दिशाविहीन
दयनीय दशा
दुख में वज़्न
दुख का वज़्न
व्यथित अनन्त प्रतीक्षा
उन्मूलित, उचटा-सा है मन
कि जैसे रिक्त हो चला जीवन
खाली लगती है…
ContinueAdded by vijay nikore on March 29, 2022 at 2:33pm — 11 Comments
कजरा वही गज़रा वही आँखों में है नर्मी वही
पायल वही झुमका वही साँसों में है गर्मी वही
टिका वही बिंदी वही गालो में है लाली वही
काजल वही कंगन वही कानो में है बाली वही
चुनड़ वही घागर वही कमर पर है गागर वही
ताल वही और चाल वही घुँघराले से बाल वही
रूप वही और रंग वही चोली अबी भी तंग वही
अंग वही और ढंग वही रहती हरदम है संग…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 29, 2022 at 10:25am — 12 Comments
2×15
दूर कहीं पर धुंआ उठा था दम घुटता था मेरा भी
ख़्वाब में मैंने देख लिया था दिल सुलगा था मेरा भी
एक अदद मिसरा जो दिल से निकले और पहुँचे दिल तक
हर सच्चे शाइर की तरहा ये सपना था मेरा भी
टुकड़े टुकड़े दिल है पर मरने की चाह नहीं होती
तेरे अहसानों के बदले इक वादा था मेरा भी
मेरी आँखों की लाचारी तुम भी समझ नहीं पाए
खारे पानी के दरिया में कुछ हिस्सा था मेरा भी
दिल को यही दिलासा देकर काट रहा हूँ तन्हाई
इस मिट्टी के…
Added by मनोज अहसास on March 29, 2022 at 12:18am — 6 Comments
किवाड़ के खड़कने के आवाज़ पर
दौड़ कर वो कमरे में चली गयी
आज बाबूजी कुछ कह रहे थे माँ से
अवाज़ थी, पर जरा दबी हुई
बात शादी की थी उसकी चल पड़ी
सुनकर ये ख़बर जरा शरमाई थी
आठवीं जमात हीं बस वो पढ़ी थी
चौदह हीं तो सावन देख पाई थी
हाथ पिले करना उसके तय रहा
बात ये बाबूजी जी ने उससे कह…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 28, 2022 at 10:25am — 2 Comments
घटा - घोप अन्धेर है, कहीं न पहरेदार ।
तक्षक बनता काल है, क्या होगा घर-बार ।। ( 1 )
+++++++++++++++++++++++++
नागफनी वन हो गये, जंगल ...नम्बरदार ।
बना कैक्टस मुँहलगा, फुदकता - बार बार ।। ( 2 )
++++++++++++++++++++++++++++++
रोशन जो दिखती नहीं, गाँव सखा तक़दीर ।
बुझा- बुझा सा मन हुआ, सोच रहा ताबीर ।। ( 3…
ContinueAdded by Chetan Prakash on March 27, 2022 at 12:30am — 2 Comments
यथार्थ के दोहे .....
पाप पंक पर बैठ कर ,करें पुण्य की बात ।
ढोंगी लोगों से मिलेेें, सदा यहाँ आघात ।।
आदि -अन्त के भेद को, जान सका है कौन ।
एक तीर पर शोर है, एक तीर पर मौन ।।
आदि- अन्त का ग्रन्थ है, कर्मों का अभिलेख ।
जन्म- जन्म की रेख को,देख सके तो देख ।।
कितना टाला आ गई, देखो आखिर शाम ।
दूर क्षितिज पर दिख रहा, अब अन्तिम विश्राम ।।
तृप्ति यहाँ आभास है, तृष्णा भी आभास …
ContinueAdded by Sushil Sarna on March 26, 2022 at 3:30pm — 13 Comments
पाप.....
कितना कठिन होता है
पाप को परिभाषित करना
क्या
निज स्वार्थ के लिए
किसी के उजाले को
गहन अन्धकार के नुकीले डैनों से
लहूलुहान कर देना
पाप है
क्या
अपने अंतर्मन की
नाद के विरुद्ध जाना
पाप है
क्या
किसी की बेबसी पर
अट्टहास करना
पाप है
क्या
अन्याय के विरुद्ध मौन धारण कर
नज़र नीची कर के निकल जाना
पाप है
वस्तुतः
सोच से निवारण तक …
Added by Sushil Sarna on March 25, 2022 at 8:14pm — 2 Comments
एक दिन स्वर्ग में घूमते-घूमते
एक जगह रुक्मिणी राधिका से मिली
एक दिन स्वर्ग में……………
सैकड़ों प्रश्न मन में समेटे हुए
श्याम की प्रीत तन पर लपेटे हुए
जोड़कर हाथ राधा के सम्मुख वहाँ
एक रानी सहज भावना से मिली
एक दिन स्वर्ग में …………….
देखकर राधिका झट गले लग गई
साँवरे की महक से सुगंधित हुई
प्रीत की प्रीत में घोलकर मन, बदन
साधना प्रीत की साधना से मिली
एक दिन स्वर्ग में……………
भेँटना हो गया बात होने…
ContinueAdded by आशीष यादव on March 25, 2022 at 1:30pm — No Comments
ना खबर है राह की ना मजिंल का ठिकाना है
खुद की तलाश में हम खुद को भुलाए जा रहे है
नज़्म है कोई ना कोई गुंज़ाइश-ए तराना है
अंजान अल्फ़ाज़ को खुदका बताए जा रहे है
फलक के अक्स में हम तैरते हुए
उस पार हो भी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 25, 2022 at 10:30am — No Comments
विरहणी; भाई ,पति का
संदेश तुम्ही से कहती थी
अपने भावों को पहुँचाने
तुम्हे निहोरा करती थी
स्वर्ण रश्मियों की डोरी से
चन्द्र उतर कर तुम आते
तपते मन के ज़ख़्मों पर…
Added by Usha Awasthi on March 24, 2022 at 11:05am — 2 Comments
चार दिन भी हुए नहीं ब्याह के उसको आए हुए
उसके नाम की चर्चा में हैं मनचले बौहराये हुए
बस्ती में चर्चा है काफी उसके लम्बे बालों की
लोग तारीफे कर रहे हैं उसके गोरे गालों की
पति प्रेम है उसका सच्चा, तन से है वो थोड़ा कच्चा
अगन प्यास की बुझा ना पाए, है अकल से पूरा बच्चा
तन की प्यास बुझाने को वो दिल ही दिल में व्याकुल…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 24, 2022 at 10:55am — No Comments
आज का दिन है बड़ा सुहाना, हवा में खुशियां फैली है
आओ मिलकर ख़ुशी मनाए, घाटी ने बाहें खोली है
सत्तर साल से जिन पैरों को, जंजीरों ने जकड़ा था
घाटी के दामन को अब तक, जिन धाराओं ने पकड़ा था
ख़त्म हुआ अनुच्छेद आज वो, अब तुम खुलकर साँसे लो
कदम बढ़ाओ तुम भी आगे, इस राष्ट्र पुरुष (अखण्ड भारत) के संग हो लो
शायद थोड़ी देर हुई है, ये पहले ही हो जाना…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 23, 2022 at 10:04am — 2 Comments
रोला छंद .....
साबुन बचा न शेष, देह काली की काली ।
पहन हंस का भेष , मनाये काग दिवाली ।
नकली जग के फूल, यहाँ का नकली माली।
सत्य यहाँ पर मौन , झूठ की बजती ताली ।
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खूब किया शृंगार, लगाई बिन्दी लाली ।
घरवाली को छोड़ ,सजन को भायी साली ।
रखना लेकिन याद ,काम अपने ही आते ।
ऐसे झूठे साथ , बाद में बहुत रुलाते ।
सुशील सरना / 22-3-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on March 22, 2022 at 4:53pm — 6 Comments
(वोट के पहले)
वोट माँगने आए हैं, जोड़ कर दोना हाथ
बोले कभी न छोड़ेंगे, हम जनता का साथ
इस जनता का साथ, कभी जो हमने छोड़ा
उम्मीदों का तार, जैसे हो हम हीं ने तोड़ा
भूखा होगा कोई ना, ना सोएगा खाली पेट
हर कोई शिक्षा पाएगा, विद्यालय में…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 22, 2022 at 10:30am — No Comments
मात -पिता ने जन्म दे, पाला, किया दुलार।
प्रथम करें हम इसलिए, उनका ही आभार।।
*
गुरुओं ने जो ज्ञान दे, जीवन दिया सँवार।
चाहे जितना भी करें, कम पड़ता आभार।।
*
सखा, सहेली, मीत जो, सुख दुख में तैयार।
उनका भी तो हम करें, नित थोड़ा आभार।।
**
आस - पड़ौसी जो करें, प्रेम भरा व्यवहार।
हक से उनका भी करें, चलो आज आभार।।
*
सदा चिकित्सक दे दवा, करते हैं उपचार।
जीवन रक्षण के लिए, उनका भी आभार।।
*
अन्य सभी जो भी हुए, जीवन में…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 21, 2022 at 10:00pm — 4 Comments
रोला छंद .....
मात्र नहीं संयोग ,जीव का सुख-दुख पाना ।
सीमित तन में श्वास,लौट के सब के जाना ।
भोर-साँझ आभास, जगत है झूठी आशा ।
आदि संग अवसान, ईश का अजब तमाशा ।
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समझो मन की बात, रात है सजनी छोटी ।
आ जाओ कुछ पास, प्रेम की सेकें रोटी ।
यौवन के दिन चार, न लौटे कभी जवानी ।
लिख डालें फिर आज,प्रेम की नई कहानी ।
सुशील सरना / 21-3-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on March 21, 2022 at 1:00pm — 5 Comments
सदा कीजिए वानिकी, मिलती इससे छाँव।
नगर प्रदूषण से रहित, प्यारा लगता गाँव।।
*
जन जीवन है पेड़ से, नहीं पेड़ को काट।
पेड़ बिना है यह धरा, बस रेतीला घाट।।
*
अपने दम पर वानिकी, जीवित रखे पहाड़।
बची नहीं जो वानिकी, धरती बने उजाड़।।
*
इन से ही सुन्दर लगे, इस धरती का रूप।
पेड़ बहुत हैं काम के, हरते तपती धूप।।
*
वन सिखलाते हैं सदा, जीवन की हर रीत।
पुरखों ने सच ही कहा, इनको अपना मीत।।
*
पर्वत पथ तट जो रहे, लम्बी…
ContinueAdded by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 20, 2022 at 10:00pm — 3 Comments
सभी मित्रों को होली की हार्दिक बधाई
कुछ चुटकियाँ होली पर ....
पत्नि कर दे न
तो बोलो कैसे होगी हाँ
जरा तो सोचो यारा
जोगी रा सा रा रा रा
पत्नी कर दे हाँ
तो बोलो कैसे होगी न
जरा तो सोचो यारा
जोगी रा सा रा रा रा
कैसी लगती भंग
लगे न जब तक नार को रंग
जरा तो सोचो यारा
जोगी रा सा रा रा रा
नैन नैन से रार करे
कैसे लगायें रंग
जरा तो सोचो यारा
जोगी रा सा रा रा रा…
Added by Sushil Sarna on March 18, 2022 at 1:25pm — 2 Comments
भैंसे पर बैठे हुए आ धमके यमराज
बोले बच्चा खत्म हुए सकल तुम्हारे काज
अपने सभी परिजन को देख ले अंतिम बार
यमलोक को जाने को तुम अब हो जाओ तैयार
वो बोली मैं चलती हूँ बस काम पड़े है चार
कपडे, बर्तन बाकि है धर दूँ मैं आचार
रसोई अभी तक हुई नहीं, नहीं बना आहार
कैसे अभी मैं चल पडू छोड कर ये…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 18, 2022 at 12:29pm — No Comments
Added by Saurabh Pandey on March 17, 2022 at 8:00pm — 8 Comments
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