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AMAN SINHA
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AMAN SINHA posted a blog post

हर बार नई बात निकल आती है

बात यहीं खत्म होती तो और बात थी यहाँ तो हर बात में नई बात निकल आती है यूँ लगता है जैसे कि ये कोई बरगद का पेड़ है जहां से भी खोदो एक नई साख निकल आती है उलझने ऐसी है कि कोई छोड़ मिलती ही नहीं एक को खींचो तो संग मे दो चार चली आती है खुला है माँझा पड़े है बिखरे कई तार यहाँ खुले छत पर जैसे कोई पडी जाल नजर आती है कही थी जो बात तुमने जो बर्फी में लपेटे हमको परत जो उतरी नीम कि बौछार नजर आती है बड़ा सोचकर पड़ता है नज़र करना लफ्जों को ज़ुबां से फिसलकर जो निकली तो गुनहगार नज़र आती है जिसे होता है ग़ुमा अपने…See More
Feb 26

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on AMAN SINHA's blog post आँख मिचौली
"रचना की विषयवस्तु बहुत रोचक है एक बहुत सुदर बाल रचना बन सकती है यह बस थोड़ा मात्राओं और तुकांत पर ध्यान दीजिये सुन्दर प्रयास है .. बहुत बधाई प्रिय अमन भाई "
Jan 16
AMAN SINHA posted a blog post

आँख मिचौली

आ जा खेले आँख मिचौली, तू मेरा मैं तेरी हमजोली बंद करूँ मैं आँखों को तू जाकर कहीं छूप जाए पर देख मुझे तू सतना ना दूर कहीं छिप जाना ना ऐसा न हो तू पुकारे मुझे, मैं दूर कहीं खो जाऊं मैं आऊँ मैं आऊँ मैं आऊँकहाँ है तू पर्दे के पीछे, या जा छुपा पलंग के नीचे कैसे मैं तुझे ढूंढ निकालूँ जाने कहाँ छुप के बैठा है गर तू बाहर ना आया सूरत ना अपनी दिखलाया मैं तुझे मिल पाने में फिर विफल कहीं ना हो जाऊँ मैं आऊँ मैं आऊँ मैं आऊँघर का कोना कोना देखा बाग देखा बगीचा देखा किधर तू छुप के जा बैठा है थक जाऊँ तुझे खोज ना…See More
Jan 7
AMAN SINHA posted a blog post

किसे बताएं

किसे बताए फिक्र किसे है, मेरे रहने की मर जाने की किसे पड़ी यहाँ पर मेरी लिखी बात दोहराने की मेरे खातिर यहाँ भले क्यूँ अपने आँसू बर्बाद करे किसको इतनी मोहब्बत मुझसे जो समय अपना बेकार करे सब अपने है बस अपने हैं, अपने बनकर रह जाएंगे मगर कभी आफनो के खातिर अपने ना हो पाएंगे किससे किसको चाहत इतनी, जो खड़ा रहे बाज़ार में भरी दोपहरी बिन छाया के अपनाने के इंतजार में आज जो मुझको कहने ना दे, गीत मुझे जो गाने न देचाहे मेरे लिखने का हक़ साथ हो मगर लिखने ना दे  मैं ना बोला बात मेरी, तो दीवारें बतियाएंगे मेरे…See More
Dec 31, 2023
AMAN SINHA posted a blog post

सुख या संतोष

दोनों में से क्या तुम्हें चाहिए सुख या के संतोष क्षणभंगुर सा हर्ष चाहिए, या जीवन भर का रोष खुशी का जीवन लम्हो सा है, अब आए अब जाए छोटी सी उदासी मन की पहाड़ हर्ष का ढाए खुशी स्वभाव से चंचल पानी, कल कल बहता जाए कभी यहाँ है कभी वहाँ है स्थिर ना होने पाए खूशी है फूटे गागर जैसा कभी पूरा ना पड़ने पाए जिस गति से पहुंचे हम तक, दो गुनी चाल से जाए जितना पास जगाए हममे अपने आने की राह जाते समय अफसोस सहारे अलविदा हमें कह जाए पर संतोष है पूजी के जैसी हर दिन बढ़ता जाए चाहे समय हो ऊंचा नीचा हर समय काम ये आए संतोष…See More
Nov 9, 2023
Dr. Vijai Shanker commented on AMAN SINHA's blog post किसे अपना कहेंं हम यहाँ
"आदरणीय अमन सिन्हा जी , बहुत ही सार गर्भित , व्यंगात्मक और ज्ञानवर्धक प्रस्तुति के लिए ह्रदय से बधाई, सादर ,"
Nov 8, 2023
Sushil Sarna commented on AMAN SINHA's blog post किसे अपना कहेंं हम यहाँ
"वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति सर"
Nov 5, 2023
AMAN SINHA posted a blog post

किसे अपना कहेंं हम यहाँ

किसे अपना कहें हम यहाँ खंजर उसी ने मारी जिसको गले लगाया किससे कहें हाल-ए-दिल यहाँ हर राज उसी ने खोला जिसे हमराज़ बनाया किसे जख्म दिखाये दिल का हार घाव उसी ने कुरेदा जिसको भी मरहम लगाया किसे साथी समझे अपना यहाँ मेरी जमीन उसी ने खींची जिसको कंधे पर बैठाया किसी चुने हमसफर अपना गड्ढा उसी ने खोदा जिसको रास्ता दिखलाया किसे बनाए मीत यहाँ मौके पर पीठ दिखाया जिसपर सबकुछ लुटायाकिससे करें उम्मीद यहाँ निवाला उसी ने छिना जिसको भूखा ना सुलाया कौन रहेगा साथ यहाँहर डोर उसी ने तोरी जिसको माला पहनाया किससे मांगे…See More
Oct 27, 2023
AMAN SINHA posted a blog post

सुनो, एक बात कहानी है

सुनो,एक बात कहानी हैगर गलत न समझो तोतो कह कर हल्का हो लूँहाँ अगर तुम्हें भली ना लगेतो कुछ ना कहना और चली जाना तुमपर एक इल्तजा है सुन लो “ना” ना कहनादिल कहीं भारी ना हो जाएबड़ी हिम्मत सेहिम्मत मैंने जुटाई हैतुमसे बात कर पानी की जुगत मैंने लगाई हैपर कहीं इंकार तेरा हो जाएतो फिर कहीं बिन कहे ना रह जाऊँपता हैं मुझको की मैं तेरा प्यार नहींतेरी नज़रों में तो मैं हूँ तेरा प्यार नहींलेकिन क्या करूँ मैं अपने दुश्मन दिल काबिना तेरे कहीं इसको मिलता करार नहींमेरा दिल हीं मेरा दुश्मन ब बैठा हैसमझाया लाख मगर…See More
Oct 8, 2023
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Sep 10, 2023
Dr. Vijai Shanker commented on AMAN SINHA's blog post फोन आया
"बदलते वक़्त में बहुत कुछ बदल जाता है. प्रस्तुति अच्छी है, बधाई आदरणीय अमन सिन्हा जी।"
Aug 29, 2023
AMAN SINHA posted a blog post

फोन आया

फोन आया, कई सालों के बाद फिर उसका फोन आया पहले जब घंटी बजती थी, दिल की धड़कन भी बढ़ती थी लेकिन आज फोन बजा तो धड़कन ने इशारा नहीं किया अंजान नंबर को भी पहले हम पहचान लेते थे फोन उसिका है ये जान लेते थे लेकिन आज नाम दिखा तो भी पहले सा एहसास ना हुआ नंबर वही पुराना था कोई गुज़रा हुआ जमाना थामेरे जैसा उस लड़की का ना कोई दीवाना था लेकिन आज फोन बजा तो दीवानापन नहीं आया पहले एक फोन की खातिर रातों जागा करते थे पड़ोसी चाची के घर बर्तन माँजा करते थे मगर आज घंटी बजी तो वो चाची भी रही नहीं"मौलिक व अप्रकाशित" अमन…See More
Aug 20, 2023
AMAN SINHA posted a blog post

एक जनम मुझे और मिले

एक जनम मुझे और मिले मैं देश की सेवा कर पाऊं दुध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं  मुझको तुम बांधे ना रखना अपनी ममता के बंधन में मैं उसका भी हिस्सा हूँ तुमने है जन्म लिया जिसमे   शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी बस एक बलिदान ही मांगे है  सब ही आंचल मे छुपे तो देश को कौन सम्हालेगा सीमा पर शत्रु सेना से फिर कौन कहो लोहा लेगा  तुमने दुध पिलाया मुझको तुमने हीं चलना सिखलाया है देश प्रेम है सबसे आगे ये तुमने ही पाठ पढाय है  जैसी मुझको प्रिय रही तुम…See More
Aug 15, 2023
Dr. Vijai Shanker commented on AMAN SINHA's blog post एक चेहरा जो याद नहीं
"कुछ मनमानी के चक्कर में, जीवन को जीना भूल गया l कुछ दौड भाग की चक्कर में, मैं खुद से मिलना भूल गयाll ❤ आदरणीय अमन सिन्हा जी , बहुत ही गंभीर प्रस्तुति , अच्छी लगी , हार्दिक बधाई।"
Aug 14, 2023
AMAN SINHA posted a blog post

नलके का पानी

ठंडा है मीठा है थोड़ा सा गाढ़ा है पर मेरे घर तक आता है नलके का पानी जब भी दिल चाहे प्यास बुझाता है ठंडक दे जाता है नलके का पानी जब से घर आया है सबको लुभाया है हिम्मत बढ़ाया है नलके का पानीपूरे मोहल्ले में बस अपना हीं घर है जिसमे हमारा एक खुद का जो नल है नज़रों में सबके इज्जत बढ़ाता है सम्मान दिलाता है नलके का पानीकतार में लगाना अब किस्सा नहीं है हमारी दिनचर्या का अब हिस्सा नहीं है हमारा बहुत हीं समय ये बचाता है शान सिखाता है नलके का पानी"मौलिक व अप्रकाशित" अमन सिन्हा See More
Aug 13, 2023
AMAN SINHA commented on AMAN SINHA's blog post ढूँढता हूँ कब से
"आदरणीय रवि शुक्ला साहब, मैं किसी भी विधा से परिचित नहीं | किसी भी "विधा और "अरकान" का ज्ञान मुझे नहीं| अतः इस अज्ञानता के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|"
Aug 8, 2023

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हर बार नई बात निकल आती है

बात यहीं खत्म होती तो और बात थी 

यहाँ तो हर बात में नई बात निकल आती है 

यूँ लगता है जैसे कि ये कोई बरगद का पेड़ है 

जहां से भी खोदो एक नई साख निकल आती है 

उलझने ऐसी है कि कोई छोड़ मिलती ही नहीं 

एक को खींचो तो संग मे दो चार चली…

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Posted on February 26, 2024 at 11:30am

आँख मिचौली

आ जा खेले आँख मिचौली, तू मेरा मैं तेरी हमजोली 

बंद करूँ मैं आँखों को तू जाकर कहीं छूप जाए 

पर देख मुझे तू सतना ना दूर कहीं छिप जाना ना 

ऐसा न हो तू पुकारे मुझे, मैं दूर कहीं खो जाऊं 

मैं आऊँ मैं आऊँ…

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Posted on January 6, 2024 at 11:14pm — 1 Comment

किसे बताएं

किसे बताए फिक्र किसे है, मेरे रहने की मर जाने की 

किसे पड़ी यहाँ पर मेरी लिखी बात दोहराने की 

मेरे खातिर यहाँ भले क्यूँ अपने आँसू बर्बाद करे 

किसको इतनी मोहब्बत मुझसे जो समय अपना बेकार करे 

सब अपने है बस अपने हैं, अपने बनकर रह जाएंगे …

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Posted on December 30, 2023 at 11:01am

सुख या संतोष

दोनों में से क्या तुम्हें चाहिए सुख या के संतोष 

क्षणभंगुर सा हर्ष चाहिए, या जीवन भर का रोष 

खुशी का जीवन लम्हो सा है, अब आए अब जाए 

छोटी सी उदासी मन की पहाड़ हर्ष का ढाए 

खुशी स्वभाव से चंचल पानी, कल कल बहता जाए 

कभी…

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Posted on November 9, 2023 at 1:36pm

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