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हास्य घनाक्षरी - 1 / गणेश जी बागी

(1)

कुत्ते संग सोते हुए, फोटो एक खिचवा के,
फेस बुक पे झट से, चेंप दी मैडम जी |

लाइक और कमेंट बीच एक श्रीमान ने,
लिख दिया काश होता, कुत्ता मैं मैडम जी |

उल्टा पुल्टा सोचो नहीं, कुछ भी यूँ लिखो नहीं,
ये तो मेरा टॉमी बेटा, बोल दी मैडम जी |

मौका देख चौका मारा, लगे हाथ पूछ डाला,
आप पे गया है या कि, बाप पे मैडम जी ||

(2)

चौकस चौबंद सदा, रहूँ मैं संभल कर,
जबसे पी हिस्सा हुए, ओ बी ओ के दल के ।

गुमसुम खोये-खोये, करे धरें कुछ न ये,
सदा पीछे पड़े रहें, कविता-ग़ज़ल के ।

बच्चे का तो पोटी किया, चड्ढी भी न बदलें जो,
चीख रहें रख दूँ मैं, दुनिया बदल के ।

सुधरी न लत यदि, प्राण दूँगी मार कूदी,
फिर सिर धुनियेगा, खाली हाथ मलके ||

 

 

पिछला पोस्ट : लघुकथा : झूठ / गणेश जी बागी

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2013 at 8:40pm

हा हा हा हा.. .. दूसरी घनाक्षरी को विशिष्ट रूप देना था  ? यह कई-कई घरों की एक चुभती हुई सचाई है. हा हा हा.....

पदों के सभी चरण मिल कर जो शब्द चित्र खींच रहे हैं वह ग्लनि भाव का कारण बन रहे हैं .. :-)))))

वैसे, यह जानना रोचक होगा कि ’आदरणीया सक्रिय सदस्यो” के घर-परिवारों की दशा क्या है..  :-))))))))

बधाई गणेश भाई, इस हास्य किन्तु संवेदनशील रचना के लिए.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 3, 2013 at 9:59pm

बहुत बहुत आभार अनुज अरुण शर्मा अनंत जी ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 3, 2013 at 9:58pm

उत्साहवर्धन हेतु कोटिश: धन्यवाद आदरणीय रकताले साहब ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 3, 2013 at 9:57pm

सराहना हेतु आभार प्रिय संदीप जी ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 1, 2013 at 11:07am

आदरणीय बागी सर "हास्य घनाक्षरी" प्रस्तुत कर आपने सुबह-सुबह आज का मेरा मौसम बदल दिया,हंसी थमती नहीं .हार्दिक बधाई स्वीकारें 

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 1, 2013 at 8:35am

मौका देख चौका मारा, लगे हाथ पूछ डाला,
आप पे गया है या कि, बाप पे मैडम जी ||...........वाकई यह चौका है.

दोनों ही सुन्दर हास्य उपस्थित करती घनाक्षारियों पर सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय बाग़ी जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 31, 2013 at 9:17pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, रचना आपको गुदगुदा सकी, मेरा लेखन कर्म सार्थक हुआ, आभार आपका |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 31, 2013 at 9:15pm

आदरणीय राजेश झा जी, घनाक्षरी का नया रूप आपको भाया, मेरा प्रयास सार्थक हुआ, आपका बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 31, 2013 at 9:07pm

रचना आपको अच्छी लगी, आभार आदरणीया आरती शर्मा जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 31, 2013 at 9:05pm

हास्य रचना को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार, आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लडिवाला जी |

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