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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Page

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"भाई मयंक जी, व्यवहार में निरमलता व विनम्रता ही ज्ञान का परिचय देती । सभी वरिष्ठों का आशीष बना रहे और हमें अपनी रचनाओं पर मार्गदर्शन मिलता रहे यही कामना है।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मंच के सभी सदस्यों को सादर अभिवादन। कई बार मन में आया कि मंच से वरिष्ठ व अनभवी और मार्गदर्शक सदस्यों की अनुपस्थित से हो रही हानि के विषय में कुछ लिखूँ । पर यह सोचकर कि अनुपस्थिति की सबकी अपनी विवशताएँ होंगी। पटल पर सुझाव देने , स्वीकार करने और…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. रिचा जी अभीवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन,  सुझाव और  पुरानी गजल की याद दिलाने के लिए आभार।  गजल की मिसरों में बदलाव किया है। मार्गदर्शन करें। ** नशा है इश्क़ का इसमें तू बेख़ुदी न मिला सुरूर रात…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। मिसरों में बदलाव किया है। मार्गदर्शन करें। ** नशा है इश्क़ का इसमें तू बेख़ुदी न मिला सुरूर रात का  रहने  दे  ताजगी  न मिला।। * किसी…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए आभार। मिसरों में बदलाव किया है। मार्गदर्शन करें। ** नशा है इश्क़ का इसमें तू बेख़ुदी न मिला सुरूर रात का  रहने  दे  ताजगी  न मिला।। * किसी के प्यार में…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सभी सदस्यों को सादर अभिवादन।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"1212 1122 1212 22/112) * नशा ये इश्क़ का इसमें तो बेख़ुदी न मिला गमों का दौर है भाया खुदा खुशी न मिला।१। * किसी के प्यार में तू अपनी दुश्मनी न मिला सफर में मौत  के  मासूम  जिन्दगी न मिला।२। * बहुत  ज़हीन  चरागों …"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। उत्तम छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Apr 20
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। छंदों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन व मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Apr 20
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। छंदों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन व मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Apr 20
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मयंक जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Apr 20
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। छंदो की सराहना के लिए आभार।"
Apr 20
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, छंदों की सराहना के लिए आभार।"
Apr 20
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Apr 20

Profile Information

Gender
Male
City State
Delhi
Native Place
Dharchaula,uttarakhand
Profession
teaching

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog

दोहे -रिश्ता

सब को लगता व्यर्थ है, अर्थ बिना संसार।

रिश्तों तक को बेचता, इस कारण बाजार।।

*

वह रिश्ते ही सच  कहूँ, पाते  लम्बी आयु

जहाँ परखते हैं नहीं, दीपक को बन वायु।।

*

तोड़ो मत विश्वास की, कभी भूल से डोर

यह टूटा तो हो  गया, हर रिश्ता कमजोर।।

*

करे दम्भ लंकेश सा, कुल का पूर्ण विनाश।

ढके दम्भ की धूल ही, रिश्तों का आकाश।।

*

रिश्तों में  सब  ढूँढते, केवल स्वार्थ जुगाड़।

शेष बची है अब कहाँ, अपनेपन की आड़।।

*

सुख में सब वाचाल हैं, दुख में बेढब…

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Posted on March 16, 2025 at 8:50pm — 4 Comments

दोहा दसक- गाँठ





ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।

जब  चाहो  तब  प्यार से, खोल सके तारीख।१।

*

मन की गाँठे मत कसो, देकर बेढब जोर

इससे  केवल  टूटती, अपनेपन  की डोर।२।

*

दुर्जन केवल बाँधते, लिखके सबका नाम

लेकिन गाँठें खोलना, रहा संत का काम।३।

*

छोटी-छोटी बात जब, बनकर उभरे गाँठ

सज्जन को वह पीर दे, दुर्जन को दे ठाँठ।४।

*

रिश्तो को कुछ धूप दो, मन की गाँठे खोल

उनको मत मजबूत कर, कड़वी बातें बोल।५।

*

बातें कहकर खोल दे, बाँध न रहकर मौन

मन की…

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Posted on February 25, 2025 at 11:31pm — 2 Comments

दोहा दसक- झूठ



अगर झूठ को बोलिए, ठोक पीट सौ बार

सच से बढ़कर मानता, उसको भी संसार।१।

*

रहा झूठ से  कौन  है, वंचित कहो अबोध

भले न बोला हो गया, होकर कभी सबोध।२।

*

होता मुख पर झूठ के, नहीं तनिक भी नूर

जीवन पाता  अल्प  ही, पर  जीता भरपूर।३।

*

जीवन में बोला नहीं, कभी एक भी झूठ

हरा पेड़ तो  छोड़िए, मिला न कोई ठूँठ।४।

*

होता सच में जो नहीं, वही झूठ का काम

भले न बोला पर लिखा, धर्मराज के नाम।५।

*

भोला  देता  ताव  है,  करके  ऊँची  मूँछ

धूर्त…

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Posted on February 8, 2025 at 7:45am — 4 Comments

दोहा दसक -वाणी

दोहा दसक -वाणी

**************

वाणी का विष लोक में, करे बहुत उत्पात

वाणी पर संयम रखो, सच कहते थे तात।१।

*

वाणी  में  संयम  नहीं, अब  तो संत कुसंत

जग में कैसे हो भला, फिर विवाद का अंत।२।

*

वाणी का रहता हरा, भरता तन का घाव

वाणी ही पुल मेल का, वाणी नदी दुराव।३।

*

वाणी जो कटुता भरी, विष के तीर समान

वो तो करती नित्य  ही, रिश्तों पर संधान।४।

*

सुन्दर वाणी रख सदा, भले न सुन्दर देह

देह न मन में नित बसे, वाणी करती…

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Posted on February 6, 2025 at 10:25pm — 1 Comment

Comment Wall (17 comments)

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At 10:59am on January 25, 2023, Anita Bhatnagar said…

सादर आभार आदरणीय 

At 3:37pm on December 21, 2021, KullarSaddik said…

अपने आतिथ्य के लिए धन्यवाद :)

At 8:45am on January 16, 2021, Aazi Tamaam said…

मुसाफिर सर प्रणाम स्वीकार करें आपकी ग़ज़लें दिल छू लेती हैं

At 8:39pm on December 3, 2020,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी 

At 11:39pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

प्रिय भ्राता धामी जी सप्रेम नमन
आपके शब्द सहरा में नखलिस्तान जैसे - हैं

At 8:37am on May 14, 2020, Om Prakash Agrawal said…
आदरणीय
सराहना हेतु सहृदय आभार एवं धन्यवाद
At 4:12pm on May 7, 2020, सालिक गणवीर said…
हौसला अफजाई के लिए आपका ममनून हूँ आदरणीय
At 4:04pm on August 8, 2018, babita garg said…

शुक्रिया लक्ष्मण जी

At 11:44am on March 3, 2018, Sanjay Kumar said…
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार। कोशिश करूंगा कि कुछ योगदान कर सकूं। बस हौसला अफजाई करते रहिएगा और जहां जरूरी हो तो कुछ सिखा दीजियेगा। सादर
At 7:27pm on March 10, 2016, TEJ VEER SINGH said…

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!आपने मुझे इस क़ाबिल समझा!

 
 
 

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