दोहा मुक्तक
मन को जब मन में मिली , मन चाही पहचान ।
मन में जागे प्यार के, अनजाने तूफान ।
मन की मोहक कल्पना, मन के सुन्दर तीर -
मन ही मन मुस्का रहे, मन के सब अरमान ।
* * *
पागल इच्छा सो गई, स्वप्न हुए साकार ।
चातक नैनों को मिला, तृष्णा का उपहार ।
शापित अभिलाषा हुई, मन को मिला न मीत -
क्षीण बिम्ब सब हो गए, धधक पड़े शृंगार ।
सुशील सरना / 22-4-23
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on April 22, 2023 at 2:54pm — 2 Comments
212 212 212 212
मैं उसी मोड़ पर सोचता रह गया
वो गया याद का सिलसिला रह गया
उसके होंठो पे कुछ बात सी रह गयी
मेरे मन में भी कुछ अनकहा रह गया
देख कर सब मुझे बात करने लगे
हाय क्या शख़्स था और क्या रह गया
आज फिर आँखों में है नमी अज़नबी
आज फिर आइना ताकता रह गया
मिट गया प्यार मायूस नाकाम हो
प्यार का दर्द लेकिन बचा रह गया
कहकहों से भरी चाँद की महफ़िलें
इक चकोरा उसे टेरता रह गया
दोस्त दामन बचाकर बिछड़ते…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 21, 2023 at 8:00am — 2 Comments
Added by Usha Awasthi on April 19, 2023 at 10:22pm — 2 Comments
एक ताज़ा ग़ज़ल जो अधूरी लगती है
122 122 1212 122 122 1212
मेरे साथ लम्हें गुज़ार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?
मुझे इस भंवर से उबार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?
भले आज तुझसे मैं दूर हूँ, किसी बेबसी का सुरूर हूँ
मुझे फिर से दिल में उतार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?
मैं तेरी नज़र का करार था ,तेरे सूने मन की बहार था।
मुझे गौर से तो निहार ले ,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?
मुझे देख ले फिर उसी तरह,मेरे पास आजा किसी तरह
मुझे चाँद कह के पुकार ले,मुझे भूलने…
Added by मनोज अहसास on April 18, 2023 at 11:17pm — 2 Comments
बदलते मौसम-से बदल गए
बढाते हुए कदम और आगे बढ़ गए
कौन कहता है कि हरजाई हो
बदलना था तुमको और तुम बदल गए|
छूट गए गलियारे कितने ही!
रूठ गए सुखद पल उतने ही
अब बहार आये लगता नहीं है
क्यारियाँ महके लगता नहीं है|
नहीं! नहीं! कुछ अलग नहीं हुआ है
दुनिया का दस्तूर ही तो निभाया है
भावनाओं का कुचलना स्वाभाविक था
यूँ कदम-तले रौंद देना ही ठीक था |
खुश हैं गलियारे तुम्हारे करीब…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 17, 2023 at 6:35pm — No Comments
2122 1122 1122 22
उठ के चल राह में तू मेरी उजाले कर दे
या कि चुपचाप मुझे मेरे हवाले कर दे
तुझको पीना है मेरा खून अभी मुद्दत तक
मेरे हिस्से में भी दो चार निवाले कर दे
अपनी तकदीर से ज्यादा तुझे शक है मुझपर
मेरे पीछे तू कईं देखने वाले कर दे
ये भी मुमकिन है बदल दे मुझे रस्तों का मिजाज़
ये भी मुमकिन है तेरे पाँवों में छाले कर दे
तोड़ डाला है हवाओं ने भरम मेरा तो
कहीं ये दौर तेरे…
Added by मनोज अहसास on April 13, 2023 at 11:22pm — No Comments
उषा अवस्थी
सुबह सबेरे थैलियाँ लेकर निकलें आप
तोड़ पुष्प झोली भरें प्रभु-पूजा के काज
भगवन भूखे भाव के, न जानें यह मर्म
दूजों के श्रम की करें चोरी, नित्य अधर्म
माली से ले आज्ञा, गुरु के हित, सुखधाम
फुलवारी में जनक की, फूल चुने तब राम
मन्दिर में प्रभु को प्रसन्न करने के हित,भोर
गलियों - गलियों डोलते हैं प्रसून के चोर
पाले, पोसे , सींच कर बड़ा करे कोई और
नष्ट करें शाखाओं को खींच-खींच…
ContinueAdded by Usha Awasthi on April 13, 2023 at 5:58pm — 2 Comments
कोई हुस्न-परस्त जो अपने रब की बातें करता है
तिल की बातें करता है या लब की बातें करता है.
.
दिल तो फिर भी धड़कन धड़कन सब की बातें करता है
ज़ह’न है साहूकार फ़क़त मतलब की बातें करता है.
.
लड़ते लड़ते दुश्मन से भी हो जाता है इश्क़ अजब
जुगनू भी अक्सर दीये से शब् की बातें करता है.
.
इक मुद्दत से यार! चलन से बाहर है ये लफ़्ज़-ए-वफ़ा
दिल नादान मुअर्रिख़ जैसा; कब की बातें करता है. मुअर्रिख़- इतिहास-कार…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 13, 2023 at 4:00pm — 6 Comments
दिल में जो मेरे ख़्वाब मुहब्बत के पल गए
इस ज़िन्दगी के सारे मआनी बदल गए
ग़ैरों में इतना दम कहाँ था मात दे सकें
अपने समर के बीच विभीषण निकल गए
आहों का मेरी उन प नहीं कुछ असर हुआ
सुन कर मगर उसे कई पत्थर पिघल गए
उसकी जुदाई में मेरी हालत को देख कर
यमराज के भी भेजे फ़रिश्ते दहल गए
दावा था जिनका साथ निभाएँगे उम्र भर
ग़ुर्बत में जीता देख के रस्ते बदल गए
उसको मैं बेवफ़ाई का दूँ दोष किस…
ContinueAdded by Ajay Kumar on April 11, 2023 at 8:48pm — No Comments
वो मुझसे दूर होती गई
और मैं देख्ता रहा चुपचाप
कुछ कर न सका
दुख की सीमा मत पूंछो
कितना कम्मपित था हृदय अरे
मन भीषण सन्ताप से पीडित था
कुछ कर न सका
कुछ कर न सका हे नाथ
वो मुझसे दूर होती गई
और मैं देख्ता रहा चुपचाप
मानव हृदय भी कैसा है
कुछ सोच रहा कुछ होता है
मानव हृदय भी कैसा है
कुछ सोच रहा कुछ होता है
बस में इसके कुछ भी तो नहीं
बस पडा पडा ये रोता है
वो दूर गई जाती ही रही…
Added by DR ARUN KUMAR SHASTRI on April 10, 2023 at 1:30am — No Comments
दोहा मुक्तक
नाम बदलने से कहाँ , खुलें भाग्य के द्वार ।
बिना कर्म संसार में, कब होता उद्धार ।
जब तक चलती जिन्दगी, चले जीव संग्राम -
जीवन के हर मोड़ का, हार जीत शृंगार ।
***
काहे अपने रूप पर, करता जीव गुमान ।
कहते हैं रहती नहीं, उम्र ढले पहचान ।
बुझ कर भी बुझती नहीं, अरमानों की आँच -
मुट्ठी भर की जिंदगी, तेरी है इंसान ।
सुशील सरना /
मौलिक एवं…
ContinueAdded by Sushil Sarna on April 5, 2023 at 1:01pm — 2 Comments
22 22 22 22
जो सच का पैरोकार नहीं
वो काग़ज़ है अख़बार नहीं
बेशक मैं गुल का हार नहीं
पर नफ़रत का भण्डार नहीं
…
ContinueAdded by Ajay Kumar on April 4, 2023 at 9:00pm — 2 Comments
1212 1122 1212 22
ये न्यूज़ वाले कहानी को मोड़ देते हैं
यहाँ की बात वहाँ ला के जोड़ देते हैं
ख़राब आज को करते नहीं हैं उसके लिए
जो कल की बात है कल पे ही छोड़ देते हैं
बड़े ही प्यार से माँ बाप पालते जिनको
उमीद उनकी वो बच्चे ही तोड़ देते हैं
दिखाते फिरते नहीं ज़ख़्म अपने दुनिया को
हम अपना दर्द ग़ज़ल में निचोड़ देते हैं
जो आइना तुझे घूरे अधिक समय तक तो
उस आइने की भी आँखों को फोड़ देते हैं
उठा के …
ContinueAdded by नाथ सोनांचली on April 4, 2023 at 1:56pm — 4 Comments
2122 2122 2122 212
तुम हमारे दौर के इक रहनुमा हो तो हँसों।
नाच कठपुतली का जग में हो रहा देखो हँसों।1
इश्क़ वालों ने किसी भी दौर में पाया न चैन,
सूखी आँखों से सभी की दास्तां लिक्खो, हँसों।2
मुझको दिल से है ज़रूरत अपने घर की छांव की,
मेरे पथ में बिछ चुके हर खार को देखो,हँसों।3
घर किसी का तोड़ने फिर आ गई है वो मशीन,
खूब दिल से ये तमाशा देखने वालों हँसों ।4
चूर हो जाओगे तुम टकरा के इन…
ContinueAdded by मनोज अहसास on April 1, 2023 at 12:04am — 2 Comments
रोशनी उस पार बेढब नित दिखाती खिड़कियाँ
काश नन्ही भोली चिड़िया खोल पाती खिड़कियाँ/१
*
है नहीं कोई उबासी सोच पर हावी सनम
ताजगी का एक झोंका नित्य लाती खिड़कियाँ/२
*
दूर पथ पर चाँद बढ़ता हसरतों से देखना
याद का झोंका लिए यूँ याद आती खिड़कियाँ/३
*
इस हवा को बात कोई कर रही बेचैन क्या
द्वार के ही साथ जो ये खटखटाती खिड़कियाँ/४
*
ढूँढ लेना छाँव पन्छी पेड़ की इक डाल पर
दोपहर की धूप से जब कुम्हलाती खिड़कियाँ/५
*
कर दिया जर्जर समय ने ओढ़ ली हर…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 31, 2023 at 10:24pm — No Comments
आ जाती हैं तितलियाँ, होते ही नित भोर
सब को इनकी सादगी, खींचे अपनी ओर।१।
*
मधुवन में जब तितलियाँ, बहुत मचाती धूम
पीछे - पीछे भागता, हर्षित बचपन झूम।२।
*
फूलों से अठखेलियाँ, कलियों से कर बात
तन–मन में जादू जगा, तितली सोये रात।३।
*
मधुबन में जब बैठते, बच्चे , वृद्ध, जवान
सबकी देखो तितलियाँ, हरती लुभा थकान।४।
*
छोटे -छोटे पंख से, रचकर मृदु संगीत
कलियों से तितली कहे, फूल बने हैं मीत।५।
*
नापे नभ को तितलियाँ,…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 31, 2023 at 10:02pm — 2 Comments
१२२/१२२/१२२/१२२
*
अँधेरों से जब जब डरी रोशनी है
बड़ी मुश्किलों में पड़ी जिन्दगी है।१।
*
कहीं आदमी खुद लगे देवता सा
कहीं देवता भी हुआ आदमी है।२।
*
सहेजी न हम से गयी यार पुरवा
कहो मत कि अब हर हवा पश्चिमी है।३।
*
हमें यूँ न रंगीन सपने दिखाओ
हमारे हृदय में बसी सादगी है।४।
*
समझ कौन पाया रही एक औषध
कहन आपकी जो लगी नीम सी है।५।
*
वही लोक में नित हुए देवता हैं
जिन्हें नार केवल रही उर्वसी है।६।
*
मौलिक /…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 30, 2023 at 4:57am — 2 Comments
चन्द्रगुप्त का पौत्र, जो बिन्दुसार का पुत्र था
बौद्ध धर्म का बना अनुयायी
जो धर्म-सहिष्णु सम्राट हुआ||
माता जिसकी धर्मा कहलाती, सुशीम नाम का भाई था
इष्ट देव शिव-शंकर पहले
ज्ञान-विज्ञान का बड़ा जिज्ञासु हुआ||
परोपकार की भावना जिसमें, उत्सुक जो अभिलाषी था
महेंद्र-संघमित्रा का पिता न्यारा
सदा पुत्र-पुत्री का साथ मिला||
बेहतरीन अर्थव्यवस्था ग़ज़ब सुशासन, जिसका…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on March 28, 2023 at 4:27pm — 1 Comment
2122 2122 2122 212
ज़िन्दगी बेशक ज़रा छोटी हो पर ऐसी न हो।
जिसमें अपने पास सुनने वाला भी कोई न हो।
तुम ज़रा कह दो उसे पापा सुबह तक आएंगे,
मेरी बेटी आज फिर जिद में अगर सोई न हो।
फासलों का क्या भरोसा वक़्त की सब बात है,
वो शिकायत मत सुना जो दिल से खुद तेरी न हो।
अब यहाँ से लौट कर जाना तो मुमकिन है नहीं,
वो जगह भी देख ले जो आज तक देखी न हो।
आपके होने से इतना तो भरोसा है मुझे,
एक तो शै है जो…
Added by मनोज अहसास on March 25, 2023 at 7:08pm — 2 Comments
जिस दौर से हम-तुम गुजरे है,
वो दौर ज़माना क्या जाने?
हम दोनों हीं बस किरदार यहाँ के,
कोई अपना अफसाना क्या जाने
रंगमंच के पर्दे के पीछे
चरित्र सभी गढ़े जाते है
जो कहते है जो करते है
वो बोल सभी लिखे जाते है
हम दोनों अपने किरदार में थे
अपनी बेचैनी कोई क्या जाने?
जिस दौर से हम तुम गुजरे है,
वो दौर जमाना क्या जाने?
है एक लम्हे का साथ सही,
पर साथ पुराना लगता है
तुम कंधे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 23, 2023 at 10:03am — No Comments
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