For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज का दिन है बड़ा सुहाना, हवा में खुशियां फैली है

आओ मिलकर ख़ुशी मनाए, घाटी ने बाहें खोली है

सत्तर साल से जिन पैरों को, जंजीरों ने जकड़ा था

घाटी के दामन को अब तक, जिन धाराओं ने पकड़ा था

ख़त्म हुआ अनुच्छेद आज वो, अब तुम खुलकर साँसे लो

कदम बढ़ाओ तुम भी आगे, इस राष्ट्र पुरुष (अखण्ड भारत) के संग हो लो

शायद थोड़ी देर हुई है, ये पहले ही हो जाना था

भारत माँ को ये धरोहर, पहले ही मिल जाना था

घाटी केवल स्थान नहीं है, भारत माँ का सम्मान है

मुकुट शीष का सदा रहा है, देश का ये अभिमान है

बहुत सहा है अब तक तुमने, जाने कितने दुःख पाए है

तेरी सीमा के रक्षा में अबतक, कितनों ने प्राण गवाएं है

आतंकवाद के दाग को तुमने, बड़े दिनों तक झेला है

धूल जाएंगे दाग ये सारे, बस चार दिनों का खेला है

अभी तलक जो दबी हुई थी, वो सब इच्छा पूरी होगी

दिल्ली से अब कश्मीर की, बेशर्त ये दूरी तय होगी

फांस जो दिल में लगी हुई थी, दिल को जो दुखलाती थी

कश्मीर के बिछडो को अबतक, जो हर पल बड़ा रुलाती थी

ख़त्म वो सारी बंदिश है अब, डर की कोई बात नहीं

ये तो एक नई सुबह है, लम्बी काली रात नहीं

शत्रु की कोई बुरी नज़र, अब तुझ पर ना पड़ने देंगे

आँख उठाई अगर किसी ने, धर से शीष अलग कर देंगे

अब कोई बर्बाद ना होगा, ना अपना घर कोई खोएगा

नए नस्ल के बिज़ यहाँ पर, अब हर काश्मिरी बोएगा

जो खुद घर को लौटना पाए, वो बच्चों को बतलाएंगे

सफर शुरू बस आज हुआ है, हम लौट के घर को जाएंगे

"मौलिक व अप्रकाशित" 

अमन सिन्हा 

Views: 243

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AMAN SINHA on March 28, 2022 at 10:08am

@Saurabh Pandey 

मान्यवर, 

आपसे प्रोत्साहन पाना मेरे लिये गौरव की बात है। 

मैं सतत प्रयत्न करुंगा की आपके सुझावो पर चलकर अपनी लेखनी में लगातार सुधार करता रहूं। 

धन्यवाद। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 27, 2022 at 2:22pm

वाह !

आपका सतत प्रयासरत रहनालआपकी सफलता के सोपान प्रशस्त करेगा, आदरणीय. 

आपका सार्थक प्रयास आपकी रचना-प्रक्रिया के प्रति आश्वस्ति है.

आप पटल पर भारतीय छंद विधान समूह के अथवा गजल के समूह के आलेख भी पढ़ते रहे. गेयता, विन्यास आदि के प्रति बोध बढ़ता जाएगा.

शुभातिशुभ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आइए…See More
55 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी आभार संज्ञान लेने के लिए आपका सादर"
57 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी आभार आपका सादर"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. अमित जी ग़जल पर आपके पुनरागमन एवम् पुनरावलोकन के लिए कोटिशः धन्यवाद ! सुझावानुसार, मक़ता पुनः…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत धन्यवाद। आप का सुझाव अच्छा है। "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service