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छा गए बदरा कारे कारे नभ में
बयार शीतल लगी खिल उठे सभी
पात पात फूल फूल ये बात हो रही
खबर लाई है हवा बरसात की अभी
गिर पड़ी बूँदें यकायक धरा पर ज्यों ही
पुलकित हो गए है मन सभी
लू के थपेड़ों को सहते रहे बड़ी आस के साथ
खिल उठी कलियाँ मदमस्त सभी
आगमन में सभी जीव चर गा रहे है गीत
मिटटी की ख़ुशबू में मदमस्त है सभी
किसान अपने हल को देखकर मुस्कुराया
और मन में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है
आओ स्वागत है सावन इस धरा के आँगन में
कब से इंतज़ार कर रहे थे सभी
फिर पड़ जायेंगे झूले बागों में
अब मनाएंगे राखी त्यौहार सभी


 

 

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Comment

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Comment by yogesh shivhare on June 19, 2012 at 1:02pm

आभार अलबेला भाई जी 

Comment by Albela Khatri on June 19, 2012 at 9:35am

bahut sundar

bheeg gaye saawan me..

jai ho yogesh ji

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 17, 2012 at 1:13pm

बहुत प्रभावी स्वागत सावन का , बधाई.

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