For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pushyamitra Upadhyay
  • Male
  • etah, (U.P.)
  • India
Share on Facebook MySpace

Pushyamitra Upadhyay's Friends

  • ajay sharma
  • deepti sharma
  • SANDEEP KUMAR PATEL
  • योगराज प्रभाकर

Pushyamitra Upadhyay's Groups

 

Pushyamitra Upadhyay's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
ETAH ( U.P)
Native Place
ETAH
Profession
student

Pushyamitra Upadhyay's Blog

अब किसी रहनुमा की जरुरत नहीं

इस रहम इस वफ़ा की जरुरत नहीं
अब किसी रहनुमा की जरुरत नहीं

खुद मिलें ना मिलें अब मुझे रास्ते
मुझको तेरी दुआ की जरुरत नहीं

दो कदम चल के जाने कहाँ खो गया
दिल को उस गुमशुदा की जरुरत नहीं

कोई उसको भी जाके बता दे जरा
मुझको उस बेवफा की जरुरत नहीं

मेरे दामन में अब दाग ही दाग हैं
अब किसी बेख़ता की जरुरत नहीं

-पुष्यमित्र

Posted on March 28, 2013 at 8:49pm — 4 Comments

फिर भी फागुन तुम्हें मैं दिखा जाऊँगा

गीत रूठे हुए  मीत छूटे हुए

फिर भी रस्में ये सारी निभा जाऊँगा

ये अलग बात है रंग मुझमें नहीं

फिर भी फागुन तुम्हें मैं दिखा जाऊँगा



आप सो जाइये ओढ़ कर बदरियाँ

मुझको इस धूप में और जलना अभी

लक्ष्य संसार के हों समर्पित तुम्हें

मुझको इक उम्रभर और चलना अभी

मन के मंदिर में बस तुम ही तुम देव हो

प्रीत के कुछ सुमन फिर चढ़ा जाऊँगा

ये अलग बात है रंग मुझमें नहीं

फिर भी फागुन तुम्हें मैं दिखा जाऊँगा



रंग यौवन के जब सब उतरने लगें

फूल जब…

Continue

Posted on March 26, 2013 at 9:00pm — 4 Comments

नए ख्वाब खुद को दिखाने लगे हैं

 

नए ख्वाब खुद को दिखाने लगे हैं…

Continue

Posted on March 9, 2013 at 6:41pm — 6 Comments

बोल क्या कमी रही....

हर राह पर तेरी रजा

तू ही सनम तू ही खुदा

तो क्यों ही तेरे फैसलों पे

धूल सी जमी रही

बोल क्या कमी रही



क्यों ही तेरे दिल में वो, गैर ही बसा रहा,

क्यों लचकती बांह में गुल वही कसा रहा|

मैं भी तो पलाश बन बिछा था तेरी राह में,

मैं भी तो बहार सब लुटा रहा था चाह में|

क्यों दुआ में जागती

फिर आँख में नमी रही

बोल क्या कमी रही?



कैसे तेरे दिल से मैं नाम उसका खींच लूं,

या कि अपनी चाहतों के मैं गले ही भींच दूं|

तू देख मेरे हाथ…

Continue

Posted on February 22, 2013 at 10:00pm — 12 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:44pm on August 28, 2012, SANDEEP KUMAR PATEL said…

स्वागत है मित्रवर स्वागत है

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service