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सुखविंदर जी को सोचमग्न अवस्था में देख उनकी पत्नी ने उनसे पूछा," क्या सोच रहे हो जी?"
"ख़ास कुछ नही...... बस कल अपने खेत पर जो सिपाही आया था उसी के बारे में सोच रहा हूँ.......।"
"सिपाही..... और अपने खेत में.........! कब और क्यों....?"
"कह रहा था कि अपना खेत उसको बेच दूँ.... ।"
"हैं.........! ये क्यों भला......?"
"वह सिपाही न था पर ......सिपाही के खाल में भेड़िया था........ उसका चेहरा ढका हुआ था... पर उसकी आवाज़ कुछ जानी... इतना ही कह पाये कि बाहर से चिल्लाने की आवाज़ आयी।
'अरे बाहर आओ सब ...... एक सिपाही पकड़ा गया.....उसके पास बारूद बरामद हुए .......।'
"कहीं यह वही तो नहीं.....।" सुखविंदर बाहर की ओर दौड़ पड़े।
बाहर देखा तो सच में वही था। उसने सुखविंदर की तरफ देखकर कहा," आप मुझे ज़मीन दे देते तो ......"
"अच्छा हुआ जो तुझे न दी.... तुझे तो हथकड़ी लग गयी पर मेरी माँ को जो बेड़िया तू पहनता उसका बोज़ कोई बेटा सहन न कर पाता।"
आसपास लोग खड़े थे,उसमें से एक ने सुखविंदर से पूछा," यह क्या बोले जा रहे हो...?"
" अजी कुछ नहीं यह सिपाही के रूप में है जरूर पर सिपाही नहीं.... यह मेरी माँ ... मेरी ज़मीन को खरीदने आया था..... बारूद बिछाना चाहता था.... मैंने इनकार कर दिया.....तो धमकी ......"
सुखविंदर अपनी बात पूरी भी न कर पाया था कि फिर एक शोर हुआ.....'अरे देखो देखो उसके मुँह से तो झाग निकल रहा है...।'
आवाज़ सुनकर सुखविंदर उस ओर दौड़ पड़ा। बाहर आकर देखा तो वह सिपाही जमीन पर था।
उसके गिरते ही उसके सिर से टोपी गिर गयी और जब उसके चहरे से कपड़ा हटाया तो सुखविंदर की चीख़ निकल गयी.... " पुत्तर जोगी..... " और वह भी धराशाही हो गया।
"एक किसान का बेटा और आतंकवादी.....?" बाहर भीड़ में चर्चा का विषय बन गयी।"

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2018 at 10:37pm

बेहतरीन विषय और कथा..

Comment by Nita Kasar on February 19, 2018 at 3:19pm

भटके युवाओं को राह दिखाती प्रेरक कथा बधाई आद० कल्पना बहना ।

Comment by Mohammed Arif on February 16, 2018 at 11:19pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब,

                                   बेहद सामयिक लघुकथा । आतंकवाद आज की वैश्विक समस्या है । विश्व के अधिकांश देश आतंकवाद से ग्रसित है । आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है । कितने ही मासूम और निर्दोष रोज़  आतंवाद के शिकार हो आते हैं । आतंकवाद की पृष्ठभूमि पर लिखीं गईं सशक्त लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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