Added by AVINASH S BAGDE on June 19, 2012 at 10:30am — 7 Comments
लिख नहीं जो सकता तू सच ख़बर ज़माने की।
बोल क्या ज़रूरत है फिर क़लम उठाने की॥
छोड़ दे ये हसरत भी दिल कहीं लगाने की।
सह नहीं जो सकता तू ठोकरें ज़माने की॥…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 18, 2012 at 1:00pm — 13 Comments
११ वी कक्षा उतीर्ण करने के बाद वर्ष १९६३ में मेरे पिताजी एवं बड़े भाई ने सोचा लक्ष्मण ने संस्कृत विद्यापीठ,मुंबई से प्रथमाँ परीक्षा भी पास की है, को औयुर्वेदिक महाविद्यालय में पढने हेतू दाखिला दिला देते है | वैद्य एवेम आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसर श्रीछाजू राम जी की सलाह अनुसार प्रवेश आवेदन भरकर साक्षात-कार के पश्चात प्रवेश सूची में नाम न देखकर,लक्ष्मण के पिता रामदासजी ने प्रिंसिपल एव आयुर्वेदाचार्य श्री रामप्रकाश स्वामी से मिले, तो उन्होंने बताया की जब हमें प्रवेश हेतु शारीरिक दक्ष…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 18, 2012 at 10:00am — 8 Comments
हँसता हुआ गुलाब बोला
देखो मैं कितना सुन्दर हूँ !
कितना गोरा रंग मेरा ,
खुशबू का मैं घर हूँ !
कितना कोमल अंग मेरा ,
सहलाना तो छोडो !
पंखुडियाँ झड जाएँगी
मुझको कभी न तोडो !
शाहों अमीरों का शान बना, पुष्पों का सरताज हूँ
यूँ बहुत पुराना राजा हूँ मैं फिर भी नया नया हूँ !
खाद रसों को चूस चूस कर इतना बड़ा हुआ हूँ
ओढ़ भेड़ की खाल को मैं भेडिया बना खड़ा हूँ !
राधा के होंठों से मैं लाली चुरा लाया हूँ
राम के सिलीमुख को शूल बना बैठा…
Added by Raj Tomar on June 17, 2012 at 7:47pm — 7 Comments
Added by SUMIT PRATAP SINGH on June 17, 2012 at 5:00pm — 6 Comments
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 17, 2012 at 4:54pm — 12 Comments
बेशक नफरतों को दिल में पालिए
Added by yogesh shivhare on June 17, 2012 at 3:30pm — 6 Comments
जिन्दगी हमारी भी बनती एक सवाल
गर सवाल का जबाब 'वो 'हमारे होते
उन यादों में ही गुजर लेते उमर सारी
गर दो पल भी 'वो ' साथ हमारे होते ..
न भिगोते अश्क पलकों को भी ,गर
ये नयन न उनके मतवारे होते
जान लेते हकीकत प्यार की हम भी
जो प्यार का आइना 'वो ' हमारे होते ..
राहों में हमारे होते उजाले अनेक
जो 'उनके अँधेरे ' न हमारे होते
भूल के उनको सो लेते चैन से
सपने जो वश में हमारे होते ..
गुनगुना लेते ताउम्र उनको हम
जो…
Added by Ajay Singh on June 17, 2012 at 9:30am — 2 Comments
छा गए बदरा कारे कारे नभ में
बयार शीतल लगी खिल उठे सभी
पात पात फूल फूल ये बात हो रही
खबर लाई है हवा बरसात की अभी
गिर पड़ी बूँदें यकायक धरा पर ज्यों ही
पुलकित हो गए है मन सभी
लू के थपेड़ों को सहते रहे बड़ी आस के साथ
खिल उठी कलियाँ मदमस्त सभी
आगमन में सभी जीव चर गा रहे है गीत
मिटटी की ख़ुशबू में मदमस्त है सभी
किसान अपने हल को देखकर मुस्कुराया
और मन में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है
आओ स्वागत है सावन इस…
Added by yogesh shivhare on June 16, 2012 at 7:00pm — 3 Comments
कजरी गाँव से नई नई आई थी शहर में अपने मामा के पास। उसकी माँ और तीन छोटी बहनें गाँव में ही थे। उसका बाप चौथी बेटी के जन्म के बाद घर छोड़कर भाग गया था ऐसा गाँव के लोग कहते थे। उसकी माँ का कहना था कि उसका बाप इलाहाबाद के माघ मेले में नहाने गया था और मेले के दौरान संगम के करीब जो नाव डूबी थी उसमें उसका बाप भी सवार था। जिन लोगों को थोड़ा बहुत तैरना आता था उनको तो बचा लिया गया पर जो बिल्कुल ही अनाड़ी थे उनको गंगाजी ने अपनी गोद में सुला लिया। तब वह छह साल की थी। उसकी माँ ने पुलिस में रिपोर्ट भी लिखाई…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 16, 2012 at 6:58pm — 8 Comments
इस दुनिया में कौन सुखी है बाबाजी
जिसको देखो, वही दु:खी है बाबाजी
तुम तो केवल चखना लेकर आ जाओ
बोतल हमने खोल रखी है बाबाजी
इसकी चन्द्रमुखी है, उसकी सूर्यमुखी
मेरी ही क्यों ज्वालमुखी है बाबाजी
रिश्वत की मदिरा फिर उससे न छूटी
जिसने भी इक बार चखी है बाबाजी
बाप से बढ़ कर कौन सखा हो सकता है
माँ से बढ़ कर कौन सखी है बाबाजी
काम अपना जी जान से करने वालों ने
अपनी किस्मत आप लिखी है बाबाजी
पथ के…
Added by Albela Khatri on June 16, 2012 at 5:00pm — 15 Comments
गांधी टोपी पहन के भागे कुरता पैजामा सिलवाने बाबा जी
कितना प्यारा देश का मौसम जनता को उल्लू बनाने बाबा जी
कर जोर मांगते भीख वोटन की पाकर जीत तन जाते बाबा जी
चोर चोर मौसेरे भाई बैठ संग देश की लाज लुटाते बाबा जी
मुन्नी संग कमर मटकाते जेल में राखी बंधवाते बाबा जी
सर्वस्व…
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 16, 2012 at 1:37pm — 2 Comments
Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 16, 2012 at 1:01pm — 39 Comments
मैं वोटर हूँ
एक आम मतदाता,
इसी देश का नागरिक
भीड़ का एक चेहरा
ज्यादा नहीं कमाता
शायद लिखना भी नहीं आता;
मेरा कोई संगठन नहीं
कोई नारा नहीं
हैलीकॉप्टर से तो दिखता भी नहीं
बहुत छोटा हूँ मैं
चिल्लाता हूँ कोई सुनता नहीं
इतना खोटा हूँ मैं;
इसी का आदी हूँ
शिकायत नहीं करता,
मेरा भी महत्त्व है
अचानक पता लगता,
पाँच सालों में; एक बार,
जब झुग्गियों में स्कॉर्पियो आती है,
काफिले आते हैं,
मैं "जनता जनार्दन" हो जाता हूँ
देसी…
Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 16, 2012 at 12:10pm — 4 Comments
Added by yogesh shivhare on June 16, 2012 at 11:30am — 2 Comments
तुम भी खाओ, हम भी खायें बाबाजी
आओ, मिल कर देश चबायें बाबाजी
राजनीति में किसी तरह घुस जाएँ तो
जीवन भर आनन्द मनायें बाबाजी
चोर - चोर मौसेरे भाई हैं तो फिर…
Added by Albela Khatri on June 15, 2012 at 10:22pm — 18 Comments
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 15, 2012 at 9:08pm — 9 Comments
हो जाते है जब एकदम अकेले
हम अपनों की भीड़ में
तब जब दिल चाहता है कहना
किसी से बहुत कुछ
तब कोई नहीं मिलता ऐसा
जो साथ बैठकर सुने इस दिल की बाते
और कहे कि मैं हूँ न .........................
तब जब महसूस होता है
कि कोई नहीं है इस दुनिया में हमारा
तब एकदम से अचानक ...................
आ जाते है शब्द
और करने लगते हैं मुझसे बाते
तब जब दिल चाहता है जी भरकर रोना
लेकिन आंसू भी साथ देने से मना कर देते हैं
तब ये शब्द रोते है मेरे साथ…
Added by Sonam Saini on June 15, 2012 at 4:00pm — 14 Comments
लेखक की नई पुस्तक प्रकाशित हुई. कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए कि लेखक व प्रकाशक में युद्ध आरंभ हो गया. कई दिनों तक आरोप–प्रत्यारोप का दौर चला. इस घटनाक्रम से लेखन संसार दुखी हो गया. लेखन जगत ने लेखक व प्रकाशक से इस विवाद को आपस में सुलझा लेने का आग्रह किया.…
ContinueAdded by SUMIT PRATAP SINGH on June 15, 2012 at 2:00pm — 5 Comments
कितने ही प्रतिष्ठित समाजसेवी संगठनों में उच्च पद-धारिका तथा सुविख्यात समाज सेविका निवेदिता आज भी बाल श्रम पर कई जगह ज़ोरदार भाषण देकर घर लौटीं. कई-कई कार्यक्रमों में भाग लेने के उपरान्त वह काफी थक चुकी थी. पर्स और फाइल को बेतरतीब मेज पर फेंकते हुए निढाल सोफे पर पसर गई. झबरे बालों वाला प्यारा सा पप्पी तपाक से गोद में कूद आता है.
"रमिया ! पहले एक ग्लास पानी ला ... फिर एक गर्म गर्म चाय.........."
दस-बारह बरस की रमिया भागती हुई पानी लिये सामने चुपचाप खड़ी हो जाती है.
"ये…
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 15, 2012 at 12:00pm — 20 Comments
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