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सामने है खड़ी दीवार ख़ुदा ख़ैर करे

सामने है खड़ी दीवार ख़ुदा ख़ैर करे।

रास्ता हो गया दुश्वार ख़ुदा ख़ैर करे॥

अब तो हर चीज़ जुदाई में बुरी लगने लगी,

फूल भी लगने लगे ख़ार ख़ुदा ख़ैर करे॥

जाने किस बात से हमसे वो रूठे रूठे हैं,

बदले बदले से हैं सरकार ख़ुदा ख़ैर करे॥

हर कोई चाहता महबूब बनाना उनको,

खिंच गईं हैं कई तलवार ख़ुदा ख़ैर करे॥

रात दिन चैन से सोने नहीं देती मुझको,

उनके पाज़ेब की झंकार ख़ुदा ख़ैर करे॥

बात दिल की मेरे होठों पे आ न जाये कहीं,

हो ना जाये कहीं इज़हार ख़ुदा ख़ैर करे॥

बन सँवर के सरे बाज़ार वो निकले “सूरज”,

हो गए हम भी गिरफ़्तार ख़ुदा ख़ैर करे॥

                              डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

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Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2012 at 8:38am

आदरणीय बाली जी
               सादर,
                           बात दिल की मेरे होठों पे आ न जाये कहीं,
                           हो ना जाये कहीं इज़हार ख़ुदा ख़ैर करे॥
वाह क्या बात है. बार बार पढने को दिल चाहता है. बहुत सुन्दर. बधाई.

Comment by Nilansh on May 17, 2012 at 10:03pm

sunder ghazal suryaa ji

Comment by Rekha Joshi on May 17, 2012 at 9:58pm

रात दिन चैन से सोने नहीं देती मुझको,

उनके पाज़ेब की झंकार ख़ुदा ख़ैर करे॥

kya khne baali ji ,ati sundr ,badhaai 

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 17, 2012 at 9:11pm

बात दिल की मेरे होठों पे आ न जाये कहीं,

हो ना जाये कहीं इज़हार ख़ुदा ख़ैर करे॥

waah.... 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 17, 2012 at 6:21pm

आदरणीय  सूरज    जी, सादर

बन सँवर के सरे बाज़ार वो निकले “सूरज”,

हो गए हम भी गिरफ़्तार ख़ुदा ख़ैर करे॥

इस कदर जानां घायल हूँ तेरे प्यार में 

कब हुआ उजाला मुझे याद नहीं 

गर याद आता भी है कुछ तो भुला देता हूँ 

जिंदगी जो लिख दी है तेरे नाम में 

खुदा भी खुद आ के गिरफ्तार हो गया 

तेरा जलवा है जश्ने  बहार में  

सूरज तो अपनी आग में यूं ही जल रहा था 

प्रदीप भी शामिल हो गया कत्ले आम में. 

आपको बधाई. मैं भी दाद चाहूँगा, जनाब.

  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 17, 2012 at 5:42pm

सूर्या बाली साहब,  ग़ज़ल के कई अश’आर जाने-पहचाने बिम्बों को साथ लिये चलते हैं. इशारे भी वही-वही हैं.  फिर भी सुनना अच्छा लगा.  दाद कुबूल करें. 

Comment by आशीष यादव on May 17, 2012 at 12:46pm

वाह वाह,
बेहतरीन गजल। सुन्दर शे'र


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 17, 2012 at 12:16pm

वाह वाह बाली जी बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है मजा आ गया पढ़ के 

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on May 17, 2012 at 11:44am

wah wah soorya ji kya baat hai maza aa gaya bahut achchi ghazal kahi hai mubarakbad kubool karein

Comment by Bhawesh Rajpal on May 17, 2012 at 11:34am
आपकी ग़ज़ल में हम हो गए गिरफ्तार  !
खुदा खैर करे  !
 
डा. सूर्य बाली जी , बहुत-बहुत बधाई  ! 

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