122 212 122 212
ये शेर-ओ-शायरी? मुझे, इश्क़ है भई
सभी से, आप से; किसी ख़ास से नई
क़लम चिल्ला उठी, जहाँ के दर्द से
कुई तड़पा, निगाह नम हो गई
किसी नें राष्ट्र को तरेरी आँख तो
जिगर औ साँस में उतर आई मई
सुनो ए, नाज़नीं घमण्डी होने का
इसे इल्ज़ाम देने को बस तुम नई
महज़ खटती रहीं वो बच्चों के लिए
सभी माताओं की उम्र यूँ ही गई
मौलिक-अप्रकाशित
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 29, 2018 at 12:00am — 7 Comments
कुछ दिन से देखता हूँ बहुत बेकरार हो।।
कह दूँ मैं दिल की बात अगर ऐतबार हो ।।
परवाने की ख़ता थी मुहब्बत चिराग से ।
करिए न ऐसा इश्क़ जहां जां निसार हो ।।
रिश्तों की वो इमारतें ढहती जरूर हैं ।
बुनियाद में ही गर कहीं आई दरार हो ।।
कीमत खुली हवा की जरा उनसे पूँछिये ।
जिनको अभी तलक न मयस्सर…
Added by Naveen Mani Tripathi on August 28, 2018 at 6:40pm — 13 Comments
तेरे मेरे मुक्तक :मात्रा आधारित....
1.
ख़्वाब फिर महके हैं सावन की रात में।
जवाँ दिल बहके ..हैं सावन की रात में।
बारिश की बूंदों में .उल्फ़त की आतिश-
जज़्बात दहके हैं ..सावन ..की रात में।
2.
सालों साल उनकी खबर नहीं .आती ।
कभी ख़्वाबों में वो नज़र नहीं आती ।
ऐसे रूठे वो कि . रूठ गयी साँसें -
दिल के शहर में अब सहर नहीं आती।
3.
खुशी के पर्दे में क्यूँ नमी .बनी रहती है।
हर जानिब इक गम की चादर तनी रहती है।…
Added by Sushil Sarna on August 28, 2018 at 2:15pm — 28 Comments
16 रुकनी ग़ज़ल
किस किस के नाम गिनाऊँ मैं, जो इस दिल मे भर पीर गए
जिस जिस को हिफाज़त सौंपी थी, वो सारे ही दिल चीर गए
वो तन्हा छोड़ गए लेकिन मैं उनको दोष नहीं दूँगा
जो तोहफे में इन दो प्यासे नयनों को दे कर नीर गए
हर गीत ग़ज़ल अशआर सभी हैं जिन लोगों की सौगातें
आबाद रहें वो, जो मुझ को, दे कर ग़म की जागीर गए
हर ख़ाब कुचल डाले मेरे, तुम रौंद गए अरमानों को
पर मुआफ़ किया मैंने तुमको, तुम चाहे कर तफ़्सीर गए
रातों की…
ContinueAdded by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 28, 2018 at 1:30am — 18 Comments
Added by Monika Jain on August 27, 2018 at 9:30pm — 2 Comments
बचपन की यादों का अटूट बंधन
बिना लेनदेन के चलने वाला
खूबसूरत रिश्तों का अद्वितीय बंधन
एक ढर्रे पर चलने वाली जिंदगी में
नई-नई सोच से रूबरू करवाया
अर्थहीन जीवन को अर्थ पूर्ण बनाया
जीने का एक…
ContinueAdded by babitagupta on August 27, 2018 at 8:00pm — 4 Comments
Added by Sushil Sarna on August 27, 2018 at 7:01pm — 4 Comments
रक्षाबंधन पर्व ले आई,
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा,
भर लाई अतुलित उल्लास,
पुनीत-पावन स्नेहिल ऊष्मा,
मैं हर्षित पर्व यह सुमंगल मनाऊँगी,
हाथों सुंदर मेंहदी रचाऊँगी,
भाई मंगल तिलक करने
मैं अवश्य ही आऊंगी,
हाथ से रेशम की ड़ोरी बनाऊंगी,
जरी का उसमें झुमका लगाऊंगी,
चौक पूर, पाट पर तुमको बिठाऊँगी,
श्रीफल, रोली-अक्षत थाल सजाऊँगी,
राखी तुम्हारी कलाई सजाऊंगी,
तिलक चर्चित कर उन्नत भाल पर,
मंगल-दीप से आरती…
ContinueAdded by Arpana Sharma on August 27, 2018 at 3:30pm — 2 Comments
अफ़सुर्दा सा लम्हा ....
अफ़सुर्दा से लम्हों में
लफ़्ज़ भी उदास हो जाते हैं
बीते हुए लम्हों की लाशें
अपने शानों पर लिए लिए
चीखते हैं
मगर खामोशी की क़बा में
उनकी आवाज़ें
घुट के रह जाती हैं
रोज़ो-शब्
उनके ख़्यालों से
गुफ़्तगू होती है
लफ़्ज़ कसमसाते हैं
चश्म नम होती है
सैलाब लफ़्ज़ों का
हर तरफ है लेकिन
दर्द को तसल्ली
कहाँ होती है
लफ़्ज़ों के शह्र में
अफसानों की…
Added by Sushil Sarna on August 27, 2018 at 1:30pm — 5 Comments
मुहब्बत भी कहानी हो गयी हमसे
बहुत बद ये जवानी हो गयी हमसे।१।
कोई देकर गया था इक खुशी यारो
कहीं गुम वो निशानी हो गयी हमसे।२।
जमाना सारा ही दुश्मन हुआ है यूँ
जरा सी सच बयानी हो गयी हमसे।३।
कसक सी दिल में उठ्ठी है कहीं यारो
किसी से बद जबानी हो गयी हमसे।४।
भला यूँ कम कहाँ हम थे मगर अब तो
ये दुनिया भी सयानी हो …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 27, 2018 at 9:55am — 10 Comments
दरवाजे की घंटी सुन, दरवाजा मेड शीला ने खोला तो अपरिचित समझ मुझे आवाज लगाने पर मैं देखने गई तो सामने सलिल भैया और शालिनी भाभी को देख हतप्रद रह गई.मुझे इस तरह देख,भैया कहने लगे- 'भूल गई क्या ?मैं तुम्हारा भाई .......
मैं अपने को संभालते हुए ,उन्हें इशारे से अंदर आने को कह,कहने लगी- 'अरे नहीं भैया,आपको अचानक इतने सालो बाद देखा ....बस और कुछ नहीं।'
भाभी मेरी मनोस्थिति समझ भैया को डाटने वाले लहजे में कहा - 'अब ,उसे झिलाना छोडो'।और मुझे रसोई में ले जाकर खाना बनाने में हाथ बटाँने…
ContinueAdded by babitagupta on August 26, 2018 at 9:42pm — 8 Comments
"आज सही मौका है इसे सबक़ सिखाने का! बड़ा आया राखी बंधवाने वाला हमारी बिरादरी की लड़की से!"
"हां, ये वही तो है न 'याक़ूब', जो कल तेरी गाय के बछड़े की पूंछ पकड़ कर मज़े ले रहा था अपने दोस्तों के बीच! .. मारो साले को एक शॉट इसी खिलौना बंदूक से! .. और मैं फैंकता हूं ये पत्थर! आज यह राखी न बंधवा पाये अपनी पड़ोसन सविता से!"
निशाने साध कर दोनों ने याक़ूब पर वार किये ही थे कि तभी पास के मंदिर से घंटी की आवाज़ें और एक मस्जिद से अज़ान सुनाई दी! उन दोनों दोस्तों के क़दम वहीं थम गये। कुछ पल बाद देखा तो…
Added by Sheikh Shahzad Usmani on August 26, 2018 at 6:31pm — 7 Comments
कच्चे धागों से जुड़ा, रक्षाबंधन पर्व
बहना बाँधे डोर जब, भैया करता गर्व
भैया करता गर्व, नेग बहना को देकर
प्रण जीवन रक्षार्थ, वचन खुश बहना लेकर
रेशम बाँधे प्रीत, सनातन रिश्ते सच्चे
बाँटे खुशी अपार, भले हैं धागे कच्चे।1।
सावन में बदरा घिरे, बहने लगी बयार
प्यार बाँटने आ गया, राखी का त्योहार
राखी का त्योहार, सजीं चहुओर दुकानें
ट्रांजिस्टर पर खूब, बजें राखी के गाने
जात धर्म से दूर, भाव है कितना पावन
बँधे स्नेह की डोर, मास आये…
Added by नाथ सोनांचली on August 26, 2018 at 1:00pm — 19 Comments
राखी के पावन त्यौहार पर कुछ दोहे :
राखी का त्यौहार है, बहना की मनुहार।
इक -इक धागा प्यार का, रिश्तों का उपहार।।
'भाई बहना से सदा', माँगे उसका प्यार।
राखी पावन प्रेम के ,बंधन का आधार।।
बाँध जरा तू हाथ पर, बहना अपना प्यार।
दूँगा तुझको आज वो, जो मांगे उपहार।।
राखी है इस हाथ पर, बहना तेरी शान।
तेरे पावन प्यार पर, मुझको है अभिमान।।
सावन में सावन बहे, आँखों से सौ बार।
राखी पर परदेस से,'बहना भेजे…
Added by Sushil Sarna on August 26, 2018 at 1:00pm — 13 Comments
राखी
राखी धागा प्रेम का, कर लेना स्वीकार
केवल ये धागा नहीं,जनम जनम का प्यार ll
बहना तेरी खुश रहे,ऐसा करना काम
मान धर्म रखना सभी, होवे ना बदनाम ll
रिश्ता ये अनमोल है,समझो इसका मोल
पावन रिश्ते को कभी, पैसे से ना तोल ll
प्रेम झलकता एक दिन,फिर करते तकरार
दुख सहती बहना अगर, ये कैसा है प्यार ll
दिल से बहना को सभी, देना स्नेह दुलार
याद करे बहना कभी,मत करना इनकार…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on August 26, 2018 at 12:38pm — 10 Comments
"अब हमसें और न हो पेहे! दो-दो बोरे गेहूं तुम दोनों भाइयों और दो बोरे तुमाई बहना को भिजवा दये हते! अब मुंह फाड़के फिर आ गये गांव घूमवे के बहाने!"
"जे मत भूलो कि हमने अपने हिस्से के बड़े-बड़े बढ़िया खेत तुमें सस्ते में बेच दये हते! फसलों के ह़िस्से बिना मांगे हमें मिलते रहना चईये न! बड़े भाई हैं हम तुमाये; तुमाओ परिवार अकेले इते मजे करत रेहे का!"
"कौन ने कई हती कि अगल-बगल के शहरन में बस जाओ! पैसों से तो तुम औरन के मज़े हो रये हैं! हमारी मिहनत और हालात तुम कभऊं न समझ पेहो! सारी फसल तुम…
Added by Sheikh Shahzad Usmani on August 26, 2018 at 12:00pm — 4 Comments
भारी बारिश हो रही थी। बगीचे की टीन-शेड के नीचे बच्चे भीगे मौसम के साथ झूले के मज़े ले रहे थे। गरम पकोड़ों का लुत्फ़ लेते हुए उनके अब्बूजान अपने पुराने से अज़ीज़ ट्रांजिस्टर पर मुल्क की चुनावी राजनीतिक हलचलों, बाढ़ों के क़हर और तबाहियों के गरम समाचार सुन रहे थे । बच्चों की अम्मीजान भी समाचारों को झेल रहीं थीं। तभी बड़ी बेटी बोली - "अब्बू! ख़ुदा न करे! अगर नेताओं और अंग्रेज़ों के 'रिमोट कंट्रोल' से '1947 की रात' जबरन दुबारा रिपीट की गई और मुसलमानों को अलग किसी हिस्से में हांका गया, तो आप कहां तशरीफ़ ले…
ContinueAdded by Sheikh Shahzad Usmani on August 26, 2018 at 5:00am — 4 Comments
हिन्दू - मुस्लिम का कहें, एक रंग है खून.
हिन्दू हिन्दू में फरक, क्यों करता कानून.
सबके दो हैं हाथ, पाँव भी सबके दो हैं.
नाक सभी के एक, सूँघते जिससे वो हैं.
नयन जिसे भी मिले,जगत के दर्शन करता.
कान और मुँह से, सुनता - वर्णन करता.
सात दिन मिले सभी को, हफ्ते में एक समान.
विद्यालय में गुरु सभी को, देता ज्ञान समान.
अन्न नहीं करता देने में, ताकत कोई भेद.
मनु के पुत्र सभी मनुष्य हैं, कहते सारे वेद.
सूरज सबके लिए चमकता, सबको राह दिखाता.
श्वांस सभी पवन से…
Added by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' on August 26, 2018 at 1:45am — 5 Comments
1212 1122 1212 112
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 26, 2018 at 1:00am — 15 Comments
हर धड़कन पर इक आहट,
सोचूँ तो हो घबराहट..
यारों उससे पूंछो तो,
क्यूँ है मुझसे उकताहट..
लहजा उसका है शीरीं,
आँखें उसकी कड़वाहट..
मुझसे इतनी दूरी क्यूँ,
हर लम्हा है झुंझलाहट..
उससे हाले दिल कह कर,
देखी उसकी तिर्याहट..!!
मौलिक एवं अप्रकाशित।
Added by Zohaib Ambar on August 25, 2018 at 8:31pm — 3 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |