For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Aarti Sharma
  • Female
  • new delhi
  • India
Share on Facebook MySpace

Aarti Sharma's Friends

  • VIJAY SONI ADVOCATE
  • Abhishek Kumar Jha Abhi
  • Devendra Pandey
  • Priyanka singh
  • Hareshkananai
  • Ajay Kumar Jha
  • Dr. Swaran J. Omcawr
  • ASHISH KUMAAR TRIVEDI
  • केवल प्रसाद 'सत्यम'
  • बृजेश नीरज
  • Tushar Raj Rastogi
  • वेदिका
  • Mahadev Purohit
  • bhushan singh
  • ram shiromani pathak
 

Aarti Sharma's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
Delhi
Native Place
New Delhi
Profession
Housewife
About me
Im a spiritual lady with positive thoughts

Aarti Sharma's Photos

  • Add Photos
  • View All

Aarti Sharma's Blog

रूप-सौन्दर्य

रति भी तू,कामना भी तू,                                                                  

कवि  की सुंदर कल्पना है,

प्रेम से भरी मूरत है तू,

कुदरत का कोई करिश्मा है ...

सांवली रंगत,सूरत मोहिनी,

कातिलाना तेरी अदाएं है,

सात सुरों की सरगम तू,

फूलों की महकती डाली है....

नयन तेरे काले कज़रारे है,

लब ज्यूँ मय के प्याले है,

जिन पर हम दिल हारे है,

उल्फ़ते-राज़ ये गहरे है ....

हुस्नों-हया की मल्लिका…

Continue

Posted on February 12, 2014 at 12:30am — 15 Comments

ज़िन्दगी...

उठती टीस हृदयतल से

क्यूँ ये बेरंगी लगती है

घाव अनंत देती कभी तो

उमंगों से जीवन भरती है....

कभी लगती रति कामदेव की 

तो लगती कभी मधुशाला है 

तिनका तिनका करके बनती 

सुखद घरोंदा कभी लगती है.... 



लगती कभी  नववधू जैसी 

आलिंगन प्रेम का करती है 

कभी नाचती गोपियों जैसी

मुरली मधुर जब सुनती है .....

फिर भी ये ज़िन्दगी है

जीने का दम भरती है

शुन्य से शुरू होती…

Continue

Posted on September 28, 2013 at 9:30pm — 12 Comments

पानी की बूँदें...

बरसे बदरा नीर बहाये

ज्यों गोरी घूँघट शरमाये

चाल चले ऐसी मस्तानी

ज्यूँ बह चली पुरवा रानी

बादल गरजे प्रेमी तड़पे

झलक तेरी को गोरी तरसे

आजा अंगना दरस दिखा जा

नयन मेरे तू शीतल कर दे

ज्यूँ घटा का रूप लेके

यूँ लटें चेहरे पर छाई

मोती सी पानी की बूंदें

छलक रही चेहरे पर ऐसे

स्पर्श तेरा स्वर्णिम पाने को

पानी की बूँदें भी तरसे.

"मौलिक व…

Continue

Posted on July 18, 2013 at 10:30pm — 13 Comments

धर्म की राह

नींद गवांई,सुख चैन गवांया

जीवन की आपा -धापी में 

अगर-मगर तेरी-मेरी में

समय गवांया ,बातों में 

धन दौलत ने लोभी बनाया 

ईमान गवांया नोटों में 

पूत सपूत न बन पाया 

बस ध्यान लगाया माया में

दीन दुखियों की सेवा करता

पुण्य कमाता लाखों में 

करता अच्छे कर्म अगर तो 

तर जाता भाव सागर से

ईमान धर्म की राह…

Continue

Posted on July 11, 2013 at 12:34am — 15 Comments

जुदाई

जब तू था तो सूनापन नही था

इच्छा थी पर अरमान नही था 

अश्कों में भिगो लिया दामन मैंने 

प्यासी रहूंगी फिर भी सोचा नही था...

तेरी यादों से दिन बनते थे 

और जुदाई से काली रातें

तेरे प्यार से ज़िन्दगी बनी थी

और बेवफाई से उखड़ी सांसे...

तेरे गम से मेरा गम जुदा कब था

तू नही समझा बस यही गम था

छीन लिया समय से पहले रब ने

जुदाई का गम क्या पहले कम था...

"मौलिक व…

Continue

Posted on June 30, 2013 at 7:30pm — 16 Comments

आधी अधूरी सी ये ज़िन्दगी

तमन्नाओं से भरी हुई  

जिज्ञासाओ को छुती हुई 

पल की खबर नही 

ठूंठ की तरह खड़ी हुई

आज का पता नही

कल का ठिकाना नही

चल रही बेबाक सी 

किसी का खौफ नही

बनती बिगड़ती फिर सवंरती

कैसी खोखली ये ज़िन्दगी 

आगे दौड़ने की होड़ में रह गई पीछे 

ताश के पत्तों सी बिखरी हुई …

Continue

Posted on April 15, 2013 at 12:00am — 15 Comments

Comment Wall (10 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 5:04am on July 2, 2013, vijay nikore said…

Respected Aarti ji:

 

A hearty welcome to you.

So nice to see you at OBO again after a long break.

 

Regards,

Vijay Nikore

At 8:03pm on February 13, 2013, Sanjay Mishra 'Habib' said…

धन्यवाद एवं स्वागतम आदरणीया आरती जी...

At 10:47pm on February 3, 2013, vijay nikore said…

आरती जी,

यही तो खूबी है इस मंच की कि हम सभी एक दूसरे से सीखते हैं, अत: हमें भी आपसे बहुत कुछ सीखना है।

सदभाव के साथ,

विजय

At 10:09pm on February 3, 2013, vijay nikore said…

आदरणीया आरती जी:

हरि ॐ ।

यह दिन आपके लिए शुभ दिन हो। मुझको मित्र कहने के लिए आपका धन्यवाद।

ओ बी ओ पर आपका स्वागत है। ऐसे ही साहित्य में रूचि लिए हुए मिलनसार सदस्यों

से यह समूह और अच्छा बन रहा है।

सादर,

विजय निकोर

At 8:58pm on February 3, 2013, Albela Khatri said…

:-)

At 8:47pm on February 3, 2013, Albela Khatri said…

swagat hai

At 7:28pm on February 2, 2013, SANDEEP KUMAR PATEL said…

आपका स्वागत है आदरणीया आरती जी ...धन्यवाद आपका

At 6:04pm on February 2, 2013, अरुन 'अनन्त' said…

धन्यवाद आरती जी

At 9:46am on February 2, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
said…

आपका स्वागत है आरती जी 

At 11:43am on January 30, 2013, अरुन 'अनन्त' said…

आरती जी ओ. बो. ओ. पर स्वागत है आपका, यहाँ आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. मैं तो कह-कह कर थक गया था ज्वाइन करने के लिए चलो देर आये दुरुस्त आये.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
7 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service