For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,988)

"कोई मूरत ही नहीं"

बन के काफ़िर जिसको पूजें कोई मूरत ही नहीं,

झेल ली है इतनी मुश्किल कुछ ये आफ़त ही नहीं;

*

साथ मेरे रह न पाया अजनबी ही तू रहा,

साफ़ कहना था तुम्हें मुझसे मुहब्बत ही नहीं;

*

सब के…

Continue

Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 16, 2012 at 6:00pm — 10 Comments

मां

मां !

मैंने खाये हैं तुम्हारे तमाचे अपने गालों पर

जो तुम लगाया करती थी अक्सर

खाना खाने के लिए.

मां !

मैंने भोगे हैं अपने पीठ पर

पिताजी के कोड़ों का निशान,

जो वे लगाया करते थे बैलों के समान.

मां !

मैंने खाई हैं हथेलियों पर

अपने स्कूल मास्टर की छडि़यां

जो होम वर्क पूरा नहीं करने पर लगाया करते थे.

पर मां !

मैं यह नहीं समझ पा रहा हूँ

आखिर कयों लगी है मेरे हाथों में हथकडि़यां ?

जानती हो…

Continue

Added by Rohit Sharma on April 16, 2012 at 1:36pm — 15 Comments

ये दुनिया की रस्मे

ये दुनिया की रस्मे

ये रीति- रिवाज

नहीं काम की चीज कुछ भी

आज....................



ख़त्म हो रहा है

मोहब्बत का रिश्ता…

Continue

Added by Sonam Saini on April 16, 2012 at 1:00pm — 9 Comments

माँ की महिमा

मोहपाश

माँ की महिमा

माँ नहीं तो न घर न गाँव है 

माँ ही ममता की छाँव…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2012 at 10:08am — 6 Comments


मुख्य प्रबंधक
लघुकथा : कवच

पूरे मोहल्ले में यह चर्चा थी कि गुड़िया को एड्स की बीमारी है | दरअसल उसका पति एक सरकारी मुलाज़िम था जो कि सिर्फ़ २५ वर्ष की आयु में ही अचानक किसी रहस्यमयी बीमारी का शिकार होकर दुनिया छोड़ गया था | एड्स पर काम कर रही एक स्वयंसेवी संस्था के कार्यकर्ता बहुत समझा-बुझा कर गुड़िया को एड्स की जाँच करवाने अपने साथ ले गए थे | गुड़िया को जो सरकारी पेंशन मिलती थी उसी से किसी तरह अपना जीवन यापन कर रही थी…
Continue

Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 15, 2012 at 8:00pm — 51 Comments

चक्रव्यूह (कहानी)

आज भी तापमान ४.५ डिग्री सेंटीग्रेड है पर काम पर तो जाना ही है. डर किस बात का है, खुला आसमान अपना ही तो है , आंधी -बारिश  , धूप-छांव, घना कोहरा हो या ओस टपकाता आसमान, काम तो करना ही है, यह कोई नई बात थोड़े ही है.छोटू के लिये लाना है स्वेटर, उसकी माँ के लिए गर्म शाल, छुटकी के लिए टोपी , खुद अपने लिए कम्बल और अम्मा के लिए दवाईया, अम्मा बेचारी रात भर खाँसती रहती है. घर की छत भी टपक  रही है, उसकी भी मुरम्मत करवानी है. पूरी बरसात टपकती रहती है और सर्दियों में बर्फीली…
Continue

Added by MAHIMA SHREE on April 15, 2012 at 2:00pm — 38 Comments

अभिव्यक्ति - आखिरी वक़्त मुझे माँ ने दुआ दी होगी !

अभिव्यक्ति - आखिरी  वक़्त मुझे माँ ने  दुआ दी होगी…

Continue

Added by Abhinav Arun on April 15, 2012 at 9:30am — 29 Comments

अभिव्यक्ति - खामोश मिज़ाजी से गुज़ारा नहीं होता !

अभिव्यक्ति - खामोश  मिज़ाजी से गुज़ारा नहीं होता !

अपनों ने अगर पीठ पे मारा नहीं होता ,

दुनिया की कोई जंग वो हारा नहीं होता |

 

उनकी हनक से…

Continue

Added by Abhinav Arun on April 15, 2012 at 9:30am — 32 Comments

हमें आजादी चाहिये --

हमें आजादी चाहिये --

 

चाहिये ,चाहिये , चाहिये ,

हमें आजादी चाहिये ,

तुम्हारे गम से , तुम्हारी खुशी से ,…

Continue

Added by अरुण कान्त शुक्ला on April 15, 2012 at 12:30am — 7 Comments

चाँद भी खिसक गया

गोरी के आंचल में 

झिलमिल सितारे हैं 

चंदा को सूरज भी 

छिप के निहारे है 

------------------------

रेत के समंदर में 

बूँद एक उतरी तो 

ललचाई नजरों ने 

सोख लिया प्यारी को 

----------------------------

उदय अंत में त्रिशंकु -

बन ! मै लटकता हूँ 

राहु -केतु से कटे भी 

दंभ लिए फिरता हूँ 

---------------------------

चार दिन की जिन्दगी है 

चार पल की यारी है 

चाँद भी खिसक…

Continue

Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 14, 2012 at 9:24pm — 16 Comments

जहाँ गंगा जैसी सरिता है

 असंख्य घड़े को जल देकर भी, तेरा कोष न रीता  है.
धन्य - धन्य वह भारत है , जहाँ गंगा जैसी सरिता है.
तू सदैव निःस्वार्थ भाव से, हिंद - भूमि को सींचा है.
श्यामा के अभिराम वक्ष पर, लक्ष्मण - रेखा खींचा है.
भारत की मर्यादा की, यह रेखा एक निशानी है.
शहीदों की कुर्बानी की, यह रेखा एक कहानी है.
तेरी लहरों में…
Continue

Added by satish mapatpuri on April 14, 2012 at 7:30pm — 9 Comments

साधना और आराधना

जिंदगी के दो आयाम,

साधना और आराधना.

दोनों मार्ग हैं मुक्ति के,

पूर्ण करे हर इच्छा-कामना.

एक प्रोत्साहित करे बल-पौरुष को,

दूजा सन्मार्ग दिखाए.

हर विघ्न में, हर बाधा में,

चित्त की धैर्यता और बढ़ाये.

साधना से जीवन सधे,

केन्द्रित करे ध्यान को.

आराधना से सुमति मिले,

सन्मार्ग बताये इंसान को.

जो जन्म लिया नर रूप में,

तो सफल करें इस जीवन को.

करे आराधना उस इश्वर का,

साध लें अपने तन-मन…

Continue

Added by praveen singh "sagar" on April 14, 2012 at 7:00pm — 9 Comments

कवि और कविता १. : प्रो. वीणा तिवारी -- संजीव 'सलिल'

कवि और कविता १. : प्रो. वीणा तिवारी

-- संजीव 'सलिल'

कवि परिचय:

३०-०७-१९४४, एम्. ए., एम्,. एड.

प्रकाशित कृतियाँ - सुख पाहुना सा (काव्य संग्रह), पोशम्पा (बाल गीत संग्रह),…
Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on April 14, 2012 at 6:00pm — 1 Comment

कोई बाबा निर्मल नहीं -

कोई बाबा निर्मल नहीं

सब मन के बड़े मैले हैं ,

दौलत के ढेर पर बैठे

ये ठग बड़े लुटेरे हैं ,

व्यापार इनका धर्म है

धर्म का करते…

Continue

Added by अरुण कान्त शुक्ला on April 14, 2012 at 12:30am — 11 Comments

" भीख "

मैं आपसे भीख मांगता हूँ...
क्या कभी आपसे किसी ने ऐसा कहा है,
उसको ऐसा क्यूँ लगा की
आपसे भीख मांगी जाए,
उसको कैसे यह अंदाज़ा है की आपके पास भीख है,
आपके पास भीख कहाँ से आई,
आपने किस से मांगी थी
भीख.....

© AjAy Kum@r ~

Added by AjAy Kumar Bohat on April 13, 2012 at 8:30pm — 6 Comments

विछोह

मेरा यार मुझसे जुदा हुआ,                                               

मेरी जान जैसे निकल गई.

मुझे प्यार उसका न मिल सका,

मेरी आह मुझमे ही मिल गई.

उसे चाहना या न चाहना

उसे पूजना या न पूजना 

मेरी चाहतों का हिसाब क्या,

मेरी रूह भी हो विकल गई..

मुझे प्यार उसका न मिल सका,

मेरी आह मुझमे ही मिल गई..

कोई…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 13, 2012 at 8:00pm — 23 Comments

ये कौन सा मोड़ है जीवन का

ये कौन सा मोड़ है जीवन का 

जहा सिर्फ अंतर्द्वंद है 

यक़ीनन मै जनता हूँ 

हर उस  रास्ते को

जो मेरे चौराहे से गुजरता है 

परन्तु फिर भी मै अविचल हूँ 

यकीन मानो ,…

Continue

Added by arunendra mishra on April 13, 2012 at 1:00pm — 10 Comments

हो न सका

हो न सका


ऐसे बिछुड़े दीदार हो न सका
बेवफाओं से प्यार हो न सका 
ऐसे बिछुड़े -------------
तुझको भूले न भूलना आया-२
हमको खोकर तुमने क्या पाया-२…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 13, 2012 at 12:25pm — 12 Comments

"जीवन-चक्र "

' जान ' तू मर गयी थी
सदियों पहले
और किसी को
पता न चला
कुछ भी..
और शायद
कोई बड़ी बात नहीं की,
तू मर गयी हो अब भी !
और..
पता न चल सके
मुझको भी /
हत्यारा कौन था ?
या
हत्यारा कौन है !
क्या करूँगा मैं यह जानकर
जबकि, एक हत्यारा तो हरदम
साथ रहता है
मेरे भी....
और
शनः - शनः जान रहा हूँ मैं की
निरंतर
होती रही इन हत्याओं का तारतम्य ही
है शायद
"जीवन-चक्र "
© AjAy Kum@r

Added by AjAy Kumar Bohat on April 13, 2012 at 8:47am — 5 Comments

"धूल से सने तीन किस्से "

धूल भरी आँधी चली, सारी धूल घर में आ गयी,
मगर आपके चरणों की धूल मेरे घर में नहीं आयी ,
आप कब आ रहे हैं मुझसे मिलने?

धूल भरी आंधी चली, सारी धूल घर में आ गयी,
आप तक पहुँचने के लिए, क्या सहारा लेना पड़ेगा आँधी का,
मुझ रास्ते की धूल को.....

धूल भरी आँधी चली, सब और धूल ही धूल छा गयी,
ओह्ह , आप तो घर के खिड़की दरवाज़े सब बंद रखते हैं,
ये गोग़ल्स भी आप पर खूब फबते हैं....

.
© AjAy Kum@r

Added by AjAy Kumar Bohat on April 13, 2012 at 8:30am — No Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"आदाब।‌ बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।"
Monday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी।"
Monday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी। आपकी सार गर्भित टिप्पणी मेरे लेखन को उत्साहित करती…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"नमस्कार। अधूरे ख़्वाब को एक अहम कोण से लेते हुए समय-चक्र की विडम्बना पिरोती 'टॉफी से सिगरेट तक…"
Sep 29
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"काल चक्र - लघुकथा -  "आइये रमेश बाबू, आज कैसे हमारी दुकान का रास्ता भूल गये? बचपन में तो…"
Sep 29
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
Sep 29
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
Sep 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
Sep 28
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
Sep 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
Sep 28

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service