For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौत मिली थी आ गले.....


जलियावाला बाग में, बारूदी था जोर. 
सारे जन मारे गए बचा न कोई और..

कातिल डायर ने कहा फायर फायर मार.
तड़ तड़ बरसें गोलियाँ भीषण करें प्रहार ..

मौत मिली थी आ गले वह होली ना ईद.
खूनी कहलाया कुआँ सारे हुए शहीद..

ऊधम लन्दन तक गए लेना था प्रतिकार.
डायर को प्रतिफल दिया करके तीक्ष्ण प्रहार..

निष्ठुर थे गोरे  बड़े किया सभी बरबाद.
दिल दहलाये कांड वह अब तक सबको याद..
--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 1982

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज लाली बटाला on August 1, 2011 at 2:11am

wah !! Poori kahani suna di aapne !! Bahut khoob !

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 22, 2011 at 7:04pm
आपका स्वागत है मित्र वीरेंद्र जैन जी ! सराहना के लिए बहुत-बहुत आभार .........
Comment by Veerendra Jain on April 22, 2011 at 12:23pm
Bahut hi badhiya rachna ... Ambarish ji...bahut bahut badhai..
Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 21, 2011 at 12:07pm
भाई आशीष यादव जी ! आप की इस सराहना से इस रचना का सृजन सार्थक  हो गया है बहुत-बहुत आभार आपका  .............
Comment by आशीष यादव on April 19, 2011 at 7:25pm
जलिया वाला बाग हत्या कांड के बारे में कौन नहीं जनता होगा| और उधम सिंह द्वारा लिया गया प्रतिशोध..........
इस घटना को बहुत अच्छे शब्दों में पिरो कर हमारे सामने एक सुन्दर सा हार, जो की वीरों की वीरता और दुष्टों की दुष्टता को बखूबी प्रस्तुत कटरहा है, बहुत अच्छा लगा|
Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 15, 2011 at 10:53pm
आदरणीय भाई रवि कुमार जी ! यह तो इस चित्र को देखकर हृदय से अकस्मात् ही  उपजे हुए भाव हैं बस......धन्यवाद मित्र ! :))
Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 15, 2011 at 10:50pm
आदरणीय भाई  नेमीचंद जी ! देश भक्ति तो हर भारतीय का प्रत्यक्ष आभूषण है ! सराहना के लिए आभार मित्र !
Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 15, 2011 at 10:48pm
भाई राजीव मिश्र जी ! बहुत सही कहा आपने कि "पूर्वजों कि गाथा सुन और सुनाकर ही भविष्य तैयार होता है !" बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र !:))
Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 15, 2011 at 10:46pm
भाई बागी जी! जलियावाला कांड पर एक चित्र देखा तो बरबस ही यह रचना बन गई .....आपने इसे सराहा तो ऐसा लगा जैसे यह सृजन सार्थक हो गया है ........बहुत-बहुत आभार मित्र :))
Comment by Rash Bihari Ravi on April 15, 2011 at 6:43pm
khubsurat lajabab sir ji

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service