For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिशिर (नवगीत पर एक प्रयास)

शीत जैसे जम गयी,

नम धूप लगती है।

 

ठिठुरते रात भर

सार में सारे ही पशु

भोर कि शाला में

ठिठुरते सारे ही शिशु,

फिजां रंगीन दिखे

मन रूप लगती है।

 

द्वार बंद है शाम से बंद

खिडकी और झरोखे,

द्वार पर होती हो दस्तक

कम हैं ऐसे भी मौके,

करें तंग दरारें,गुजरती

हवा खूब लगती है। 

 

उपरोक्त  रचना स्वरचित व अप्रकाशित है. 

Views: 637

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 1, 2013 at 10:11pm

हार्दिक आभार आदरणीया दिव्या जी सादर.

Comment by MAHIMA SHREE on January 31, 2013 at 8:26pm

आदरणीय अशोक सर ..

बहुत -२ बधाई .. नवगीत के लिए .. सुंदर भावाभिव्यक्ति ..

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 31, 2013 at 1:45pm

आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर प्रणाम, मैंने आदरणीय सौरभ जी से कुछ मार्गदर्शन पाकर  प्रथम ही नवगीत रचने का प्रयास किया है.आपसे कुछ पंक्तियों के भाव पर सराहना पाकर बहुत हर्ष हुआ. हार्दिक आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 31, 2013 at 1:42pm

आदरणीय राजेश कुमार झा जी सादर, आपकी रचनाओं पर भाव सम्प्रेषण तो देखते ही बनता है तब आपसे सराहना पाकर मन हर्षित है. हार्दिक आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 31, 2013 at 1:40pm

आदरेया डॉ. प्राची जी सादर, आपके कहे को मै समझ पा रहा हूँ छोटी छोटी त्रुटियों पर ध्यान देने का अवश्य ही प्रयास करूँगा.सादर आपका निरंतर सहयोग लेखन कि बारीकियों को जानने में मदतगार रहा है. इस नव प्रयास कि कुछ पंक्तियाँ आपको अच्छी लगी जानकर प्रसन्नता हुई. हार्दिक आभार. 

 

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 31, 2013 at 1:34pm

आदरणीय सौरभ जी सादर, हार्दिक आभार.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 31, 2013 at 12:12pm

सुन्दर भाव लिए नवगीत पर सुन्दर प्रयास के लिए हार्दिक बधाई भाई श्री अशोक रक्ताले जी । निम्न शब्दों ने तो मन को प्रसन्न कर दिया -  भोर कि शाला में,

          ठिठुरते सारे ही शिशु,

          गुजरती हवा खूब लगती है। 

 

Comment by राजेश 'मृदु' on January 31, 2013 at 12:01pm

बहुत बढि़या अभिव्‍यक्ति है आपकी, सूक्ष्‍म निरीक्षण का भाव सहज ही स्‍पष्‍ट है, आगे भी आपके नवगीत पढ़ने को प्रेरित मन बहुत कुछ आशा कर रहा है, सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 31, 2013 at 11:43am

आदरणीय अशोक रक्ताले जी ,

नवगीत पर आपका यह प्रयास रुचिकर है, सुन्दर है...

भोर कि शाला में----------------यहाँ शायद की है,

ठिठुरते सारे ही शिशु,

यह पंक्ति बहुत नयी सी और सुन्दर लगी,

हार्दिक बधाई इस सार्थक नवप्रयास पर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 31, 2013 at 11:29am

द्वार पर होती हो दस्तक
कम हैं ऐसे भी मौके,
करें तंग दरारें,गुजरती
हवा खूब लगती है।

इन अनुभवजन्य पंक्तियों के लिए बहुत-बहुत बधाई, आदरणीय अशोकजी. आपके सतत प्रयास पर हार्दिक शुभकामनाएँ.. .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय धामी जी स्नेहिल सलाह के लिए आपका अभिनन्दन और आभार....आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए…"
2 seconds ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय गिरिराज जी उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और नमन करता हूँ...आपसे आदरणीय नीलेश…"
2 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय नीलेश जी सर्व प्रथम रचना पटल पे उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार....वैसे ये…"
14 minutes ago
Admin posted discussions
10 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service