महफिलों से एक दिन जाना ही है ।
आख़िरश अंजामे दिल तनहा ही है ।
क्या हुआ जो आज मै तड़पा बहुत,
मुद्दतों से दिल मेरा तड़पा ही है ।
मै तुम्हे अपनी हकीकत क्या कहूँ,
तुमने जो सोचा तुम्हे करना ही है ।
प्यार के सपने बिखर कर चूर हैं,
प्यार भी शायद कोई सपना ही है ।
प्यार में दिल टूटना क्यों आम है,
सब ये कहते हैं कि ये…
Added by Neeraj Nishchal on February 18, 2018 at 1:56am — 3 Comments
2122 1122 22
छू के साहिल को लहर जाती है ।
रेत नम अश्क़ से कर जाती है ।।
सोचता हूँ कि बयाँ कर दूं कुछ ।
बात दिल में ही ठहर जाती है ।।
याद आने लगे हो जब से तुम ।
बेखुदी हद से गुजर जाती है ।।
कुछ तो खुशबू फिजां में लाएगी ।
जो सबा आपके घर जाती है ।।
कितनी ज़ालिम है तेरी पाबन्दी ।
यह जुबाँ रोज क़तर जाती है ।।
हुस्न को देख लिया है जब से ।
तिश्नगी और…
Added by Naveen Mani Tripathi on February 17, 2018 at 10:52pm — 5 Comments
गीत
भावना में प्रेम का रस घोल प्यारे।
प्रेम जीवन में बड़ा अनमोल प्यारे।
भावना में.........
शब्द-शर मुख से निकल कर लौटते कब?
घाव ये गहरे करें हिय में लगें जब।
कर न दें आहत किसी को शब्द तेरे,
मृृदु मधुुुर मकरन्द वाणी बोल प्यारे।
भावना में ........
मत बड़ा छोटा किसी को मान जग में।
काम आ जाए भला कब कौन मग में?
स्नेह का सम्बन्ध ही सबसे उचित है,
तथ्य यह मन की तुला में तोल प्यारे।
भावना…
Added by रामबली गुप्ता on February 17, 2018 at 9:00pm — 8 Comments
रात गहरी, घोर तम छाया हुआ !
हार कर बैठा हूँ --- पथराया हुआ !
यूँ पड़ा हूँ, लोकपथ के तीर पर
जैसे प्रस्तर-खण्ड ठुकराया हुआ !
दूर जुगनूँ एक दिपता आस का
शेष सब सुनसान, थर्राया हुआ !…
ContinueAdded by नन्दकिशोर दुबे on February 17, 2018 at 5:08pm — 4 Comments
2122 2122 122
दिल में नफ़रत होठों पे मुस्कुराहट
सबके वश में है क्या ऐसी बनावट?
कान मेरी ओर मत कीजिएगा
दिल जो टूटे तो नहीं होती आहट
आसमाँ में रंग बिखरेगा फिर से,
कह रहा था स्वप्न, मैंने कहा; हट
मान जा मन छोड़ उद्दंडता अब
दौड़ना अच्छा नहीं, ऐसे सरपट?
कोई जादू तेरी आँखों में तो है
वर्ना खुलता ही कहाँ ये मनस-पट
मौलिक अप्रकाशित
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 17, 2018 at 1:28pm — 3 Comments
यकीन
यही सोच कर रुठीं हूँ मना लेगा वो
गलतफहमियाँ जो हैं मिटा देगा वो
प्यार से खींचकर भींच लेगा मुझे
गलतियाँ जो की हैं भुला देगा वो |
पहली गुफ्तगू
पहला जाम पी लिया खोलकर ये दिल
जाम की आरज़ू है तू रोज़ यूँ ही मिल
मझधार में भटकी सफीना दूर है साहिल
बन जा पतवार मेरी ले चल मुझे मंजिल
बुढ़ा
वो जो एक शख्स झुका-झुका सा बैठा है
उसकी पीठ पर यह घर टिका बैठा है
छातियाँ…
ContinueAdded by somesh kumar on February 16, 2018 at 11:31pm — 5 Comments
सुखविंदर जी को सोचमग्न अवस्था में देख उनकी पत्नी ने उनसे पूछा," क्या सोच रहे हो जी?"
"ख़ास कुछ नही...... बस कल अपने खेत पर जो सिपाही आया था उसी के बारे में सोच रहा हूँ.......।"
"सिपाही..... और अपने खेत में.........! कब और क्यों....?"
"कह रहा था कि अपना खेत उसको बेच दूँ.... ।"
"हैं.........! ये क्यों भला......?"
"वह सिपाही न था पर ......सिपाही के खाल में भेड़िया था........ उसका चेहरा ढका हुआ था... पर उसकी आवाज़ कुछ जानी... इतना ही कह पाये कि बाहर से चिल्लाने की आवाज़ आयी।…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 16, 2018 at 5:52pm — 3 Comments
2122 1212 22
बोल देती है बेज़ुबानी भी,
ख़ामशी के कई म'आनी भी,
वो मरासिम बढ़ा के छोड़ गया,
दर्द होता है जाविदानी भी
वक़्त - बेवक़्त ही निकल आये
है अजब आँख का ये पानी भी,
वो सबब है मेरी उदासी का,
उससे है दोस्ती पुरानी भी,
जन्म देकर क़ज़ा तलक लायी,
ज़िन्दगी तेरी मेज़बानी भी,
आज फिर क़ैस को ही मरना पड़ा,
हो गयी ख़त्म ये कहानी भी। .. ...
मौलिक व् अप्रकाशित
Added by Anita Maurya on February 16, 2018 at 4:00pm — 4 Comments
तुम्हारी कसम....
हिज़्र की रातों में
तन्हा बरसातों में
खामोश बातों में
नशीली मुलाकातों में
तुम्हारी कसम
सिर्फ़
तुम ही तुम हो
चांदनी के शबाब में
पलकों के ख्वाब में
प्यालों की शराब में
अर्श के माहताब में
तुम्हारी कसम
सिर्फ़
तुम ही तुम हो
ख्यालों की बाहों में
बेकरार निगाहों में
गुलों की अदाओं में
आफ़ताबी शुआओं में
तुम्हारी कसम
सिर्फ़
तुम ही तुम…
Added by Sushil Sarna on February 16, 2018 at 2:24pm — 14 Comments
इश्क कुछ इस तरह निबाह करो ।
तुम मुझे और भी तबाह करो ।
तोड़ दो दिल तो कोई बात नहीं,
टूटे दिल मे मगर पनाह करो ।
मै अगर कुछ नहीं तुम्हारा हूँ,
दर्द पर मेरे तुम न आह करो ।
चाहना तुमको मेरी फितरत है,
तुम भले ही न मेरी चाह करो ।
तुम सजा पर सजा सुना दो पर,
मत कहो मुझसे मत गुनाह करो ।
आज कुछ यूँ मुझे सताओ तुम,
ग़ज़ल पर मेरी वाह वाह करो ।
नीरज मिश्रा
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Neeraj Nishchal on February 15, 2018 at 5:26am — 4 Comments
2211 2211 2211 22
यूँ जिंदगी के वास्ते कुछ कम नहीं है वो ।
किसने कहा है दर्द का मरहम नहीं है वो।।
सूरज जला दे शान से ऐसा भी नहीं है ।
फूलों पे बिखरती हुई शबनम नहीं है वो ।।
बेचेगा पकौड़ा जो पढ़ लिख के चमन में ।
हिन्दोस्तां के मान का परचम नहीं है वो ।।
बेखौफ ही लड़ता है गरीबी के सितम से ।
शायद किसी अखबार में कालम नहीं है वो ।।
मेहनत की कमाई में लगा खून पसीना ।
अब लूटिए…
Added by Naveen Mani Tripathi on February 15, 2018 at 12:57am — 5 Comments
221 2121 1221 212
पत्थर से चोट खाए निशानों को देखिए ।
बहती हुई ख़िलाफ़ हवाओं को देखिए ।।
आबाद हैं वो आज हवाला के माल पर ।
कश्मीर के गुलाम निज़ामों को देखिए ।।
टूटेगा ख्वाब आपका गज़वा ए हिन्द का ।
वक्ते क़ज़ा पे आप गुनाहों को देखिये ।।
गर देखने का शौक है अपने वतन को आज ।
शरहद पे ज़ह्र बोते इमामों को देखिए ।।
कुछ फायदे के वास्ते दहशत पनप रही ।
सत्ता में…
Added by Naveen Mani Tripathi on February 14, 2018 at 11:28pm — 3 Comments
शहरी छोरा देहात घूमने आया है,मौसी के यहाँ।गाँव का नाम पंडितपुर है,देहात यहाँ दिखता है। उजड्ड लोग,अनपढ़ औरतें,गिल्ली-डंडा, कबड्डी और तिलंगी में अझुराये लड़के-बच्चे।बकरी चराती, मवेशियों को सानी देती लड़कियाँ, बस।गाँव के स्कूल की पढ़ाई का आलम है कि तीन-तीन बार मैट्रिक में फेल हुए तीन मास्टर दिहाड़ी जितनी रकम पर उसे संभाले हुए हैं।रही बात विद्यार्थियों की ,तो खिचड़ी के नाम पर कुछ घर से समय निकालकर आ जाते हैं।फिर खिचड़ी खतम, स्कूल खतम।मुखियाजी से मिलकर रजिस्टर -लिखाई हो जाती है।वही झुनिया जरा…
Added by Manan Kumar singh on February 14, 2018 at 10:04pm — 8 Comments
2122 1122 1122 22
मेरा हमदम है तो हर ग़म से बचाने आए
मुश्किलों में भी मेरा साथ निभाने आए
oo
चाँद तारे भी यहाँ बन के दिवाने आए
उनकी खुश्बू के समन्दर में नहाने आए
oo
रश्क करते हैं जिन्हे देखकर सितारे भी
मस्त नज़रों से वही जाम पिलाने आए
oo
उनके दीदार से आंखों को सुकूं मिलता है
ख़ुद से कर-कर के कई बार बहाने आए
oo
उनकी निसबत से…
Added by SALIM RAZA REWA on February 14, 2018 at 8:00pm — 9 Comments
बह्र- मफऊल फाइलात मफाईल फाइलुन
संगत खराब थी तभी गुन्डा निकल गया।
अब क्या बतायें हाथ से बेटा निकल गया।
घर से निकल गया मेरे इक दिन किरायेदार,
अच्छा हुआ जो पाँव से काँटा निकल गया।
जिसको खरा समझ के खरीदा था हाट से,
किस्मत खराब थी मेरी खोटा निकल गय।
देखो तो धूल झोंक अदालत की आँख में,
होकर बरी वो ठाठ से झूठा निकल गया।
हिन्दू का घर हो या कि मुसलमान का हो घर,
घर घर अलख जगाता कबीरा निकल…
Added by Ram Awadh VIshwakarma on February 14, 2018 at 4:00pm — 9 Comments
Added by रामबली गुप्ता on February 14, 2018 at 2:28am — 6 Comments
दर्द में ऐसे जलता है दिल ।
मोम जैसे पिघलता है दिल ।
यादों में ही रहे बेकरार,
यादों में ही बहलता है दिल ।
दर बदर ठोकरें मिल रहीं,
पर भला कब सँभलता है दिल ।
कुछ कभी तो कभी है ये कुछ ,
लमहा लमहा बदलता है दिल ।
तनहा तनहा किसी शाम सा,
होके वीरान ढलता है दिल ।
प्यार का कोई दरिया सा है,
जिसमें हर वक्त घुलता है दिल ।
नीरज मिश्रा
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Neeraj Nishchal on February 14, 2018 at 12:18am — 6 Comments
वैलेंटाइन बाबा ने अपने शागिर्द से कहा," मेरा मन कर रहा है भारत भूमि का भ्रमण करूँ, सुना है वहां वैलेंटाइन डे बहुत लोग मनाते हैं|"
" सर! यह विचार आपके मन में कैसे आया? वैलेंटाइन डे तो पश्चिमी देशों का त्यौहार है और आप तो पूरब में जाने का कह रहे हो!"
"हाँ! सुना है वहाँ बच्चे एक दूसरे को लाल गुलाब देते है और अब तो वहाँ भी लिविंग -रिलेशनशिप को मान्यता मिल गयी है तो लोग इसीको प्यार का नाम..... यह कहते हुए वे चुप हो गए है|
"क्या हुआ सर? आप चुप क्यों हो गये? आपकी इच्छा है तो…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 13, 2018 at 9:00pm — 10 Comments
“लगता है आपने दुनियाँ नहीं देखी और खबरों से दूर रहते हैं आप”, ज़हूर भाई ने अपनी बात तेज आवाज मे कही, गोया वह आवाज के ज़ोर पर ही अपनी बात सही बताना चाहते थे. वह नए नए पड़ोसी बने थे रफ़ीक़ के और हाल मे ही हुए कौमी दंगों पर बहस कर रहे थे. रफ़ीक़ उनको लगातार समझाने की कोशिश कर रहे थे कि वक़्त का तक़ाज़ा इन चीजों से ऊपर उठकर सोचने का है.
“आप जितनी तो नहीं देखी लेकिन कुछ तो देखी ही है ज़हूर भाई, दुनियाँ इतनी भी बुरी नहीं है. आज भी इंसानियत जिंदा है और मोहब्बत का खुलूस कायम है”, रफ़ीक़ ने मुसकुराते हुए जवाब…
Added by विनय कुमार on February 13, 2018 at 4:41pm — 8 Comments
अपने कोमल कान्धो पर
कचरे की बोरी ढोता बचपन
कहीं चाय के ढाबे पर
झूठे बरतन धोता बचपन
कहीं है भोजन की बर्बादी
कहीं भूख से रोता बचपन
तन पर फटे पुराने कपड़े…
Added by LALIT KAILASH on February 13, 2018 at 1:30pm — 7 Comments
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