को सम्बोधित करते हुए कर रहे हैं, इस से उसकी शुरुआत ही बदल जाएगी।"
Oct 25
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदाब,  भाई लक्ष्मण सिंह धामी मुसाफिर, आपका ग़ज़ल  का प्रयास अच्छा कहा जाएगा। हाँ, आदरणीय अमित जी ने जो बताया है, मैं पूर्णत: सहमत हूँ। आवश्यक सुधार के पश्चात आपकी प्रस्तुति निस्संदेह निखर जाएगी।"
Oct 25
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदाब,  आदरणीय समर कबीर साहब,  सूचना हेतु बहुत बहुत शुक्रिया, आप आँखों का परीक्षण करिये, और स्वास्थ्य लाभ कीजिए।  मुशाइरा होता रहता है, हाँ, आपकी सरपरस्ती अनिवार्य है। शुभ कामनाएं !"
Oct 25
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . करवाचौथ
" करवाचौथ पंचक, कदाचित पंचकों मे ही हुआ,  आदरणीय सरना साहब! मेरी अल्प बुद्धि के अनुसार,  दोहे का आरंभ जगण (121) से होना नष्ट माना गया ह । और, बंधु, आपके 'पंचक' में उक्त  दोष का  दोहराव हुआ  है।"
Oct 23
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 160 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, सुन्दर छंद प्रणयन हुआ,  बधाई  !"
Oct 20
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 160 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, आपका अशेष आभार। "
Oct 20
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 160 in the group चित्र से काव्य तक
"बंधुवर,  लावणी छंद में तुकांतता परस्पर दो पदों मे अपेक्षाकृत श्रेयस्कर मानी गई है।"
Oct 20
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 160 in the group चित्र से काव्य तक
"बंधुवर,  उदाहरण योग्य  लावणी छंद प्रणयन हुआ है, और आप बधाई भी नहीं, इतना कृपण मत होइए!"
Oct 20
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 160 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत धन्यवाद, मित्र, लेकिन मेरे टाइपिंग की-पैड पर बहुत छोटे-छोटे अक्षर हैं, सो सीधे प्रस्तुति पोस्ट करते समय पंक्तियाँ दृष्टिगोचर होती रहे, लिखते सुविधा रहे इससे छंद के चारों एकीकृत नहीं हो सके हैं, और कोई बात नहीं।"
Oct 20
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 160 in the group चित्र से काव्य तक
"लो  आ  गई  दीपावली , उपरान्त विजयदशमी है । कुम्भकार गढ़ता जाता है, दिये  सरैंया  रसमी  है ।। बिक जायेगा माल बना जो, तय उस गरीब ने माना । रहा भरोसा अपने प्रभु पर, जिसे मित्र उसने जाना।। कच्ची  मिट्टी …"
Oct 19
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीया, प्रतिभा पाण्हे जी,बहुत सरल, सार-गर्भित कुण्डलिया छंद हुआ, बधाई, आपको"
Oct 13
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आप, भगवान के बिकने के पीछे आशय स्पष्ट करें तो कोई विकल्प सुझाया जाय, बंधु"
Oct 13
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आपके जानकारी के किए, पँचकल से विषम चरण प्रारम्भ होता है, प्रमाणः सुनि भुसुंडि के वचन सुभ देख राम पद नेह । बोलेउ प्रेम सहित गिरा, गरुड़ बिगत संदेह ।। रामचरित मानस ( उत्तरकाण्ड, दोहा. 124 ख)"
Oct 13
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आपके जानकारी के किए, पँचकल से विषम चरण प्रारम्भ होता है, प्रमाणः सुनि भुसुंडि के वचन सुभ देख राम पद नेह । बोलेउ प्रेम सहित गिरा, गरुड़ बिगत संदेह ।। रामचरित मानस ( उत्तरकाण्ड, दोहा. 124 ख)"
Oct 13

Profile Information

Gender
Male
City State
Baraut
Native Place
Hapur
Profession
Teaching
About me
I'm a poet rather born than made or trained since my childhood

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ग़ज़ल

2122 1122 1122 22 / 112

अंधा आँखों का है हर शख़्स बता देगा तुम्हें

ख़ार खाया है ये जन्मों का दग़ा देगा तुम्हें

गुरु वो घंटाल ज़माने कभी सय्याद रहा

काट कर पर वो रखेगा जो सज़ा देगा तुम्हें

झाँसे में उसके न आया करो जानाँ कभी तुम

रहती दुनिया का दरिन्दा वो क़जा देगा तुम्हें

है नशा उसको सदारत का कई बज़्म सुना

ना तुम्हारा न वो मेरा ही जता देगा तुम्हें

है वो ख़ुदगर्ज़ निहायत कहीं हद से ज़ियादा

ख़ुद…

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Posted on December 20, 2023 at 6:00pm — 2 Comments

एक ताज़ा ग़ज़ल

2122 1122 1122 22

ख़्वाब से जाग उठे शाह सदा दी जाए

पकड़े जायें अभी क़ातिल वो सज़ा दी जाए

बख़्श दी जाए कहीं जान ख़वातीनों की

अब तो ज़ालिम को कड़ी कोई सज़ा दी जाए

घूमते हैं वो दरिन्दे भी नकाबों में अब तो

जितना जल्दी हो उन्हें मौत बजा दी जाए

लोग अच्छे ही परेशान हैं वहशी दरिन्दों

इन्तिहाँ हो गयी अब लौ वो बुझा दी जाए

ज़ात इन्साँ की पशेमाँ है ज़रायम से 'चेतन'

तूफाँ कोई तो उठा कर…

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Posted on November 27, 2023 at 12:57pm — 2 Comments

एक ताज़ा गज़ल

2121 2122 2121 212

खो गया सुकून दिल का कार हो गया जहाँ

गुम गया सनम भँवर में ख़ार हो गया जहाँ

कामयाबी तौलती दुनिया भरोसे जऱ ज़मी

फार्म जिनके हैं नहीं गुड़मार हो गया जहाँ

ज़िन्दगी जिसे कहा हमने कहीं छुपा गया

है निशान अपने ज़ालिम पार हो गया जहाँ

कार-ए-दुनिया और कुछ हैं और कुछ दिखें ख़ुदा

मारकाट हाल कारोबार हो गया जहाँ

तोड़ हद रहे सभी अब तो अदब जहान में

लाज लुट रही घरों मुरदार हो गया…

Continue

Posted on November 8, 2023 at 8:30pm

एक और ग़जल ः

2121 2122 2122 212



ढूढ़ ले हबीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके

साथ हो नसीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



छोड़ देता रोना-धोना मस्त जीता ज़िन्दगी

दोस्त हो करीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



मरता जीता मुश्किलों तू आदमी है बदगुमाँ

साध ले सलीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



ज़ीस्त बोझ बन गई हर शख़्स वो है झींकता

जाम हो अजीब कोई जिन्दगी तो हो सके



खो चुका ख़ुलूस आदम हो गया बे होश है

दोस्त हो ग़रीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



उम्र सारी वो गँवा दी… Continue

Posted on September 24, 2023 at 9:46am — 1 Comment

Comment Wall (3 comments)

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At 6:35am on July 22, 2021, रणवीर सिंह 'अनुपम' said…
आदरणीय, चेतन जी, "दोहे : कैसे- कैसे  लोग" शीर्षक के तहत लिखे गए दोहे बहुत सुंदर हैं और बहुत अच्छे लगे।

निम्न चरण विधान में न होने से इनमें लय भंग है। जिसे दूर करने की जरूरत है।

जन्म-भूमि स्वर्ग सम हो
(कारण-नवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

कृतघ्न पक्के लोग
(कारण-आरंभ में जगण "कृतघ्न"आ रहा है, जो नहीं होना चाहिए)

कर रहे बस भोग
(कारण-एक मात्राभार कम है, साथ ही पाँचवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

न हों कभी बदनाम
(कारण-पहली मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

विद्या  हमें  सिखाती है,
(कारण-13 मात्राओं की जगह 14 मात्राएँ हैं, जो नहीं होनी चाहिए)

कर अन्याय प्रतिकार
(कारण-11 की जगह 12 मात्राएँ हैं जो नहीं होनी चाहिए)
At 11:46pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

भाई चेतन जी
नमन -
इस्लाह का
सलीका आ जायेगा
मैंने आज तलक
मुकम्मल तो कोई देखा नहीं
गलतियां निकालोगे-
तो सीखूंगा ही ।।
मैं तो अधूरा था
अधूरा रहा
और हूँ अब तलक
आज आया हूँ आपकी बज्म में
कुछ सिखा दोगे -
तो सीखूंगा भी ।।

At 11:59am on June 27, 2020, Samar kabeer said…

जनाब चेतन प्रकाश जी,ये टिप्पणी आप मुशाइर: में दें,तो मुझे जवाब देने में आसानी होगी ।

 
 
 

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