For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब रक्षा बंधन आता है.....

जब रक्षा बंधन आता है.....
 
शूलों में फूल खिल जाते हैं , जब रक्षा बंधन आता है  
स्मृतियाँ सारी वो बचपन की, संग अपने ले आता है 
रेशम के बस इक धागे से ,
हृदय के बैर मिट जाते हैं l
दूरी हर की मिट जाती है ,
जब रक्षा बंधन आता .है l
 
शूलों में फूल खिल जाते हैं , जब रक्षा बंधन आता है 
स्मृतियाँ सारी वो बचपन की, संग अपने ले आता है
नोंक झोंक ...की ...बातें उसकी,
मन को विचलित कर जाती हैं l
ये नयना ..भर -भर ..आते ...हैं ,
जब ..रक्षा ...बंधन ...आता है l
 
शूलों में फूल खिल जाते हैं , जब रक्षा बंधन आता है
स्मृतियाँ सारी वो बचपन की, संग अपने ले आता है
राखी के अवसर पर छोटी l
बहिन भी बड़ी हो जाती है l
वचन रक्षा का मिल जाता ,
जब रक्षा बंधन आता ..है।
 
शूलों में फूल खिल जाते हैं , जब रक्षा बंधन आता है
स्मृतियाँ सारी वो बचपन की, संग अपने ले आता है
करें प्रतीक्षा नयन बहिन की ,
बहिन ससुराल जब होती है l
इक इक पल इक युग से बीते,
जब रक्षा ...बंधन ..आता है l
 
शूलों में फूल खिल जाते हैं , जब रक्षा बंधन आता है
स्मृतियाँ सारी वो बचपन की, संग अपने ले आता है
 
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 28, 2018 at 6:04pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 28, 2018 at 4:50pm

आ. भाई सुशील जी ,रक्षा बंधन पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

Comment by Sushil Sarna on August 28, 2018 at 1:45pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब ... सृजन पर आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।

Comment by Samar kabeer on August 28, 2018 at 12:14pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,रक्षा बंधन पर अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. भाई सुशील जी सादर अभिवादन। दोहों के लिए हार्दिक बधाई।  भाई योगराज जी के कथन को अन्यथा न ले…"
36 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहो पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार। आपके सुझाव से मूल दोहे…"
46 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।  इंगित दोहे में…"
48 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई गिरिराज जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"प्रिय गिरिराज  हार्दिक बधाई  इस प्रस्तुति के लिए|| सुलह तो जंग से भी पुर ख़तर है सड़ा है…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"हार्दिक बधाई लक्ष्मण भाई इस प्रस्तुति के लिए|| सदा प्रगति शान्ति का       …"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , विषय के अनुरूप बढ़िया दोहे रचे हैं , बधाई आपको मात्रिकता सही होने के बाद…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"ग़ज़ल  *****  इशारा भी  किसी को कारगर है  किसी से गुफ्तगू भी  बे असर…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"लोग समझते शांति की, ये रचता बुनियाद।लेकिन बचती राख ही, सदा युद्ध के बाद।८।.....वाह ! यही सच्चाई है.…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service