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Richa Yadav
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Welcome, Richa Yadav "Riya"

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Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहतर है शुक्रिया आपका अमित जी सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय अमित जी एक और प्रयास देखिएगा सादर हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से मिलती "आपके मिलने का होगा जिसे अरमाँ होगा'"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय महेंद्र जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
" आदरणीय अमित जी कृपया गिरह भी देखियेगा सादर लद गए दिन वो कभी आपके तालिब थे हम "आप के मिलने का होगा जिसे अरमाँ होगा'"
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Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय महेंद्र जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी से सहमत सुझाव भी अच्छे हैं सादर"
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Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय zaif जी नमस्कार बहुत ख़ूबब हुई ग़ज़ल बधाई स्वीकार कीजिये गिरह बहुत ख़ूब सादर"
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Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह भी ख़ूब बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय zaif।जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
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Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय अमित जी, नमस्कार बहुत धन्यवाद समझ गई आपकी बात देखियेगा सानी फिर कहा है, और  2 मक़्ते भी लिखे जा सकते हैं इसलिये दोनों में नाम रहने दिया है, आभार आपका सादर राज़-ए-दिल मुझपे कभी उसका नुमायाँ होगा"
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Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका, बेहतरी के लिए प्रयासरत रहूंगी सादर"
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Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय संजय जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Friday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय अजय जी नमस्कार बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई हर शेर पसन्द आया गिरह भी ख़ूब मतले पे नीलेश जी से सहमत हूँ वाक्य विन्यास बहतर हो सकता है सादर"
Friday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीया राजेश कुमारी जी नमस्कार ज़बर्दस्त हुई ग़ज़ल बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब सादर"
Friday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का ख़ूब प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी के सुझाव काबिल-ए-ग़ौर हैं सादर"
Friday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
Friday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय कबीर सर जी अभिवादन बहुत शुक्रिया आपका, अमित जी के सुझाव से ग़ज़ल सुधारी है आगे से और बहतर कहने का प्रयास करुँगी आभार आपका सादर"
Friday

Profile Information

Gender
Female
City State
Faridabad Haryana
Native Place
Alaahabad U.P.
Profession
home maker
About me
computer engineer by heart Shayar

Richa Yadav's Blog

ग़ज़ल-हर बात अपने दिल की बताई नहीं जाती।

221 2121 1221 212



हर बात अपने दिल की बताई नहीं जाती

करके कोई दुआ भी यूँ गाई नहीं जाती।1

दिल आपकेे है बस में ये अब जानते हैं हम

जादूगरी ऐसी भी दिखाई नहीं जाती।2

हैं दर्द-ओ-ग़म भरे हुए इतने कि क्या कहें

ये दास्तान दिल की सुनाई नहीं जाती।3

ये बदगुमानी आपकी आई है बीच में

बिगड़ी है इतनी बात बनाई नहीं जाती।4

फिर साथ होगी होली दीवाली की धूम भी

हमसे अकेले ईद मनाई नहीं जाती।5

दिल आपका दुखा तो…

Continue

Posted on December 7, 2020 at 1:29pm — 4 Comments

मिस्मार दिल का ये दर-ओ-दीवार हो गया

बह्र:- 221 2121 1221 212

मिस्मार दिल का ये दर-ओ-दीवार हो गया

मुद्दत हुई तो यार का दीदार हो गया

वो जो चला गया है मेरा शह्र छोड़ कर

लगता है ऐसा मुझको मैं बीमार हो गया

बेमोल ही रहे न किया ज़िंदगी से ग़म

तूने छुआ मुझे तो मैं दीनार हो गया

था मर्ज़ ऐसा जिसकी नहीं थी दवा कोई

तू हाथ थाम कर मेरा तीमार हो गया

तूने गले लगाया "रिया" को मेरे ख़ुदा

लगता है जैसे क़द मेरा मीनार हो गया

"मौलिक व…

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Posted on October 30, 2020 at 3:30pm — 10 Comments

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""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-153 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
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" जी ठीक है हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से जानाँ "आपके मिलने का होगा जिसे अरमाँ…"
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"आदरणीय अमित जी एक और प्रयास देखिएगा सादर हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से मिलती "आपके मिलने…"
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"आदरणीय महेंद्र जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
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Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय जी। सादर।"
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Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत-बहुत शुक्रिया। संज्ञान ले लिया गया है। सादर।"
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Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहुत-बहुत शुक्रिया सर। अगली बार पूरा प्रयास रहेगा कि निराश न करूँ। सादर।"
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