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जब रक्षा बंधन आता है.....

जब रक्षा बंधन आता है.....
 
शूलों में फूल खिल जाते हैं , जब रक्षा बंधन आता है  
स्मृतियाँ सारी वो बचपन की, संग अपने ले आता है 
रेशम के बस इक धागे से ,
हृदय के बैर मिट जाते हैं l
दूरी हर की मिट जाती है ,
जब रक्षा बंधन आता .है l
 
शूलों में फूल खिल जाते हैं , जब रक्षा बंधन आता है 
स्मृतियाँ सारी वो बचपन की, संग अपने ले आता है
नोंक झोंक ...की ...बातें उसकी,
मन को विचलित कर जाती हैं l
ये नयना ..भर -भर ..आते ...हैं ,
जब ..रक्षा ...बंधन ...आता है l
 
शूलों में फूल खिल जाते हैं , जब रक्षा बंधन आता है
स्मृतियाँ सारी वो बचपन की, संग अपने ले आता है
राखी के अवसर पर छोटी l
बहिन भी बड़ी हो जाती है l
वचन रक्षा का मिल जाता ,
जब रक्षा बंधन आता ..है।
 
शूलों में फूल खिल जाते हैं , जब रक्षा बंधन आता है
स्मृतियाँ सारी वो बचपन की, संग अपने ले आता है
करें प्रतीक्षा नयन बहिन की ,
बहिन ससुराल जब होती है l
इक इक पल इक युग से बीते,
जब रक्षा ...बंधन ..आता है l
 
शूलों में फूल खिल जाते हैं , जब रक्षा बंधन आता है
स्मृतियाँ सारी वो बचपन की, संग अपने ले आता है
 
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on August 28, 2018 at 6:04pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 28, 2018 at 4:50pm

आ. भाई सुशील जी ,रक्षा बंधन पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

Comment by Sushil Sarna on August 28, 2018 at 1:45pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब ... सृजन पर आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।

Comment by Samar kabeer on August 28, 2018 at 12:14pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,रक्षा बंधन पर अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

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