For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

November 2012 Blog Posts (173)

दिल में खौफ़े खुदा भी लाया जाए

दिल में खौफ़े खुदा भी लाया जाए

अच्छे बुरे का फर्क जाना जाए

कब्ल इसके उंगली उठाओ सब पर

अपने दिल को भी तो खंगाला जाए

यूँ तो उनकी की है फजीहत सबने

प्यार उनसे कभी जताया जाए

निकले बाहर गरीबों की आवाज़ें

उनको भी तो कभी सुन लिया जाए

पहले इसके बिगड़ जायें हालात

जुल्मों को वक़्त रहते रोका जाए 

Added by नादिर ख़ान on November 30, 2012 at 10:35pm — 4 Comments

आम आदमी

आसमाँ के देखता है ख्वाब आम आदमी

चाहता है माहो-आफताब आम आदमी



खुद चुभन सहे मगर करे नहीं वो उफ़ तलक

कायनाते खार में गुलाब आम आदमी



रात दिन गुजारता है धूप छाँव भूल कर

काम कर रहा है बेहिसाब आम आदमी…



Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on November 30, 2012 at 3:30pm — 8 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
डमी

“हैलो पूर्वा, शाम साढ़े सात बजे तक तैयार रहना, आज मिस्टर अग्रवाल की बिटिया का महिला संगीत है और रात को डिनर के लिए चलना है” अक्षय नें अपनी पत्नी से फोन पर कहा. पूर्वा नें हामी भरी और पार्टी के कपडे निकालने के लिए अल्मारी खोली. उफ़! कितनी भारी भारी साड़ियाँ, पर आज तो कुछ सौम्य सा पहनने का मन है, सोचते हुए पूर्वा नें पाकिस्तानी कढाई का एक बेहद खूबसूरत सूट निकला और तैयार होने लगी.

आँखों का हल्का सा मेकअप, आई लाईनर, काजल, बालों का ताजगी भरा स्टाईल, चन्दन का इत्र, छोटी सी बिंदी, हल्की सी…

Continue

Added by Dr.Prachi Singh on November 29, 2012 at 9:58am — 27 Comments

सस्ता के चक्कर में !

घरनी गाड़ी में बैठाया , चली ट्रेन पकड़ी रफ्तार ।

प्लेटफार्म आस पास घर है , किसी बात की ना दरकार ।

वापस गया काम पर अपने , पहुँचेगी अकेल इस बार ।

जनरल डिब्बा भीड़ भारी, गर्मी से थे सब लाचार ।

बाहर हवा अंदर पसीना , सीट की चाहत बेकरार ।

मुंबई से इटारसी रुकी , केले वालों की भरमार ।

सस्ता खोजते चली आगे , केला मिला बहुत बेकार ।

दुःखी मन फिर गाड़ी भूली , बैठी गाड़ी में मनमार ।

झोला झाकड़ लगी खोजने , लगी पूछने हो लाचार ।

अनपढ़ को मिले तमिल यात्री , जाने कैसे बात… Continue

Added by Shyam Narain Verma on November 28, 2012 at 1:11pm — 4 Comments

छन्न पकैया छन्न पकैया

छन्न पकैया छन्न पकैया, सॉरी भैया धोनी।

स्पिन ट्रैक से क्या होता है, टलती थोड़े होनी॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, भाग देख लो फूटे।

अपने सौवें ही दंगल में, वीरू दादा टूटे॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, थोड़ा चले पुजारा।

लदफद होती सेना को जो, देते रहे सहारा॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, क्या करते हो सच्चू।

अपने ही घर में अपनी क्या, पिटवाओगे बच्चू॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, अन्ना दीखे भज्जी।

कुक पूरे सरकारी बन के, उड़ा रहे थे धज्जी॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, दिखी…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 27, 2012 at 7:13pm — 12 Comments

आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी 
आज तक हम खास थे अब आम हो गए 
सब पार्टियों को छोड़ 'आम' के साथ हो गए 
सबको परख चुके अब इनको भी परखेंगे 
ख्वावों की वंदिशों से हम आज़ाद हो गए 
कांग्रेस परखी,भाजपा परखी परखी सपा,बासपा
आम आदमी पार्टी भी परख लें पूर्ण होगी परिक्रमा 
या तो लुटिया डूबेगी या तर जाएँगे सारे
हमारे खज़ाने से क्या जाएगा अगर गए वो हारे 
जीत गए गर आम आदमी तो हो जाएँगे…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on November 27, 2012 at 2:45pm — 5 Comments

गाँव के लोग सब ही जाने , घूमते हर गली हर मोड़ ।

चतुर सयानी

ससुर साजन करें जा धंधा , गाँव नगर जाते हर ओर ।

काफी दिन बाहर रह जाते , आते वे शाम कभी भोर ।

गाँव के लोग सब ही जाने , घूमते हर गली हर मोड़ ।

नव वधु रहे अकेली घर में , जब बाहर जाते सब छोड़ ।

बहने लगा पवन मस्ती में, काली घटा घिरी घनघोर ।

चारों ओर घिरा अंधेरा , घर नहीं सुने कोई शोर ।

बदमाशों की नीयत बदली , झट छिपकर चले चार चोर ।

लगे खोदने मिट्टी दिवार . , आहट सुनी बहु बड़ी जोर ।

देखा घर में सेंध बनाते , साहस की बाँध चली डोर ।

तेज दाव लेकर जा… Continue

Added by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 2:28pm — 5 Comments

अपनी करनी पार उतरनी , चिड़ी खेत चुग जाये ।

लालच डुबाया । सार छन्द ।

लोभ में कभी क्षोभ होत है , मन पीड़ा भर जाये ।

अपनी करनी पार उतरनी , चिड़ी खेत चुग जाये ।

देख हार फँस जाते लोभी , तब फिर मन पछताये ।

माया मोह काम ना आये , कहीं जान फँस जाये ।

देख आया मेल लंदन से , फौजी लालच आया ।

सौ करोड़ की लाटरी जान , सबका जी ललचाया ।

रिटायर कैपटन था पैसा , भेज अमल फरमाया ।

बैंक अकाउंट मेल भेजा , नाम गाँव मँगवाया ।

सर्विस टेक्स पहले भेजो , फिर पैसा आयेगा ।

बारह लाख नगद मँगवाया , रकम कौन लायेगा ।

जयपुर… Continue

Added by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 2:25pm — 1 Comment

औरत के पास तो सिर्फ बदन होता है

Muslim_man : Muslim Arabic couple inside the modern mosque Stock Photo stock photo : Young brunette beauty or bride, behind a white veil

मर्द बोला हर एक फन मर्द में ही होता है ,

औरत के पास तो सिर्फ बदन होता है .



फ़िज़ूल बातों में वक़्त ये करती जाया ,

मर्द की बात में कितना वजन होता है !



हम हैं मालिक हमारा दर्ज़ा है उससे ऊँचा ,

मगर द्गैल को ये कब सहन होता है ?



रहो नकाब में तुम आबरू हमारी हो ,

बेपर्दगी से बेहतर तो कफ़न होता है .



है औरत बस फबन मर्द के घर की 'नूतन'

राज़ औरत के साथ ये भी दफ़न होता है…

Continue

Added by shikha kaushik on November 27, 2012 at 1:30pm — 9 Comments

दिल लगाकर प्रीत बढ़ाकर चल दिये..

दिल लगाकर प्रीत बढ़ाकर चल दिये ।
अपना बनाकर दिल चुराकर चल दिये ।


अब जायेगें कब आयेगें दिल है बेकरार ,
वादा करके , गुल खिलाकर चल दिये ।


भूल ना जाये ये कहीं दुष्यन्त की तरह ,
साथ निभाकर दिल लगाकर चल दिये ।


हर किसी से दिल लगाना कितना मुश्किल ,
कभी ना भूलेगे आस दिलाकर चल दिये ।


दिल कहता रहा अब ना जाओ छोड़कर ,
वर्मा देके दिलासा , हाथ मिलाकर चल दिये ।

  • श्याम नारायण वर्मा

Added by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 11:30am — 3 Comments

मुक्तिका: हो रहे संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

हो रहे

संजीव 'सलिल'

*

घना जो अन्धकार है तो हो रहे तो हो रहे।

बनेंगे हम चराग श्वास खो रहे तो खो रहे।।

*

जमीन चाहतों की बखर हँस रही हैं कोशिशें।

बूंद पसीने की फसल बो रहे तो बो रहे।।

*

अतीत बोझ बन गया, है भार वर्तमान भी।

भविष्य चंद ख्वाब, मौन ढो…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on November 27, 2012 at 9:24am — 3 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
शक्ति धन (कुण्डलिया छंद)

धन से पत्थर पूजते ,मन में लेकर पाप 

ये आडम्बर देखकर ,निर्धन देगा श्राप 

निर्धन देगा श्राप ,उलट फल देगी पूजा 

दीन  धर्म से श्रेष्ठ , कर्म  ना कोई दूजा 

मन में रख सद्भाव ,करो सभी भक्ति मन से 

निर्धन  का हर  घाव , भरो  उसी शक्ति धन से 

********************************************

Added by rajesh kumari on November 27, 2012 at 9:22am — 6 Comments

लघुकथा- 'दिल' और 'दिमाग'

बहुत पहले 'दिल' और 'दिमाग' अच्छे दोस्त हुआ करते थे। उनका उठना-बैठना, देखना-सुनना, सोचना-समझना और फैसले लेना, सब कुछ साथ-साथ होता था।

फिर इक रोज़ यूँ हुआ कि 'दिल' को अपने जैसा ही एक हमख्याल 'दिल' मिला। दोनों ने एक दूसरे को देखा और देखते ही, धड़कनों की रफ़्तार बढ़ी सी मालूम हुई। मिलना-जुलना बढ़ा तो कुछ रोज़ में, दिलों की अदला-बदली भी हो गयी। अब एक दिल मचलता तो दूसरे की धड़कने भी तेज हो जातीं; एक रोता तो दूजे की धड़कने भी धीमे होने लगतीं। बस एक दिक्कत थी कि दोनों सही फैसले नहीं कर पाते…

Continue

Added by विवेक मिश्र on November 27, 2012 at 2:30am — 15 Comments

रूबाई.......

रूबाई
.....................................
कुछ कहते हैं परिधान बदल कर देखो।
कुछ कहते हैं पकवान बदल कर देखो।
लेकिन मैं तो भगवान से ये कहता हूँ।।
भगवान ये इन्सान बदल कर देखो।। सूबे सिंह सुजान

Added by सूबे सिंह सुजान on November 26, 2012 at 11:41pm — No Comments

चाँद को भी हम कब तलक देखें

चाँद को भी हम कब तलक देखें
न देखें तुम्हे तो क्या फलक देखें

खुद चला आया जो आफताब आँखों में
फिर क्या किसी शम्मा की झलक देखें

आने का यकीं दे चले थे मुस्कुरा के वो
कुछ और हम ये तनहा सड़क देखें

वो न देखें मेरे ये लडखडाये से कदम
देखना है तो मेरी आँखों में चमक देखें

क्या देखते हैं आप यूं काफियों को घूर कर
मिल जाए जो जहां बस सबक देखें

-पुष्यमित्र उपाध्याय



Added by Pushyamitra Upadhyay on November 26, 2012 at 10:36pm — 7 Comments

मुक्तिका : अपनी माटी से जब कटकर जाना पड़ता है

टुकड़ों टुकड़ों में ही बँटकर जाना पड़ता है

अपनी माटी से जब कटकर जाना पड़ता है

 

परदेशों में नौकर भर बन जाने की खातिर

लाखों लोगों में से छँटकर जाना पड़ता है

 

गलती से भी इंटरव्यू में सच न कहूँ, इससे

झूठे उत्तर सारे रटकर जाना पड़ता है

 

उसकी चौखट में दरवाजा नहीं लगा लेकिन

उसके घर में सबको मिटकर जाना पड़ता है

 

आलीशान महल है यूँ तो संसद पर इसमें

इंसानों को कितना घटकर जाना पड़ता है

 

जितना कम…

Continue

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 26, 2012 at 9:30pm — 11 Comments

ढूँढ़ लफ्जों को, गजल कहना कठिन है-रविकर

2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2

टिप्पणी भी अब नहीं छपती हमारी ।
छापते हम गैर की गाली-गँवारी ।

कक्ष-कागज़ मानते कोरा नहीं अब-
ख़त्म होती क्या गजल की अख्तियारी ।

राष्ट्रवादी आज फुर्सत में बिताते -
कल लड़ेंगे आपसी वो फौजदारी ।

नाक पर उनके नहीं मक्खी दिखाती-
मक्खियों ने दी बदल अपनी सवारी ।

ढूँढ़ लफ्जों को, गजल कहना कठिन है-
चल नहीं सकती यहाँ रविकर उधारी ।।

Added by रविकर on November 26, 2012 at 8:00pm — 12 Comments

बूढ़ा बैल । ताटंक छन्द ।

बूढ़ा बैल । ताटंक।

तड़प रहा हूँ भूख प्यास से , बँधा खूँटे में कसाई ।

मालिक ने ही जब बेच दिया , अंजान कब दया आई ।

देखकर ही ताकतवर बदन , बेचा कीना जाता था ।

जो भी ले गया काम कराया , स्नेह से वो खिलाता था ।

दम ना रहा जब बदन में तब , कोई साथ नहीं देता ।

बूढ़ा कह कर मजाक उड़ाते , कुढ़ कर ही मैं सुन लेता ।

खान पान को कौन पूछता , पास कोई न आता है ।

दिन बीते कड़ी मेहनत में , रहा न कोई नाता है ।

थका बदन आँखें ना देखें , किसी को रहम न आये ।

भूल गये सब दुनिया… Continue

Added by Shyam Narain Verma on November 26, 2012 at 5:00pm — 9 Comments

ना जाने कितने कसाब?

आखिरकार कसाब मारा गया! एक लम्बा चला आ रहा विरोध और इंतज़ार ख़त्म हुआ! इस मृत्यु से उन सभी शहीदों जिन्होंने कि देशरक्षा के लिए अपने प्राण निस्वार्थ अर्पण कर दिए के परिजनों को मानसिक शांति तो मिली होगी किन्तु उन्होंने जो खोया उसकी भरपाई नहीं हो सकती|

  कसाब को मारना सिर्फ एक कदम था निष्क्रियता से उबरने के लिए, हालांकि ये बहुत जरुरी भी था| मगर सवाल ये उठता है कि क्या कसाब को मार देना ही उन शहीदों के लिए श्रृद्धांजलि होगी? क्या कसाब ही अंतिम समस्या थी? शायद नहीं! कसाब उस समस्या का सौंवा हिस्सा…

Continue

Added by Pushyamitra Upadhyay on November 26, 2012 at 4:49pm — 1 Comment

तबादला

तबादला

तबादला कोई खौफ नहीं,

नियमित घटना है,

रहो सदा तैयार इसके लिए,

यह नौकरी का हिस्सा है ।

 

कभी पसंद का,तो कभी मुश्किल का होता है,

कभी सुख तो कभी दुख देता है,

परिवर्तन संसार का नियम है यारो,

तबादले को खुशी से अपनालों यारो ।

 

बेमौसम तबादले तकलीफ़ देते हैं,

पत्नी…

Continue

Added by akhilesh mishra on November 26, 2012 at 3:00pm — 3 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service