For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा यार मुझसे जुदा हुआ,                                               

मेरी जान जैसे निकल गई.

मुझे प्यार उसका न मिल सका,

मेरी आह मुझमे ही मिल गई.

उसे चाहना या न चाहना

उसे पूजना या न पूजना 

मेरी चाहतों का हिसाब क्या,

मेरी रूह भी हो विकल गई..

मुझे प्यार उसका न मिल सका,

मेरी आह मुझमे ही मिल गई..

कोई और तेरा न नाम ले 

तुझे रख सकूँ निगाह में

तेरी बात भी जो हुई कहीं,

जुबाँ यार मेरी फिसल गई..

मुझे प्यार उसका न मिल सका,

मेरी आह मुझमे ही मिल गई..

Views: 682

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 18, 2012 at 11:10pm

बहुत सुंदर रचना । बधाई कबूल करें ! अति सुंदर !

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 21, 2012 at 7:20pm

आदरणीया महिमा जी प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत आभार

Comment by MAHIMA SHREE on April 21, 2012 at 10:15am
मेरी आह मुझमे ही मिल गई..
कोई और तेरा न नाम ले
तुझे रख सकूँ निगाह में
तेरी बात भी जो हुई कहीं,......भावपूर्ण अभिवयक्ति बधाई आपको
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 20, 2012 at 11:20am

आदरणीया राजेशकुमारी मैम प्रोत्साहन पर कोटि कोटि धन्यवाद,"


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 20, 2012 at 7:32am

शलेन्द्र जी विरह व्यथा और प्यार खो देने का गम दोनों झलक रहे हैं आपकी रचना में दिल की गहराई से निकले भाव ...इस सुन्दर रचना के लिए बहुत बधाई 

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 19, 2012 at 11:36pm

आदरणीय प्रदीप सर सादर नमन,प्रोत्साहन हेतु कोटि कोटि धन्यवाद सर

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 19, 2012 at 11:36pm

आदरणीय  SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR सर सादर नमन,

प्रोत्साहन हेतु कोटि कोटि धन्यवाद सर

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 19, 2012 at 11:35pm

आदरणीय बागी  सर सादर नमन, "जौ माँगा पाइअ बिधि पाहीं, ए रखिअहिं सखि  आँखिन्ह माही."

प्रोत्साहन हेतु कोटि कोटि धन्यवाद सर

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 19, 2012 at 11:34pm

आदरणीया सरिता दी प्रोत्साहन हेतु कोटि कोटि धन्यवाद

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 18, 2012 at 10:40pm

मुझे प्यार उसका न मिल सका,

मेरी आह मुझमे ही मिल गई..

bhav purna rachna. badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
20 hours ago
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
20 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service