For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2211 2211 2211 22

यूँ जिंदगी के वास्ते कुछ कम नहीं है वो ।
किसने कहा है दर्द का मरहम नहीं है वो।।

सूरज जला दे शान से ऐसा भी नहीं है ।
फूलों पे बिखरती हुई शबनम नहीं है वो ।।

बेचेगा पकौड़ा जो पढ़ लिख के चमन में ।
हिन्दोस्तां के मान का परचम नहीं है वो ।।

बेखौफ ही लड़ता है गरीबी के सितम से ।
शायद किसी अखबार में कालम नहीं है वो ।।

मेहनत की कमाई में लगा खून पसीना ।
अब लूटिए मत आपकी इनकम नहीं है वो ।।

तकदीर बना लेगा वो अपने ही करम से ।
इंसान की औलाद है बेदम नहीं है वो ।।

मजबूरियों के नाम पे खामोश बहुत है ।
मेरे किसी भी काम से बरहम नहीं है वो ।।

कोटे की सियासत से जरा बाज अभी आ ।
भारत की बुलन्दी का तो आगम नहीं है वो ।।

दो चार के बदले में हजारों को मिटा दे ।
खुलकर क़ज़ा दे सामने सक्षम नहीं है वो ।।

नापाक है दुश्मन तो सजा दीजिये भरपूर ।
कायर है अभी जंग का रुस्तम नहीं है वो।।

--नवीन मणि त्रिपाठी मौलिक अप्रकाशित

Views: 480

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2018 at 3:57pm

आ. भाई नवीन जी सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on February 19, 2018 at 11:32am

भाई बृजेश कुमार ब्रज जी सप्रेम आभार 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 18, 2018 at 10:45pm

एक और खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय..बहुतखूब

Comment by Naveen Mani Tripathi on February 17, 2018 at 10:34am

आ0 शेख शहज़ाद साहब तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 16, 2018 at 2:54pm

हर शे'अर में दो टूक/सटीक/पते की बात कहती बेहतरीन पेशकश के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब नवीन मणि त्रिपाठी साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service