For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कमी है कौन सी कुदरत के कारखाने में ,


कमी है कौन सी कुदरत के कारखाने में ,
उलझ के रह गया इन्सान जो आबो -दाने में .

वोह जिसके दम से उजाला है मेरी आँखों में ,
उस्सी की आज कमी है गरीब खाने में .

मेरे नसीब में लिखी है ठोकरे शयेद ,
जो भूल बैठा हूँ तुझको भी इस ज़माने में .

समझ रहा था जिसे मै गरीब परवर है ,
उस्सी ने आग लगे है आशियाने में .

हटा जो मर्कज़े हस्ती से देखीय "रिज़वान",
भटक रहा है वही दरबदर ज़माने में .

Views: 535

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 22, 2012 at 12:41pm

रिजवान जी, बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है, टंकण की त्रुटियाँ कई जगह परिलक्षित है एडमिन से कहकर ठीक करा लें , इस खुबसूरत अभिव्यक्ति पर दाद कुबूल करें |

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 20, 2012 at 9:06am

रिजवान भाई बहुत उम्दा ग़ज़ल और खूबसूरत फिक्र ! ये शेर तो लाजवाब है :मेरे नसीब में लिखी है ठोकरें शायद ,
जो भूल बैठा हूँ तुझको भी इस ज़माने में . दाद कुबूल करे!

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2012 at 8:50am

रिजवान जी
          सादर,
                 कमी है कौन सी कुदरत के कारखाने में ,
                 उलझ के रह गया इन्सान जो आबो -दाने में .
वाह! बहुत सुद्नर गजल. बधाई.
 

Comment by MAHIMA SHREE on May 18, 2012 at 9:55pm

कमी है कौन सी कुदरत के कारखाने में ,
उलझ के रह गया इन्सान जो आबो -दाने में .

बहुत बढ़िया रिजवान जी बधाई आपको




सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 18, 2012 at 9:29pm

बहुत बहुत उम्दा ग़ज़ल है हर शेर शानदार है एक दो टंकण त्रुटियाँ हैं ठीक कर सकते हैं 

Comment by Nafis Ansari on May 18, 2012 at 9:23pm

बहुत खूब माशा-अल्लाह पूरी ग़ज़ल उम्दा है  रिज़वान 

Comment by AVINASH S BAGDE on May 18, 2012 at 9:05pm


वोह जिसके दम से उजाला है मेरी आँखों में , 
उस्सी की आज कमी है गरीब खाने में . wah!janab......

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 18, 2012 at 5:14pm

कमी है कौन सी कुदरत के कारखाने में , 
उलझ के रह गया इन्सान जो आबो -दाने में 

uljhan suljhe na , badhai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
2 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service