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नेता की शादी में

नेता की शादी में

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नेता की शादी में

गरीब भी आये

पानी भरे -अंखियों से

लड्डू- मन में खाए !

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डांट खाए दुत्कार

कुत्ते के पीछे वे

गालियों का प्रसाद

झोली भर लाये !

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चकाचौंध फुलझड़ी

नींद में सताए

बिटिया जवान हुयी

कब तक छिपाए !

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बेटे ने देख लिया

नेता का डेरा

मोह हम से कम हुआ

छोरा-छिछोरा !…

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Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 19, 2012 at 10:00pm — 19 Comments

"माँ"

"माँ" को शब्दों मे बयां करना नामुमकिन है,

पर कुछ एहसासों को अल्फ़ाज़ मे पिरोने की कोशिश की है,

**************************************

 

जब कभी मुझ पे मुसीबत ये हवा लाती हैं,

तब बचा के मुझे बस माँ की दुआ लाती हैं ।

 

देख लेती है अगर धूप मे चलता मुझको, 

दौड़ कर साये मे वो मुझको बुला लाती है । 

 

माँ की लोरी के वो अल्फ़ाज़ मुझे याद हैं…

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Added by D.K.Nagaich 'Roshan' on May 19, 2012 at 8:00pm — 27 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
जिंदगी रूठ के मुझसे कहीं खोई होगी

जिंदगी रूठ के मुझसे कहीं खोई होगी 

तकिये में मुंह छिपाकर रोई होगी 

जल गई थी जो अरमानों की फसल 

यंकी नहीं कि फिर से बोई होगी 

बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ 

टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी

मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका  

शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी  

                 ***** 

Added by rajesh kumari on May 19, 2012 at 6:21pm — 25 Comments


मुख्य प्रबंधक
लघुकथा :- चिंगारी

लघुकथा :- चिंगारी …

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Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 19, 2012 at 1:00pm — 53 Comments

क्यूँ तेरा अब ,तुझी पे इख्तियार नहीं

क्यूँ तेरा अब, तुझी पे इख्तियार नहीं?
कठपुतली बना, पर सोगवार नहीं ?

मेहनत पसीने की रोटियाँ तो तोड़
कि साथ देता ज़माना, हर बार नहीं

ज़मीर तो होगा ही दामन में तेरे
शोहरत न रहे, तू खतावार नही

वो छीन लेंगे तेरी आँखों का पानी
टिकती है खुदाई, कोई किरदार नहीं

खबरों में है पर दिलों में कहाँ
तू अपने ही खातिर, वफादार नहीं

Added by Nilansh on May 19, 2012 at 11:00am — 13 Comments

मै वृक्ष हो गया.

पौधा था छोटा था

लगता था अब गया तब गया

कभी बारिश की बुँदे

सुहानी लगती थी

कभी लगता डूब गया डूब गया,

हिम्मत करके टहनियां बढ़ाई,

नयी कोपलें बिखराई,

अब गगनचुम्बी वृक्षों को

छूने लगी टहनियां,

लगा मै भी खडा हो गया खडा हो गया,

मगर पुष्पों के खिलने तक

अहसास नहीं हो पाया बड़ा होने का,

फलों से लदते ही लगा

मै बड़ा हो गया बड़ा हो गया,

मै भूल गया

वो छुटपन का अहसास

ना डर रहा कुछ खोने का

ना उत्साह और कुछ पाने का,

दे रहा हूँ आश्रय आने जाने…

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Added by Ashok Kumar Raktale on May 19, 2012 at 9:00am — 20 Comments

रात आती है तेरी यादें सुहानी लेकर

रात आती है तेरी यादें सुहानी लेकर।

फिर मोहब्बत की वही बातें पुरानी लेकर॥

 

ख़्याल जब तेरा सताता है मुझे रातों को,

सिसकियाँ लेता हूँ मैं आँखों में पानी लेकर॥…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 19, 2012 at 12:30am — 14 Comments

मोती..

आत्मावलोकन के क्षणों में

मन मेरे

जब तू जूझता

डूबता , उतराता

फिर थक के बैठ 

किनारे सुस्ताता है

औ तब ये सब 

देख रही होती हैं 

मेरी आँखे 

सबसे परे

उन सारे पलों को

तुझे जीते हुए

औ तभी

विहँस पड़ती हैं

उसी क्षण 

जब उनमें से 

चुन लेता है तू

एक मोती    

18th May2012

Added by MAHIMA SHREE on May 18, 2012 at 10:10pm — 22 Comments

दूर होकर

दूर होकर


दूर होकर तुझसे हम दूर कहाँ जाएँगे
दिल में झाँको तो सही पास नज़र आएँगे
दूर होकर तुझसे हम दू ---------------
हम मुहब्बत के पुजारी हैं करो मुझपे यकीं
तुम…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on May 18, 2012 at 2:41pm — 7 Comments

ऐसे ही बस..

(1)

जो ग़ालिब थे , मेरे जैसी ही उन पर भी गुज़रती थी,

अगर और जीते वो तो उनको क्या मिला होता....



डुबोया हम दोनों को अपने अपने जैसे होने ने,

वो न होते तो क्या होता , मैं न होती तो क्या…

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Added by Sarita Sinha on May 18, 2012 at 2:30pm — 20 Comments

अपील

मेरे बड़े भाई का लीवर ट्रांसप्लांट आपरेशन गुडगाँव मेदान्ता अस्पताल में है| खून की जरूरत है वे वार्ड में एडमिट हैं| गुडगाँव, दिल्ली, नोयडा व् आस-पास रहने वाले सभी सुधी ब्लॉगर बंधुओं और मित्रों से अपील है कि यदि संभव हो तो मेरे बड़े भाई की जीवन रक्षा हेतु रक्तदान करें । हम आजीवन आपके आभारी रहेंगे । यहाँ पर मैं परम मित्र भाई सन्तोष जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने आज अपने पांच मित्रो के साथ पहुंचकर रक्तदान किया। अभी भी लगभग 30 यूनिट रक्त रक्त की आवश्यकता है । धन्यवाद चातक…

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Added by Chaatak on May 18, 2012 at 2:17pm — 7 Comments

धर्मकोट दूसरा मनाली रिपोर्ट :- दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'

पर्यटन विशेषांक

धर्मकोट दूसरा मनाली
प्रैस रिपोर्टर :- दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
.…

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Added by Deepak Sharma Kuluvi on May 18, 2012 at 11:00am — 15 Comments

उसी की याद में खोया दिवाना उसका पागल हूँ

बहर :- बहरे हजज मुसम्मन सालिम | 
मफाईलुन | मफाईलुन | मफाईलुन | मफाईलुन

1 2 2 2    1 2 2 2   1 2 2 2    1 2 2 2

उसी की…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 10:32pm — 6 Comments

कमी है कौन सी कुदरत के कारखाने में ,


कमी है कौन सी कुदरत के कारखाने में ,
उलझ के रह गया इन्सान जो आबो -दाने में .

वोह जिसके दम से उजाला है मेरी आँखों में ,
उस्सी की आज कमी है गरीब खाने में .

मेरे नसीब में लिखी है ठोकरे शयेद ,
जो भूल बैठा हूँ तुझको भी इस ज़माने में .

समझ रहा था जिसे मै गरीब परवर है ,
उस्सी ने आग लगे है आशियाने में .

हटा जो मर्कज़े हस्ती से देखीय "रिज़वान",
भटक रहा है वही दरबदर ज़माने में .

Added by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on May 17, 2012 at 10:00pm — 8 Comments

मौत के भय से क्या जिंदगी छोड़ दूँ ll

एक पल को मिली वो हँसी छोड़ दूँ l
याद में पा गया वो ख़ुशी छोड़ दूँ l
किस तरह मैं भुलाऊं तुम्हें  ऐ प्रिये 
मौत के भय से क्या जिंदगी छोड़ दूँ ll
याद में घुट रहा, मृत्यु आ जाएगी 
जिस  तरह जी रहा क्या वो पा जाएगी
ज्योति जीवन की ले कर चलेगी तभी
सब अँधेरा दिखेगा लजा जाएगी ll
राह जीवन की अपनी किधर मोड़ दूँ
एक पल को मिली वो हँसी छोड़ दूँ…
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Added by vivek mishr on May 17, 2012 at 9:30pm — 8 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
कुण्डलिया (एक प्रयास)

कुण्डलिया (एक प्रयास)
 
 
आँखों में सपने सजा, होंठों पर मुस्कान

साजन औ सजनी चले, प्रेम डगर अंजान

प्रेम डगर अंजान, संग हों…
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Added by Dr.Prachi Singh on May 17, 2012 at 12:30pm — 23 Comments

सामने है खड़ी दीवार ख़ुदा ख़ैर करे

सामने है खड़ी दीवार ख़ुदा ख़ैर करे।

रास्ता हो गया दुश्वार ख़ुदा ख़ैर करे॥

अब तो हर चीज़ जुदाई में बुरी लगने लगी,

फूल भी लगने लगे ख़ार ख़ुदा ख़ैर करे॥…

Continue

Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 17, 2012 at 10:00am — 13 Comments

तुझे तो देख के जोरों से मेरा दिल धडकता है

तुझे तो देख के जोरों से मेरा दिल धडकता है

जिये पानी बिना मछली के जैसे मन तडपता है

जिगर को थाम के बैठूं मैं अक्सर सामने तेरे…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 10:00am — 17 Comments

अरबों माल डकार के

अरबों माल डकार के राजा जी गै छूट।
जनहित में संदेश है लूट सके तो लूट।।

निकले जब वो जेल से यूँ दिखलाया रंग।
अभिवादन थे कर रहे जीत लिया ज्यों जंग।।

बाहर आकर वायु मे चुम्बन रहे उछाल।
इतने घृणीत कर्म का कोई नही मलाल।।

हर्षित चेलाराम के जमीं न पड़ते पाँव।
बेशरमी रख ताख पे खुश हो करते काँव।।

झिंगुर घुरवा से कहे "जितबे तुहीं चुनाव।
कट्टा पिस्टल साथ हैं डर जइहैं सब गाँव"।।

  • आशीष यादव

Added by आशीष यादव on May 17, 2012 at 9:00am — 22 Comments

दिल मेरा फिर से सितमगर तलाश करता है।

दिल मेरा फिर से सितमगर तलाश करता है।

आईना जैसे के पत्थर तलाश करता है॥

एक दो क़तरे से ये प्यास बुझ नहीं सकती,

दिल मेरा अब तो समंदर तलाश करता…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 2:00pm — 16 Comments

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