For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

January 2013 Blog Posts (174)

"एक प्रयास"

एक प्रयास-;

सभी गुरुजनों व् मित्रों का सहयोग और अमूल्य सुझाव चाहूँगा!!

जान दे देते है प्यार में ,

ऐसे भी लोग है इस संसार में !

इतनी अथाह श्रद्धा कैसे ,

"दीपक" क्या वे बीमार थे प्यार में!!

इश्क का छूरा लेकर टहलती है ,

जहाँ मिले वहीँ हलाल देती है !

बड़ी पारखी नज़र है इनकी,

मोहब्बत के मारों को पहचान लेती है!

मनाने चले थे इद,

हो गयी बकरीद !

प्यार किया था जुर्म नहीं,

"दीपक" ऐसी ना थी उम्मीद!

निस्वार्थ प्रेम से जो जाता ,

सारी…

Continue

Added by ram shiromani pathak on January 31, 2013 at 9:36pm — 3 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता-सह-आयोजन : एक विशद रिपोर्ट

ई-पत्रिका ओपेन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम (प्रचलित संज्ञा ओबीओ) अपने शैशवाकाल से ही जिस तरह से भाषायी चौधराहट तथा साहित्य के क्षेत्र में अति व्यापक दुर्गुण ’एकांगी मठाधीशी’ के विरुद्ध खड़ी हुई है, इस कारण संयत और संवेदनशील वरिष्ठ साहित्यकारों-साहित्यप्रेमियों, सजग व सतत रचनाकर्मियों तथा समुचित विस्तार के शुभाकांक्षी नव-हस्ताक्षरों को सहज ही आकर्षित करती रही है.



प्रधान सम्पादक आदरणीय योगराज प्रभाकरजी की निगरानी तथा…

Continue

Added by Saurabh Pandey on January 31, 2013 at 8:30pm — 12 Comments

जला देना पुराने ख़त निशानी तोड़ देना सब

जला देना पुराने ख़त निशानी तोड़ देना सब 

तुम्हारी बात को माने बिना भी रह नहीं सकता 

मिटा दूं भी अगर मै याद करने के बहानों को 

तुम्हारी याद के रहते जुदाई सह नहीं सकता ||



तुम्हे तो सब पता है एक दिन की भी जुदाई में 

वो सारा दिन मुझे बासी कोई अखबार लगता था 

तुम्हारी दीद के सदके कई दिन ईद होती थी 

तुम्हारा साथ जैसे स्वर्ग का दरबार लगता था ||



नज़र किसकी लगी…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on January 31, 2013 at 7:30pm — 9 Comments

"समीकरण"

"समीकरण"

कागज़ पर

दिल के समीकरणों से उलझा

सिद्ध क्या करना है ???

मुहब्बत

नफरत

आज़ादी

या बंदिशें

क्या हल होगा ??

कर्म करो फल बाद में देखेंगे

किन्तु आगाज कहाँ से करूँ

दिल से

या दिमाग से ???

लीजिये बन गया न

समीकरण

एक वाक्य

हमारे बड़े बड़े शाश्त्र कहते हैं

प्रेम अनंत है

अर्थात

प्रेम बराबर अनंत

अनंत अर्थात

अर्थात

हाँ गगन

तो प्रेम बराबर गगन

अर्थात प्रेम

गगन के समतुल्य है…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on January 31, 2013 at 4:23pm — 5 Comments


मुख्य प्रबंधक
हास्य घनाक्षरी - 1 / गणेश जी बागी

(1)

कुत्ते संग सोते हुए, फोटो एक खिचवा के,

फेस बुक पे झट से, चेंप दी मैडम जी |

लाइक और कमेंट बीच एक श्रीमान ने,

लिख दिया काश होता, कुत्ता मैं मैडम जी |

उल्टा पुल्टा सोचो नहीं, कुछ भी यूँ लिखो नहीं,

ये तो…

Continue

Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 31, 2013 at 2:00pm — 24 Comments

झूठ का सच (व्‍यंग्‍य)

झूठ सुहाना होता प्रियवर

सबके ही मन भाता है

ऐसी है यह लिपि अनोखी

हर भाषा में चल जाता है

झूठ धर्म इतना समरस है

हर देश में रच-बस जाता है

समता का संदेश सुहावन

जन-जन में फैलाता है

झूठ जानती केवल अपनाना

नहीं किसी को ठगती है

सातों जन्‍म निभाती सुख से

वफा हमेशा करती है

झूठ तो एक भोली कन्‍या है

जो चाहे मन बहलाता है

जब चाहे जी अपनाता इसको

जब चाहे जी ठुकराता…

Continue

Added by राजेश 'मृदु' on January 31, 2013 at 12:30pm — 11 Comments

दोहे - एक प्रयास

शब्दों के भण्डार से, भरके मीठे बोल,

बेंचो घर-घर प्रेम से, दिल का ताला खोल,

नैनो से नैना मिले, बसे नयन में आप,

मधुर-मधुर एहसास का, छोड़ गए हो छाप,

मुख में ऐसे घुल गया, जैसे मीठा पान,

भाता सबको खूब है, दोहों का मिष्ठान,

मन में लागी है लगन,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 31, 2013 at 12:13pm — 15 Comments

कलयुग

मान है,सम्मान है.

पर ईमान नही.

धन है दौलत है,

पर नियत नही.

चाह आसमान में उड़ने की,

पर मेहनत नही.

मंजिले है राहे है,

पर मुसाफ़िर नही.

मंदिर है भगवान है,

पर भक्त नही.

माँ है बाप है ,

पर सेवा नही.

भाई है बहन है,

पर प्यार नही.

नेता है भ्रष्टाचार है,

पर विकास नही.

संत है सत्संग है,

पर सत्संगति नही.

जन्म है मृत्यु है,

पर भय नही.

Added by Aarti Sharma on January 30, 2013 at 11:30pm — 24 Comments

बधू चाहिए,

बधू चाहिए, बधू चाहिए

अपने लल्ला के लिए एक बधू चाहिए

सुंदर सुशील पढ़ी लिखी गृह कार्य में दक्ष

सीता गीता रीता या मधु चाहिए

दहेज़ चाहिए न दान चाहिए

आपका प्यार व सम्मान चाहिए

लल्ला हमारा है गुणों की खान

देखने में लगता है सलमान खान

बी ई की पढ़ाई करी है 

हमने लाखों में फीस भरी है 

अच्छे पैकेज का वो कर रहा वेट

शादी में…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on January 30, 2013 at 11:00pm — 8 Comments

बहुत अच्छी है या रिश्वत बुरी है

वो जो कहते थे के चाहत बुरी है

दिवाने हो गए हालत बुरी है

बना अंधा फखत मगरूर कर दे

बढे गर इस कदर ताकत बुरी है

पचा पाए नहीं खैरात की जो

वही कहते हैं के दावत बुरी है

गँवा चैनो सकूँ ईमान अपना

पता पड़ता है के दौलत बुरी है

कहो मत बेबफा हमको हमनवा  

क़ज़ा दे दो न ये जिल्लत बुरी है

उसे लगता है दिल्लगी हँसना

मेरे हँसने की यूँ आदत बुरी है  

कतारों में खड़े रहना है…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on January 30, 2013 at 10:06pm — 6 Comments

प्रेम की बात करते हो

प्रेम की बात करते हो बड़े ही गर्व में रह कर 

प्रेम जब हो गया तुमको पहन ली शर्म की चादर ||



जहाँ पर प्यार होता है वहां इनकार होता है 

वहीँ इकरार की खातिर तड़पते हैं कई रहबर ||



गुरूर-ए -इश्क में रहना रिवाज -ए -हुस्न की फितरत

अदाओं की पनाहों में मिटे आशिक कई बनकर ||



तुम्हे मालूम है जब भी हमारा दिल धड़कता है 

मुझे मालूम होता है तुम्हारी याद है दिलबर…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on January 30, 2013 at 9:45pm — 1 Comment

व्यर्थ न निकले साँस

नवधा भक्ति पर आधारित दोहे
*लक्ष्मण लडीवाला
मन प्रपंच में नहि लगे, व्याकुलता बढ…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 30, 2013 at 6:30pm — 10 Comments

देश हमारा

देश हमारा

देश हमारा कितना प्यारा , बोलें सब मीठी बोली ।

हिन्दू मुस्लिम भाई भाई  , सब  मिलकर खेलें होली ।

बहती रहतीं पावन  नदियाँ , सबकी भरतीं हैं झोली ।

हरे भरे फसल उगाकर ही , लोग मानते रंगोली ।

मुकुट  जिसका हिमालय जैसा , ऐसा देश हमारा है ।

जिसका पांव पाखरे निसदिन , हिन्द सागर की धारा है ।

वेष  भूषा अलग अलग है , अलग अलग ही है बोली ।

सभी लोग आदर करते हैं , एक रहे  चाहे टोली  ।

देश की शान पर  मरते हैं , ऐसा देश हमारा है ।

विश्व विजयी तिरंगा झंडा  , हम…

Continue

Added by Shyam Narain Verma on January 30, 2013 at 2:40pm — 4 Comments

शिशिर (नवगीत पर एक प्रयास)

शीत जैसे जम गयी,

नम धूप लगती है।

 

ठिठुरते रात भर

सार में सारे ही पशु

भोर कि शाला में

ठिठुरते सारे ही शिशु,

फिजां रंगीन दिखे

मन रूप लगती…

Continue

Added by Ashok Kumar Raktale on January 30, 2013 at 2:00pm — 16 Comments

कहो दर्द के देव तुम्‍हारे/चौबारे क्‍यों हमें डराय

कहो दर्द के देव तुम्‍हारे

चौबारे क्‍यों हमें डराय.. .

उदयाचल का

कोई जादू

कंगूरों पर

चल ना पाय

**कल जोड़े

भयभीत किरण भी

पल-पल काया

खोती जाय

पड़े तीलियों

के भी टोंटे

झूठे दीपक कौन जलाय ?

कहो दर्द के.....................

रोटी-बेटी

पर चिनगारी

रोज पुरोहित

ही रख आय

उलटा लटका

सुआ समय का

बड़े नुकीले

सुर में गाय

हर फाटक…

Continue

Added by राजेश 'मृदु' on January 30, 2013 at 12:30pm — 12 Comments

कभी नहीं बन सकता

कभी नहीं बन सकता हूँ मै हरिश्चंद्र जी का अनुगामी

..कभी नहीं कर सकता हूँ मै प्रेम कृष्ण जैसा आयामी ||

कितने ही शब्दों को मैंने सच्चाई से डरते देखा

अपने ही भावों को अक्सर अंतर्मन में मरते देखा

दुःख की सर्द सुबह और रातें पीड़ा की गर्मी भरते हैं

आहों की स्वरलहरी दबकर आत्मपीड मंथन करते हैं

कल्पित दुनिया नहीं मिटा सकती है सच की सूनामी

..कभी नहीं कर सकता हूँ मै प्रेम कृष्ण जैसा आयामी ||

नहीं मिला है मुझे अभी तक दर्पण जैसा परम हितैषी

खोजे केवल मुझको मुझमे…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on January 30, 2013 at 12:16pm — 7 Comments

क्या जाने ..!!

कब होंगीं बातें 

क्या जाने ..!!
 
खटरागों से 
भरी जिंदगी ,
बिसरा प्रेम 
और बंदगी !
जिनमें…
Continue

Added by भावना तिवारी on January 30, 2013 at 12:16pm — 10 Comments

ग़ज़ल : बहल जायेगा दिल बहलते-बहलते

आदरणीय गुरुजनों, मित्रों एवं पाठकों यह ग़ज़ल मैंने तरही मुशायरा अंक -३१, हेतु लिखी थी परन्तु समय न मिलने के कारण न तो प्रस्तुत कर सका और नहीं है मुशायरे में अच्छी तरह से भाग ले सका. क्षमा प्रार्थी हूँ सादर

बिना तेरे दिन हैं जुदाई के खलते,

कटे रात तन्हा टहलते - टहलते,

समय ने चली चाल ऐसी की प्राणी,

बदलता गया…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 30, 2013 at 11:19am — 18 Comments

रिवाजो रस्म क्या सब कुछ बदल दिया तूने

जुरत-आमोज मेरे दिल ये क्या किया तूने

खगूर-ए-हम्द से भी कर लिया गिला तूने



फ़िक्रे-फ़र्दा न कोई गम कभी रहा हमको

कजा से संग दिल मेरे बचा लिया तूने



सुखन में आ गए हो ऐब ढूँढने लेकिन

हमनवा ये बता कितना जहर पिया तूने



अजल से चल रहा है क्या कभी ये सोचा है

रिवाजो रस्म क्या सब कुछ बदल दिया तूने



खुदा से मांग लो अब गैर के लिए भी कुछ

जिया अपने लिए तो "दीप" क्या जिया तूने ??



संदीप पटेल "दीप"



जुरत-आमोज - साहस सिखाने…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on January 29, 2013 at 9:09pm — 14 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service