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Sushil Sarna
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post ममता ......(लघुकथा )
"आदरणीया रचना भाटिया जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीया जी "
Mar 10
Rachna Bhatia commented on Sushil Sarna's blog post ममता ......(लघुकथा )
"आदरणीय सुशील सरना जी,आज के ज्वलंत विषय पर अच्छी लघुकथा हुई। बधाई स्वीकारें।"
Mar 9
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post ममता ......(लघुकथा )
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Mar 2
Sushil Sarna commented on Er. Ganesh Jee "Bagi"'s blog post लघुकथा : पीठ का दाग (गणेश बाग़ी)
"वाह आदरणीय गणेश बागी जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति सर "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post ममता ......(लघुकथा )
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 1
Sushil Sarna posted a blog post

ममता ......(लघुकथा )

ममता ...."सुनिए,  मैं ये कह रही थी कि 5 दिन के बाद अपनी पोती नीलू का जन्म दिन है । नीलू पूरे चार साल की हो जाएगी" पार्वती ने लेटे-लेटे अपने  पति राघव से कहा।"हाँ वो तो है ।" राघव ने जम्हाई लेते हुए कहा ।"मैं ये सोच रही थी क्यों न हम  इस मौके पर हम  अपनी तरफ से ग्यारह हजार रुपये का चेक अपने आशीर्वाद के रूप में भेज दें क्योंकि शारीरिक व्याधियों की हम दिल्ली तो जा नहीं सकते ।" पार्वती ने कहा ।"तेरा विचार सही है । मैं कल ही  बैंक में चेक डाल दूँगा । पार्वती  एक बात तो बता कि हमारे बेटा बहू रोज…See More
Feb 28
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post हर जंगल को नित्य मिटाने(गजल)- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई सर"
Feb 19
Sushil Sarna commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post यूँ कर्म करें
"वाह बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई सर"
Feb 19
Sushil Sarna commented on Chetan Prakash's blog post गज़ल
"वाह आदरणीय चेतन जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है हार्दिक बधाई सर ।"
Feb 19
Sushil Sarna posted a blog post

मनमोहन छंद

मनमोहन छंद (प्रथम प्रयास )8,6-पदान्त 111कान्हा जी से, लगी लगन ।पागल मन ये , हुआ मगन ।मन में जागी, प्रीत  अगन ।भूल गया मन , धरा गगन ।***मनमोहन   तू, बड़ा  चपल ।तुझे   निहारें ,  नैन   सजल ।हरदम  लगता , रूप  नवल ।छलकें नैना , छल छल छल ।सुशील सरना /मौलिक एवं अप्रकाशित See More
Feb 11
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय समर कबीर जी आदाब सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Feb 11
Samar kabeer commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी प्र्स्तुति पर बधाई स्वीकार करें I "
Feb 8
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक. . . .साथ चलेंगी नेकियाँ, छूटेगा जब हाथ । बन्दे तेरे कर्म बस , होंगे   तेरे  साथ ।।मिथ्या इस  संसार में,  अर्थहीन सम्बंध। देह घरोंदा जीव का, साँसों का अनुबंध ।।रह जाएगी जगत में, कर्मों की बस गंध । इस जग में है जिंदगी, दो पल का अनुबंध ।।आभासी संसार के,  आभासी संबंध । मिट जाता जब सब यहाँ, रहती कर्म सुगंध ।।जब तक साँसें देह में, चलें देह सम्बंध । शेष रहे संसार में, जीव कर्म  की  गंध ।।सुशील सरना / 3-2-23मौलिक एवं अप्रकाशित See More
Feb 4
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"जी सृजन के भावों को मान देने और त्रुटि इंगित करने का दिल से आभार । सहमत एवं संशोधित"
Feb 4
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए है। हार्दिक बधाई। लेकिन यह दोहा पंक्ति में मात्राएं अधिक हो रही हैं - "बन्दे तेरे कर्म बस , चलेंगे  तेरे  साथ" इसे यूँ कर सकते हैं - "बन्दे तेरे कर्म ही , जायेंगे बस साथ""
Feb 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक. . . .साथ चलेंगी नेकियाँ, छूटेगा जब हाथ । बन्दे तेरे कर्म बस , होंगे   तेरे  साथ ।।मिथ्या इस  संसार में,  अर्थहीन सम्बंध। देह घरोंदा जीव का, साँसों का अनुबंध ।।रह जाएगी जगत में, कर्मों की बस गंध । इस जग में है जिंदगी, दो पल का अनुबंध ।।आभासी संसार के,  आभासी संबंध । मिट जाता जब सब यहाँ, रहती कर्म सुगंध ।।जब तक साँसें देह में, चलें देह सम्बंध । शेष रहे संसार में, जीव कर्म  की  गंध ।।सुशील सरना / 3-2-23मौलिक एवं अप्रकाशित See More
Feb 3

Profile Information

Gender
Male
City State
Jaipur-Rajasthan
Native Place
New Delhi
Profession
Retired from Central Govt.Service as Superintending Officer
About me
I am a simple,sentimental and transparent person.Poetry is my hobby and passion

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ममता ......(लघुकथा )

ममता ....

"सुनिए,  मैं ये कह रही थी कि 5 दिन के बाद अपनी पोती नीलू का जन्म दिन है । नीलू पूरे चार साल की हो जाएगी" पार्वती ने लेटे-लेटे अपने  पति राघव से कहा।

"हाँ वो तो है ।" राघव ने जम्हाई लेते हुए कहा ।

"मैं ये सोच रही थी क्यों न हम  इस मौके पर हम  अपनी तरफ से ग्यारह हजार रुपये का चेक अपने आशीर्वाद के रूप में भेज दें क्योंकि शारीरिक व्याधियों की हम दिल्ली तो जा नहीं सकते ।" पार्वती ने कहा ।

"तेरा विचार सही है । मैं कल ही  बैंक में चेक डाल दूँगा ।…

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Posted on February 28, 2023 at 9:46pm — 4 Comments

मनमोहन छंद

मनमोहन छंद (प्रथम प्रयास )
8,6-पदान्त 111

कान्हा जी से, लगी लगन ।
पागल मन ये , हुआ मगन ।
मन में जागी, प्रीत  अगन ।
भूल गया मन , धरा गगन ।

***

मनमोहन   तू, बड़ा  चपल ।
तुझे   निहारें ,  नैन   सजल ।
हरदम  लगता , रूप  नवल ।
छलकें नैना , छल छल छल ।

सुशील सरना /

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Posted on February 11, 2023 at 3:22pm

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक. . . .

साथ चलेंगी नेकियाँ, छूटेगा जब हाथ ।

बन्दे तेरे कर्म बस , होंगे   तेरे  साथ ।।

मिथ्या इस  संसार में,  अर्थहीन सम्बंध।

देह घरोंदा जीव का, साँसों का अनुबंध ।।

रह जाएगी जगत में, कर्मों की बस गंध ।

इस जग में है जिंदगी, दो पल का अनुबंध ।।

आभासी संसार के,  आभासी संबंध ।

मिट जाता जब सब यहाँ, रहती कर्म सुगंध ।।

जब तक साँसें देह में, चलें देह सम्बंध ।

शेष रहे संसार में, जीव कर्म  की …

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Posted on February 3, 2023 at 2:00pm — 4 Comments

दोहा मुक्तक .....

दोहा मुक्तक. . . .

दर्द   भरी   हैं   लोरियाँ, भूखे    बीते    रैन।

दृगजल  से  रहते  भरे, निर्धन  के  दो  नैन ।

हुआ कटोरा भीख का, सिक्कों का मुहताज -

दूर तलक मिलता नहीं,अब निर्धन को  चैन ।

                     *****

आँसू  शोभित  गाल  का, कौन यहाँ हमदर्द ।

सूखे  होठों  पर  जमी , निर्धनता  की   गर्द ।

पैर पेट  से  मिल  गए, थर - थर  काँपे  देह -

जीण-क्षीण सा आवरण, लगे पवन भी सर्द ।

सुशील सरना…

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Posted on January 30, 2023 at 3:37pm — 2 Comments

Comment Wall (35 comments)

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At 9:12pm on August 13, 2021, Om Parkash Sharma said…

आदरणीय सुशील सरना जी ,

सादर अभिवादन , आपके नाम और सावन पर लिखे सभी दोहे मन मोह गए । दोनों कविताएं 'मौसम को' व प्रश्न गंभीर भावों को लिए हुए है। साधुवाद । 

At 11:15pm on September 17, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय सुशील सरना जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी "कविता : कितना अच्छा होता" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र यथा शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 1:35am on May 6, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका मेल बॉक्स ब्लॉक होने के कारण मेल सेंड नहीं हो रहा है. 

At 1:29am on May 6, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय सुशील सरना सर, विलम्ब से प्रत्युत्तर हेतु क्षमा. आपको मेल कर दिया है. सादर 

At 10:17pm on April 7, 2016, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ० सरना भाई जी, सादर  प्रणाम!

आपका हार्दिक स्वागत है.  मित्रता से भाग्योदय होता है ,  मैं धन्य हुआ. सादर

At 9:46am on April 1, 2016, Dr Ashutosh Mishra said…

आदरणीय सुशील जी ..महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

At 6:02am on March 20, 2016, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ०  सुशील सरना भाई जी, सादर प्रणाम!  आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" चुने जाने पर बहुत-बहुत बधाई. सादर

At 4:22pm on March 16, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय

सुशील सरना जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 9:00pm on February 17, 2016, Tasdiq Ahmed Khan said…

मोहतरम जनाब सुशील सरना  साहिब ,  यह  आप सब की हौसला अफ़ज़ाई का नतीजा है  , जिसके लिए   आप का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

At 8:47pm on January 11, 2016, सतविन्द्र कुमार राणा said…
धन्यवाद आदरणीय sushil Sarna जी।आपको भी सपरिवार सादर हार्दिक शुभकामनाएं!
 
 
 

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