119 members
171 members
174 members
16 members
376 members
उम्रभर।
मोतबर।।
मुश्किलें।
तू न डर।।
ताकती।
इक नज़र।।
धूप में।
है शज़र।।
वो तेरा।
फिक्र कर।।
रात थी।
अब सहर।।
इश्क़ ही।
शै अमर।।
मौलिक/अप्रकाशित
राम शिरोमणि पाठक
Posted on June 19, 2018 at 8:29am — 10 Comments
जो तेरे आस पास बिखरे हैं।।
वो मेरे दिल के सूखे पत्ते हैं।।
काग़ज़ी फूल थे मगर जानम।।
तेरे आने से महके महके हैं।।
याद आती है उनकी जब यारों।
मुझमे मुझसे ही बात करते हैं।।
बदली किस्मत ज़रा सी क्या उनकी।।
वो ज़मीं से हवा में उड़ते है।।
जिनके ईमान ओ अना हैं गिरवी।।
वो भी इज़्ज़त की बात करते है।।
'राम' बच के रहा करो इनसे।
ये जो कातिल हसीन चेहरे है।।
मौलिक/अप्रकाशित
राम शिरोमणि…
ContinuePosted on May 29, 2018 at 11:48am — 8 Comments
ख्वाब थे जो वही हूबहू हो गए।
जुस्तजू जिसकी थी रूबरू हो गए।।
इश्क करने की उनको मिली है सज़ा।
देखो बदनाम वो चार सू हो गए।।
फ़ायदा यूँ भटकने का हमको हुआ।।
खुद से ही आज हम रूबरू हो गए।।
बेचते रात दिन जो अना को सदा।
वो ज़माने की अब आबरू हो गए।।
आप कहते न थकती थी जिनकी ज़ुबां।
आज उनके लिए हम तो तू हो गए।।
मौलिक /अप्रकाशित
राम शिरोमणि पाठक
Posted on May 23, 2018 at 12:21pm
मुंतजिर हूँ मैं इक जमाने से।
आ जा मिलने किसी बहाने से।।
उनकी गलियों से जब भी गुजरा हूँ।
ज़ख़्म उभरे हैं कुछ पुराने से।।
दिल की बातें ज़ुबां पे आने दो।
कह दो! मिलता है क्या छुपाने से।।
मेरे घर भी कभी तो आया कर।
ज़िन्दा हो जाता तेरे आने से।।
इश्क़ की आग राम है ऐसी।
ये तो बुझती नहीं बुझाने से।।
मौलिक/अप्रकाशित
राम शिरोमणि पाठक
Posted on May 21, 2018 at 11:30pm — 8 Comments
क्षणिकाये पसंद आने के लिये धन्यवाद
राम शिरोमणि जी
आपकी सराहना सर आँखों परi
आभार i
आदरणीय राम शिरोमणि जी! .. जन्मदिन पर आपकी शुभकामनाएं मिली ... आपका ह्रदय से आभार
आ0 राम शिरोमणि भाई जी, आपकी जन्म दिन शुभकामनाएं मेरे लिए दिव्य उपहार ही है। आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार। सादर,
आदरणीय रामशिरोमणि पाठक जी आपका सादर आभार । डी पी माथुर
भाई पाठक जी, आप कहाँ हैं....बहुत दिन हुए आप दर्शन नहीं दे रहे.....आशा है आप स्वस्थ व सकुशल हैं.
प्रिय राम शिरोमणि जी,
आपके सद्वचनों के लिए आपकी आभारी हूँ.
हम सभी अपनी ज़िंदगी में अनेक रोल जीते हैं... मेरा बस इतना ही प्रयास रहता है कि मैं हर रोल को पूरी इमानदारी से ही जियूँ..पूरा १०० प्रतिशत. शायद यही एक इंसान से हर रूप में हम सभी से अपेक्षित भी होता है ?
स्नेहाशीष.
आदरणीय श्री पाठक जी , माह का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |