याद आ रही है
उन गलियों की
जहां खेल कर मैं बड़ा हुआ
उन राहों की जो आज भी
मेरे मन मे बसते है
वो कच्चा मकान
जिसमे मेरा बचपन बिता
वो छोटी दुकान जिसमे ना जाने
कितनी उधारी रह गयी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 17, 2022 at 1:00pm — 2 Comments
मन की कारिख धोई कै, प्रेम रंग चटकाय
मोद सरोवर डूबिए, काम, क्रोध विलगाय
पाप ताप की होलिका जब जारै कोई बुद्ध
प्रकटै तब आह्लाद संग नित्य, मुक्त जो शुद्ध
ज्ञानाग्नि में दहन कर , सभी शुभ अशुभ कर्म
होली हो वैराग्य की, जाने सत का…
Added by Usha Awasthi on March 16, 2022 at 11:50pm — 8 Comments
अहंकार की हार हो, जीते नित्य विनीत।
इतना ही संदेश दे, होली की हर रीत।१।
*
दहन होलिका का करो, होली के त्योहार।
तजकर ही होली मने, पाखण्डी व्यवहार।२।
*
रंग अनोखे थाल भर, हर घर गाती फाग।
होली कहती मिल गले, भेद भाव को त्याग।३।
*
कहकर बाँटें रंग ढब, मत रख खाली हाथ।
निखरा लाल पलास तो, सेमल आया साथ।४।
*
होली सब को पर्व हो, चाहे बिलकुल एक।
मन में उठी उमंग जो, उस के अर्थ अनेक।५।
*
चाहे सूखी खेलना, या फिर पानी डाल।
पर्व…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 16, 2022 at 10:27pm — 2 Comments
क्या?
क्या कहा तुमने ?
अब और जी ना पाओगे
चल पड़े हो लम्बे सफर पर
अब कभी लौट के ना आओगे
मैंने देखा है तुम्हे
रात को छुप के तन्हाई…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 16, 2022 at 11:30am — 2 Comments
होली मुक्तक (सरसी छंद )......
बार - बार पिचकारी ताने, मारे भर -भर रंग ।
भीगी मोरी अँगिया चोली , भीगे सारे अंग ।
मार शरम के मर-मर जाऊँ,लाल हो गए गाल -
बेदर्दी को लाज न आवे, छेड़े पी कर भंग ।
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जुल्मी कितना जुल्म करे है, देखो पी कर भंग ।
मदहोशी में रंग लगावे , खूब करे फिर तंग ।
अंग- अंग से छेड़ करे वो,तनिक न आवे लाज -
बार - बार वो रंग लगावे , खूब करे हुडदंग …
Added by Sushil Sarna on March 15, 2022 at 1:30pm — 4 Comments
सुबह निंद से जागा तो मैं काँप उठा
सर्दी कड़क की थी पर मेरे तन से भांप उठा
एक जकड़न सी थी पूरे बदन मे मेरे
हाथ ऊपर जो उठाया तो बदन जाग उठा
पहले कभी मुझे ऐसा लगा ही नहीं
मर्ज़ हल्का हीं रहा कभी बढ़ा ही नहीं
लगा ये रोग मुझे कैसे क्या बताऊँ मैं
कभी बदनाम उन गलियों मे मैं गया ही नहीं
थोड़ी सर्दी थी लगी और ये तन तपता था
ज़रा बदन भी मेरा आज जैसे दुखता था
सर दबाया मैंने खूब मगर फर्क पड़ा हीं नही
एक…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 15, 2022 at 12:01pm — No Comments
दोहा मुक्तक
1
मिट्टी का घर ढूँढते, भटक रहे हैं पाँव।
कहाँ गई पगडंडियाँ, कहाँ गए वो गाँव ।
पीपल बूढ़ा हो गया, मौन हुए सब कूप -
काली सड़कों पर हुई, दुर्लभ ठंडी छाँव ।
2.
कच्चे घर पक्के हुए, बदल गया परिवेश ।
छीन लिया हल बैल का, ट्रेक्टर ने अब देश ।
बदले- बदले अब लगें , भोर साँझ के रंग -
वर्तमान में गाँव का, बदल गया है पेश ।
(पेश =रूप, आकार )
सुशील सरना / 14-3-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on March 14, 2022 at 3:14pm — 2 Comments
क्या होगा मेरे मरने के बाद?
मेरी लाश को उठाएंगे
नाक को दबाते हुए
शरिर को छूएँगे मगर
खुदको बचाते हुए
बच्चे कुछ दिन रोएँगे, गाएँगे
मेरी यादों मे डूब जाएंगे
बीबी की चूड़ियाँ तोडी जाएगी
सिंदूर मिटाया जाएगा
सफ़ेद सारी पहनाई जाएगी
कुछ लोग जो…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 14, 2022 at 12:17pm — 7 Comments
फैला आँचल है बहुत, लेकिन चोली तंग।
धरा देश की देखिए, लिए अनोखे रंग।।
*
भरें अनोखे रंग नित, जीवन में त्योहार।
तभी सनातन धर्म में, है इनकी भरमार।।
*
बहना, माता, सहचरी, बंधु , तात आधार।
भरे अनोखे रंग नित, मीत रूप में प्यार।।
*
बचपन यौवन वृद्धता, चलते संग कुसंग।
नित जीवन देता रहा, हमें अनोखे रंग।।
*
बड़े अनोखे रंग यूँ, रखती धरती पास।
पानी पानी है कहीं, कहीं सिर्फ है प्यास।।
*
विविध अनोखे रंग की, मौसम मौसम धार।
धरती…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 13, 2022 at 11:54pm — 4 Comments
दोहा सप्तक ....
नारी अब सक्षम हुई, मुक्त हुई परवाज़ ।
विश्व पटल पर गूँजती, नारी की आवाज़ ।।
नर से नारी माँगती, बस थोड़ा सा प्यार ।
बदले में उसको मिला, धोखे का संसार ।।
चूल्हा चक्की छोड़ दी, तोड़े बंधन तार ।
अब नारी ने रच दिया, एक नया संसार ।।
अम्बर को छूने चली, कल की अबला नार ।
नर के पौरुष का हुआ, तार- तार संसार ।।
नारी ताकत पुरुष की , स्वयं नहीं कमजोर ।
अनुपम कृति वो ईश की, वो आशा की भोर…
Added by Sushil Sarna on March 12, 2022 at 7:43pm — 3 Comments
हज़ारों यहाँ इश्क़ में बीमार बैठे है
जीस गली में देखो दो चार बैठे है
किसी काम में अब जी नहीं लगता इनका
लोग कहते है की ये सब बेकार बैठे है
उंगलिया हटती नहीं कभी इनकी चैटिंग से
वक्त मिलता नही इनको कभी भी डेटिंग से
हर दिन बदलते है ये प्रोफाइल कपड़ो की तरह
फर्क पड़ता है इन्हे बस टिंडर की सेटिंग से
साथ इनके है अभी कल कोई नया आएगा
भूल जाएगा ये भी वो भी इन्हें भूल जाएगा
दिल का टूटना तो बस एक छलावा है
ये किसी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 12, 2022 at 11:44am — No Comments
रंग है ये शान का रंग है ये आन का
वीरों के मान का देश के अभिमान का
रंग है बखान का प्राणों के दान का
सीमा पर जो मर मिटे उनके बलिदान का
रंग है ललकार का शत्रु पर वार का
शेरों से जा भिड़े जो उनके हुंकार का
रंग है ये आस का मन के विश्वास का
दुष्टों को ताड़ दे उस शुभ के आभास का
रंग है प्रताप का रंग है सुभाष का
तिलक का रंग है और रंग है आज़ाद का
रंग है कमान का वीरों के बाण का
आश्रित कभी न हो उस सत्य के प्रमाण…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 11, 2022 at 12:47pm — No Comments
तु देखे ना देखे मुझे तुझ पर छोडा है
पर मैं ना देखूं तुझे ये मुमकिन ही नहीं
तु चाहे ना चाहे मुझे ये तेरी मर्ज़ी है
पर मैं ना चाहूँ तुझे ये मुमकिन नहीं
एक सच ये भी है की तु बस मेरी है
ये तु ना माने, बात कुछ खास नहीं
कभी फुर्सत में भी ना देखना तू आईना
अक्स मेरा तुझमे ना दिख जाए…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 10, 2022 at 12:30pm — No Comments
एक सर्वेक्षण-कर्ता की डायरी
दिनांक :- ३० अक्तूबर, २०२१
बॉस ने ‘वर्तमान ऑनलाइन शिक्षा-प्रणाली की सार्थकता और उपयोगिता’ पर सर्वेक्षण कर अगले वर्ष के फ़रवरी माह तक रिपोर्ट जमा करने हेतु कहा है|”
दिनांक:- ४ नवम्बर, २०२१.
तय किया है कि उपर्युक्त विषय हेतु मैं वरिष्ठ-नागरिकों, बच्चों के अभिभावक, युवा वर्ग, एवं बच्चों से मिलूँगा…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on March 9, 2022 at 5:00pm — 1 Comment
सैकड़ो शब्द हमने लिखे लैपटॉप, टैबलेट पर
कलम को जब उठाया लिखने का मज़ा आया
स्काइप और डुओ में कई बार सबको देखा
गले लग के दोस्तों से मिलने का मज़ा आया
बेतुकी सी कई बाते चैटिंग में हमने बोली
संग बैठ कर गरियाये बकने का मज़ा आया
गाना और सावन में हज़ारो गाने सुन डाले
ताल ढोलक पर जब लगाया गाने का मज़ा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 9, 2022 at 9:53am — 1 Comment
पलछिन
अम्मा जी को आज अस्पताल में भर्ती हुये दस दिन हो गये थे। दौड़ी आई अलविदा होती अम्मा की बेटी की बातों और दिन-रात उनकी सेवा करती दोनों बहुओं ने मिलकर अपनी बूढ़ी अम्मा को भला चंगा कर दिया।
झाईयों से झांकती मुस्कान के साथ बेटी-बहुओं के खिलखिलाते चेहरे… हंसी-मजाक में … सुकून के पल चुराती… एक-दूसरे को देख जैसे कुछ चटककर हंसी में खनखना…
ContinueAdded by babitagupta on March 8, 2022 at 2:53pm — No Comments
यह नवयुग की नारी है, सुमन रूप चिंगारी है।।
अबला औ' नादान नहीं अब।
दबी हुई पहचान नहीं अब।।
खुली डायरी का पन्ना है,
बन्द पड़ा दीवान नहीं अब।।
अंतस स्वाभिमान भरा है, लिए नहीं लाचारी है।।
यह नवयुग की नारी है.....
संघर्षों में तप कर निखरी।
पैमानों पर चोखी उतरी।।*
जितना इसको गया दबाया,
उतना बढ़चढ़ यह तो उभरी।।*
हल्के में मत इस को लो, छिपी हुई दोधारी है।।
यह नवयुग की नारी है.....
इसका साहस जब नभ गाता।
करता…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 7, 2022 at 8:54pm — 8 Comments
जब मैं चलता हूँ तो साथ साथ वो भी चलती है
जहां मैं मुड़ा कहीं मेरे साथ वो भी मुड़ जाती है
रूप रंग में हाव-भाव में बिल्कूल मेरे जैसी है
मैं तो दीखता हूँ हर जगह वो कहीं-कहीं छुप जाती है
सूरज हो या चाँद फलक पर इसको फर्क नही पड़ता
खोली हो या हो कोई हवेली इसको डर नहीं लगता
आगे पीछे ऊपर निचे ये कही भी हो सकती है
टेढ़ी मेढी छोटी मोटी ये कैसी भी हो सकती…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 7, 2022 at 11:38am — 1 Comment
चिड़ियों के चहक में आज कोलाहल था शोर था
उत्तर के पुरे आसमान में काले बादल का ज़ोर था
पेड़ अभी तक शांत खड़े थे धूल की ना कोई रैली थी
सूरज अब तक ढला नहीं था ना तो अंधियारी फैली थी
हवा थमी फिर सूरज चमका गर्मी थोड़ी और बढ़ी
काले बादलों की एक टोली आसमान में और चढ़ी
एक तरफ थे काले बादल एक तरफ उजियरा था
तभी कहीं पर चमकी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 5, 2022 at 12:31pm — 1 Comment
Added by Dr.Prachi Singh on March 5, 2022 at 12:00pm — 2 Comments
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