Added by Sujit Kumar Lucky on April 16, 2011 at 12:00am — 1 Comment
ओस की कुछ बूँदें बिना बताए ले आई थी,
Added by Lata R.Ojha on April 15, 2011 at 11:00pm — 2 Comments
जलियावाला बाग में, बारूदी था जोर.
सारे जन मारे गए बचा न कोई और..
कातिल डायर ने कहा फायर फायर मार.
तड़ तड़ बरसें गोलियाँ भीषण करें प्रहार ..
मौत मिली थी…
Added by Er. Ambarish Srivastava on April 15, 2011 at 12:00am — 13 Comments
Added by Rash Bihari Ravi on April 14, 2011 at 5:30pm — No Comments
Added by Lata R.Ojha on April 14, 2011 at 5:00pm — 2 Comments
Added by Rash Bihari Ravi on April 14, 2011 at 4:30pm — 14 Comments
Added by Rash Bihari Ravi on April 14, 2011 at 4:19pm — 1 Comment
बैठा है, किसी नई हलचल का इंतजार है,
खुदगर्ज दिल को आज फ़िर किसी से प्यार है
पुरानी उलफ़तों की दुहाई अब नही देता,
खुमारी है नई, पर खौफ़ तो बरकरार है
हर ज़ख्म को वक्त ने कर दिया है बख्तरबंद,
कुछ दर्द के निशान आज भी यादगार है
परख लें कंही नकली न हो पैमानें का नशा
पोशीदा बातों का कोई और भी…
Added by अमि तेष on April 14, 2011 at 2:00pm — 4 Comments
Added by rajkumar sahu on April 14, 2011 at 1:18am — No Comments
कल का आज कैसा होगा ,
किसी के सपनो के ताजमहल नही ,
खंडहर जैसा होगा ,
दीवारें खड़ी बेजान सी ,
जाने पहचाने अनजान सी,
उठने से पहले ,
दबने वाले तूफान सी ,
खड़ी होगी अपने जर्जर नीव पर ,
अपने सत्य को मिथ्या बताते ,
जिन्हें देख कर उठेगा प्रश्न ,
कल का आज कैसा होगा,
इस खँडहर नही,
किसी के…
Added by Rajeev Kumar Pandey on April 13, 2011 at 12:30pm — 2 Comments
Added by Rajeev Kumar Pandey on April 13, 2011 at 12:00pm — 2 Comments
नवगीत
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Added by Rana Pratap Singh on April 13, 2011 at 10:00am — 13 Comments
Added by Rajeev Kumar Pandey on April 12, 2011 at 11:30pm — 1 Comment
Added by Rajeev Kumar Pandey on April 12, 2011 at 9:30pm — 6 Comments
Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on April 11, 2011 at 11:00pm — 2 Comments
Added by Lata R.Ojha on April 11, 2011 at 4:30pm — 2 Comments
ये नाम और काम का संबंध बड़ा नाजुक है
बड़े हिसाब किताब के बाद ही इनके संबंध स्थापित करने चाहिए
अब खुद ही देख लो
भ्रष्टाचारियों को भी नेता कहना पड़ता है
और दलालों को पत्रकार
गुंडों को रक्षक, और जो पकड़ा गया बस वो ही भक्षक
किसी ने कहा नाम में क्या रक्खा है
अरे भाई ! नाम का ही तो सारा काम है
और जिसका नाम नहीं उसकी जिंदगी हराम है
पांच सो का जूता दो हज़ार में बिकता है नाम की…
Added by Bhasker Agrawal on April 11, 2011 at 3:07pm — 6 Comments
दुनियां के सभी रिश्तों में प्रमुख रिश्ता हैं माँ।
सचमुच में हर प्राणी के लिए फरिश्ता हैं माँ।।
घने कोहरे में गर मंजिल नजर न आयें।
बंद हो सब रास्ते तो इक रास्ता हैं माँ।।
दुनियां के इस खौफनाक बियाबां में दोस्तों।
वहशियों से काबिले-हिफाजत पिता हैं माँ।
सगे-संबंधी मित्र-बंधु सभी सुख के साथी।
लेकिन दु़ख में साथ निभाने वाली सहभागिता हैं…
Added by nemichandpuniyachandan on April 11, 2011 at 10:00am — 3 Comments
प्रिय ,अभी
वक्त कैसे बीत रहा हैं अब आप को क्या बताऊँ हर तरफ तुम्हारी ही यादें है .हर तरफ हर जगह तुम्ही दिख रहे हो .. तुम्हारी ओ मुस्कुराहट.. तुम्हारी आहट बन कर सताती है.......तुम्हें देखने की जो ललक तब थी.. ओ…
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on April 10, 2011 at 2:30pm — No Comments
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