Posted on March 29, 2020 at 10:15am — 1 Comment
Posted on March 26, 2020 at 7:48pm — 1 Comment
Posted on March 25, 2020 at 2:11pm — 1 Comment
मुद्दत से इंतजार में बैठे थे हम जिनके ,
वो आये भी तो अजनबियों कि तरहां।
के तोड़ गये अरमानो के घरोंदों को वो ऐसे,
उजाड़ देती है खिज़ा गुलशन को जिस तरहां।
बेहाल दिल हे और रूह भी हमारी ,
बहता है दर्द जिस्म में अब ऐसे
जैसे मचलता हे पानी दरिया में जिस तरहां।
के अश्क़ अब बहते नहीं इन आँखों से,
बस आहें ही निकलती हे अब सांसो से ।
ज़िन्दगी हमारी अब हो गई हे कुछ ऐसे,
जैसे खाती हे नाव हिलोरे तूफां में जिस तरहां।
अब ना…
ContinuePosted on January 12, 2020 at 11:28am — 2 Comments
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