For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चक्रव्यूह (कहानी)

आज भी तापमान ४.५ डिग्री सेंटीग्रेड है पर काम पर तो जाना ही है. डर किस बात का है, खुला आसमान अपना ही तो है , आंधी -बारिश  , धूप-छांव, घना कोहरा हो या ओस टपकाता आसमान, काम तो करना ही है, यह कोई नई बात थोड़े ही है.छोटू के लिये लाना है स्वेटर, उसकी माँ के लिए गर्म शाल, छुटकी के लिए टोपी , खुद अपने लिए कम्बल और अम्मा के लिए दवाईया, अम्मा बेचारी रात भर खाँसती रहती है. घर की छत भी टपक  रही है, उसकी भी मुरम्मत करवानी है. पूरी बरसात टपकती रहती है और सर्दियों में बर्फीली हवाएँ कंपकपाती रहती हैं. अभी तो सर्दी शुरू ही हुयी है, और बढ़ेगी अभी. छुटकी को तो पढ़ा नहीं पाऊँगा मगर छोटू को भेजूँगा स्कूल, बस थोड़े रुपये इकट्ठे करने होंगे. आज ही ठेकेदार ने बुलाया है, ऊपर वाले की मेहरबानी से बहुत दिनों बाद काम हाथ आया है. ठेकेदार कह रहा था बड़े लोगो को नगर निगम ने नोटिस भेजा है कि इन लोगों ने अवैध तरीके से सरकारी ज़मीन पर जो निर्माण  किया है, उसे तोडना होगा. रात दिन लग कर हः काम पूरा करना है.  सीमेंट, ईट, पत्थर व् कंक्रीट से जूझना है, लगता है मेरे  भी सब काम पूरे हो जायेंगे. हफ्ते दस दिन का काम है, तो मेरे भी काफी पैसे बन जायेंगे.- एक दिन की मजदूरों के के ८० रुपये,
.
जब सारी दुनिया रात भर पेट भोजन कर रजाइयो में घुसी सुख -चैन की नींद ले रही थी तब वो रात भर ४.५ डिग्री   सेंटीग्रेड में  पत्थर, कंक्रीटों और ईटो को काटता और तोड़ता रहा और सुबह थकान, भूख और नींद से पस्त उसके हाथो में जब ८० रुपये थमाए गए  तो उसे अम्मा की दवाई, छुटकी की टोपी , छोटू का स्वेटर, टूटी छत की मुरम्मत के सपने चूर चूर होते दिखे. उसने खुद को इतना असहाय और कमजोर पाया कि उसे अपना वजूद, अपनी मेहनत सभी व्यर्थ नज़र आने लगे. अम्मा से दवाई लाने का वादा किया था, बच्चो को क्या कहूँगा ? छुटकी तो चुप रहेगी क्योंकि वह अपनी माँ की तरह समझदार है. पर छोटू तो स्वेटर न मिलने पर जार जार रोयेगा. आज तो घर चावल भी ले कर जाना है , सुबह ही पत्नी कह रही थी कि घर में राशन भी खत्म ही है. उसकी आँखों के आगे अँधेरा सा छाने लगा, उसके अन्दर जैसे कुछ टूट सा गया हो.
.
वो कभी आसमान की और देखता तो कभी हाथ में पकडे उन ८० रुपयों को. और फिर सहसा ही उसके पाँव कलाली की दूकान की तरफ मुड पड़े. जहाँ उसको मिलेगी उसके हर दुःख की दवा. वहां बैठ कर वो सूखी मछली के साथ पिएगा देसी ठर्रा और वादा करेगा अपने आप से कि कल फिर काम पर जाना है, पैसे जमा करने है और घर वालों की हरेक इच्छा पूरी करनी है. खैर, अभी तो हफ्ते दो हफ्ते का काम बाकी है कुछ न कुछ तो कर ही लेगा वो.

Views: 996

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 23, 2013 at 7:08pm

इस देश में करोड़ों लोग इसी तरह का जीवन व्यतीत कर रहे है, और इस चक्रव्यूह से निकल नहीं पा रहे है है | 

ऐसे लोगो की स्त्याकहानी को उजागर करती सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया महिमा श्री जी 

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on July 23, 2013 at 2:06pm

'वो कभी आसमान की और देखता तो कभी हाथ में पकडे उन ८० रुपयों को. और फिर सहसा ही उसके पाँव कलाली की दूकान की तरफ मुड पड़े. जहाँ उसको मिलेगी उसके हर दुःख की दवा. वहां बैठ कर वो सूखी मछली के साथ पिएगा देसी ठर्रा और वादा करेगा अपने आप से कि कल फिर काम पर जाना है, पैसे जमा करने है और घर वालों की हरेक इच्छा पूरी करनी है. खैर, अभी तो हफ्ते दो हफ्ते का काम बाकी है कुछ न कुछ तो कर ही लेगा वो. '' इन पारिभाषिक लाइनों में कहानी का सम्पूर्ण सार-तत्व सन्निहित है और इन्ही में इस कहानी के शीर्षक की सार्थकता भी है ! बहुत सुन्दर भाव ! बधाई, महिमा जी !

हाँ  ये भी कि वाक्य-गठन पर थोड़ी और मेहनत हो सकती थी  !

Comment by MAHIMA SHREE on May 26, 2012 at 11:34pm

परमआदरणीय योगराज सर .. आपका ह्रदय से धन्यवाद . सर क्या कहू आपने कह दिया आशीर्वाद मिल गया / सर शीर्षक  कहानी के साथ   न्याय इसलिय कर रहा है क्योंकि इसके न्यायधीश  तो आप ही हैं :)   

Comment by MAHIMA SHREE on May 26, 2012 at 11:28pm

आदरणीया रेखा जी , आदरणीय नगाइच जी आप दोनों का ह्रदय से धन्यवाद /


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 24, 2012 at 4:50pm

कहानी अपने शीर्षक से पूर्ण न्याय कर रही है, कथ्य और शिल्प में थोड़ी और कसावट हो जाये तो बात ही बन जाये। मेरी बधाई स्वीकार करें महिमा जी।

Comment by Rekha Joshi on May 20, 2012 at 11:53am

Mahima ji ,bahut badhiya kahaani ,badhaai 

Comment by D.K.Nagaich 'Roshan' on May 19, 2012 at 9:23pm

Sunder lekhan, saralta, sarasta, sahajta aur dhaarapravaah... bahut hi rochak bana gaya kahani ko... bahut bahut badhayee Mahima Shree sahiba...

Comment by MAHIMA SHREE on May 19, 2012 at 9:15pm

अजय जी , नमस्कार .. आपकी आभारी हूँ

Comment by MAHIMA SHREE on May 19, 2012 at 9:14pm

आदरणीय योगी जी ..नमस्कार आपके विस्तृत अनमोल प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ / उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by Yogi Saraswat on May 19, 2012 at 4:18pm

वो कभी आसमान की और देखता तो कभी हाथ में पकडे उन ८० रुपयों को. और फिर सहसा ही उसके पाँव कलाली की दूकान की तरफ मुड पड़े. जहाँ उसको मिलेगी उसके हर दुःख की दवा. वहां बैठ कर वो सूखी मछली के साथ पिएगा देसी ठर्रा और वादा करेगा अपने आप से कि कल फिर काम पर जाना है, पैसे जमा करने है और घर वालों की हरेक इच्छा पूरी करनी है. खैर, अभी तो हफ्ते दो हफ्ते का काम बाकी है कुछ न कुछ तो कर ही लेगा वो.

ये उसकी मजबूरी है या उसका शौक ? मैं नहीं जानता लेकिन बार का खुद से किया वादा अगर टूटने लगता है तो अपना ही वजूद ख़त्म हो जाता है ! दूसरे से किया वादा टूटे तो दर्द होता है किन्तु खुद से किया हुआ वादा टूटता है तो बहुत कुछ ख़त्म सा हो जाता है ! बढ़िया कहानी , महिमा जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
8 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service