For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

झूठ का सच (व्‍यंग्‍य)

झूठ सुहाना होता प्रियवर

सबके ही मन भाता है

ऐसी है यह लिपि अनोखी

हर भाषा में चल जाता है

झूठ धर्म इतना समरस है

हर देश में रच-बस जाता है

समता का संदेश सुहावन

जन-जन में फैलाता है

झूठ जानती केवल अपनाना

नहीं किसी को ठगती है

सातों जन्‍म निभाती सुख से

वफा हमेशा करती है

झूठ तो एक भोली कन्‍या है

जो चाहे मन बहलाता है

जब चाहे जी अपनाता इसको

जब चाहे जी ठुकराता है

झूठ रसीला इक भोजन है

हर लीवर इसे पचाता है

हर निराश आंखों में आशा

का सागर भर जाता है

झूठ सहायक की भाभी है

अधिकारी की सजनी है

व्‍यवसायी की पुत्रवधु सम

नेताजी की पत्‍नी है

स्‍वर्गलोक की जिज्ञासा यह

नर्क में यह मनभजनी है

पाताल लोक में हर्ष का कारण

धरा पर इससे रजनी है

इसकी महिमा का गुणगान करे जो

हर सुख वह नर पाता है

अंत काल में दान-पुण्‍य कर

चंदन की चिता सजाता है

करे ध्‍यान जो सत्‍य का हरदम

वो अविवेकी, अविचारी है

रस विहिीन, मूढ़ कुबुद्धि

उसकी मत गई मारी है

सत्‍य का जो आश्रय लेता है

संताप से वह घिर जाता है

बन दरिद्र, भिक्षुक, दुखी जन

बिन चिता के ही जल जाता है

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 603

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on February 1, 2013 at 11:10am

आप सबका सादर आभार

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 1, 2013 at 11:09am

आदरणीय राजेश जी बहुत ही मजेदार गीत है मज़ा आ गया वाह, इस सुन्दर प्रस्तुत हेतु बहुत बहुत बधाई

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 1, 2013 at 8:41am

झूठ सहायक की भाभी है

अधिकारी की सजनी है

व्‍यवसायी की पुत्रवधु सम

नेताजी की पत्‍नी है...................बहुत खूब.

आदरणीय राजेश कुमार झा जी सादर, बहुत सुन्दर झूठ बखान, इतना लयमय झूठ गुनकर बहुत आनंद आया. बधाई स्वीकारें.

Comment by MAHIMA SHREE on January 31, 2013 at 8:21pm

क्या बात है !!! झूठ की महत्ता का वर्णन तो अविस्मर्णीय है .... बधाई आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 31, 2013 at 7:49pm

भइ वाह ! .. बहुत बढिया !! .. :-)))

आपकी विनोदप्रियता आश्वस्त कर रही है कि आपकी लेखिनी धार समयानुसर तीक्ष्ण होती जायेगी. शिल्प संबंधित चूँकि चर्चा हो चुकी है, अतः यहाँ वह समीचीन नहीं है. आप अपनी मात्रिक रचनाओं की गेयता के लिए मात्र स्वराघातों पर निर्भर न रहकर शब्द-संयोजन को महत्व देंगें.

आपकी रचनाधर्मिता और गंभीर प्रयासों से यह मंच बहुत ही आशान्वित है, आदरणीय राजेश भाईजी. .. .

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 31, 2013 at 7:27pm

झूठ रसीला इक भोजन है

हर लीवर इसे पचाता है

हर निराश आंखों में आशा

का सागर भर जाता है
वाह वाह झूठ पर इतना कुछ बोल दिया कितना महान है झूठ क्यूँ झूठ बोल रहे हो राजेश जी हाहाहा ,मजेदार रचना मुझे अपनी इंग्लिश की एक रचना याद आ गई इसे पढ़ कर, थिंक पोजिटिव सी फ्रॉम माय आईज

Comment by राजेश 'मृदु' on January 31, 2013 at 6:54pm

आदरणीय प्राची जी, मैं तो सरकारी मुलाजिम हूं अत: जानता हूं कि कहां-कहां भद्रता होती है, वैसे हम भी इसी जमात में हैं इसलिए सही-सही पता है...हाहाहा

Comment by राजेश 'मृदु' on January 31, 2013 at 6:52pm

सही कहा आपने डॉ0 खरे साहब । सच पर भी एक कविता लिख ही डाली है कभी पोस्‍ट करूंगा । हमें तो दोनों ही प्रिय हैं जब जैसा तब तैसा

Comment by Dr.Ajay Khare on January 31, 2013 at 4:00pm

aaj fareb se machi hui he loot kese bhed karoge kya sach he kya jhooth aapki sunder rachna ke liye badhai


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 31, 2013 at 3:55pm

झूठ सहायक की भाभी है

अधिकारी की सजनी है

व्‍यवसायी की पुत्रवधु सम

नेताजी की पत्‍नी है................हाहाहा 

बढ़िया व्यंग लिखा है आदरणीय राजेश जी, बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
9 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service